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कम लागत और ज्यादा मार्जिन से मिलेगा तेल मार्केटिंग कंपनियों को सहारा

विश्लेषकों का अनुमान है कि अपेक्षाकृत कम GRM के बावजूद OMC का मार्जिन ज्यादा रहेगा

Last Updated- July 17, 2023 | 12:03 AM IST
Oil Supply

कच्चे तेल की कम लागत और ज्यादा विपणन मार्जिन से वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही में तेल विपणन कंपनियों की किस्मत चमक सकती है, वहीं सिटी गैस वितरक कंपनियों को एलएनजी की कम हाजिर कीमतों का फायदा मिल सकता है।

हालांकि ऊर्जा क्षेत्र के विभिन्न सेगमेंट में वृद्धि की प्रवृत्ति विगत के मुकाबले अलग रह सकती है। विश्लेषकों का अनुमान है कि अपस्ट्रीम राष्ट्रीय तेल व गैस कंपनियों मसलन ओएनजीसी व ऑयल इंडिया के लिए गैस उत्पादन से आय घट सकती है, जिसकी वजह 1 अप्रैल से लागू देसी गैस कीमत की नई व्यवस्था है।

वित्त वर्ष 23 की पहली छमाही में भारी नुकसान दर्ज करने के बाद ओएमसी का विपणन मार्जिन धीरे-धीरे चार महीने में रिकवर हो गया। विश्लेषकों को उम्मीद है कि ओएमसी के नतीजे परिचालन के स्तर पर बेहतर हो सकते हैं, जिसकी वजह वित्त वर्ष 24 की पहली तिमाही में बेचे गए ईंधन पर 8-9 रुपये प्रति लीटर के ब्लैंडेड मार्जिन के कारण विपणन लाभ में हुई रिकवरी है, जो वित्त वर्ष 23 की चौथी तिमाही में 3 रुपये प्रति लीटर रही थी।

विश्लेषकों का अनुमान है कि अपेक्षाकृत कम सकल रिफाइनिंग मार्जिन (जीआरएम) के बावजूद ओएमसी का मार्जिन ज्यादा रहेगा। जीआरएम का मतलब प्रति बैरल कच्चे तेल को रिफाइंड ईंधन में बदलने से रिफाइनर को मिलने वाला लाभ है। बेंचमार्क सिंगापुर जीआरएम वित्त वर्ष 24 की पहली तिमाही में औसतन 4.1 डॉलर प्रति बैरल रहा, जो वित्त वर्ष 23 की चौथी तिमाही में 8.2 डॉलर प्रति बैरल रहा था।

साल 2022 में रिफाइंड उत्पादों की आपूर्ति घटी, जिसकी वजह रूसी तेल की आपूर्ति में अवरोध और चीन से कम पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात थी। इससे जीआरएम तेजी से बढ़कर 25.2 डॉलर प्रति बैरल की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया। इससे भारतीय रिफाइनरों ने अपनी आय में बढ़ोतरी देखी।

लेकिन पिछले साल के आखिर में मॉस्को ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में आपूर्ति बढ़ाई ताकि यूक्रेन से अपने युद्ध‍ के लिए रकम का इंतजाम कर सके। इस वजह से जीआरएम तेजी से घटा। हालांकि भारतीय तेल विपणन कंपनियों की तरफ से रूस से छूट पर तेल हासिल करना जारी है।

प्रभुदास लीलाधर ने एक रिपोर्ट में कहा, रिफाइनिंग लाभ हालांकि कम रहेगा, लेकिन विपणन मार्जिन में सुधार से तेल विपणन कंपनियों का पहली तिमाही में कर पश्चात लाभ 242.7 अरब रुपये पर पहुंच जाएगा, जो चौथी तिमाही में 211.2 अरब रुपये रहा था।

इस बीच, देसी गैस की लागत में नरमी, हाजिर एलएनजी की कीमतों में गिरावट और अल्पावधि के लिए एलएनजी की कम कीमतें सिटी गैस वितरक कंपनियों का कर पश्चात लाभ 25 फीसदी तक बढ़ा सकता है।

गैस उत्पादकों को परेशानी

राष्ट्रीय तेल कंपनियों मसलन ओएनजीसी व ओआईएल उत्पादन वॉल्यूम बनाए रख सकती हैं, लेकिन गैस से उन्हें कीमत कम मिलेगी क्योंकि गैस की कीमतें 6.5 डॉलर प्रति एएमबीटीयू पर सीमित रखी गई है।

इसके परिणामस्वरूप इन कंपनियों का परिचालन मार्जिन 36 फीसदी घट सकता है और शुद्ध‍ आय सालाना आधार पर 51 फीसदी कम हो सकती है। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने हालिया नोट में ये बातें कही है।

भारत का करीब 83.3 फीसदी प्राकृतिक गैस ओएनजीसी व ओआईएल उत्पादित करती है जबकि बाकी 16.7 फीसदी उत्पादन निजी कंपनियों व संयुक्त उद्यम वाली इकाइयां करती हैं। अप्रैल में सरकार ने प्राकृतिक गैस के देसी कीमत मॉडल की खातिर प्रशासित कीमत की व्यवस्था में संशोधन किया, जो गैस कीमत पर किरीट पारिख समिति की सिफारिशों के मुताबिक है।

सरकार का एक अहम फैसला अंतिम उपभोक्ता के लिए कीमत 6.5 डॉलर प्रति एमबीटीयू सीमित करना था। यह गैस कीमतों के नए फॉर्मूले पर आधारित है, जो भारतीय क्रूड बास्केट के अंतरराष्ट्रीय कीमत का 10 फीसदी तय किया गया है।

कंपनियों को हालांकि सरकार के उस कदम से फायदा होगा, जिसके तहत कच्चे तेल के लिए अप्रत्याशित कर की दर उस स्तर पर रखा जाना है, जो इन कंपनियों के लिए शुद्ध क्रूड रियलाइजेशन 72-75 डॉलर प्रति डॉलर की दर पर सुनिश्चित करता है।

वैश्विक कीमतों में गिरावट के साथ केंद्र ने 16 मई को देसी उत्पादित कच्चे तेल पर अप्रत्याशित कर 4,100 रुपये प्रति टन से घटाकर शून्य कर दिया गया। सरकार ने पेट्रोल, डीजल व एटीएफ पर अप्रत्याशित कर अपरिवर्तित रखा था।

First Published - July 17, 2023 | 12:03 AM IST

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