facebookmetapixel
Gratuity Calculator: ₹50,000 सैलरी और 10 साल की जॉब, जानें कितना होगा आपका ग्रैच्युटी का अमाउंटट्रंप के ट्रेड एडवाइजर पीटर नवारो ने BRICS गठबंधन पर साधा निशाना, कहा- यह पिशाचों की तरह हमारा खून चूस रहा हैGold, Silver price today: सोने का वायदा भाव ₹1,09,000 के आल टाइम हाई पर, चांदी भी चमकीUPITS-2025: प्रधानमंत्री मोदी करेंगे यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो 2025 का उद्घाटन, रूस बना पार्टनर कंट्रीGST कट के बाद ₹9,000 तक जा सकता है भाव, मोतीलाल ओसवाल ने इन दो शेयरों पर दी BUY रेटिंग₹21,000 करोड़ टेंडर से इस Railway Stock पर ब्रोकरेज बुलिशStock Market Opening: Sensex 300 अंक की तेजी के साथ 81,000 पार, Nifty 24,850 पर स्थिर; Infosys 3% चढ़ानेपाल में Gen-Z आंदोलन हुआ खत्म, सरकार ने सोशल मीडिया पर से हटाया बैनLIC की इस एक पॉलिसी में पूरे परिवार की हेल्थ और फाइनेंशियल सुरक्षा, जानिए कैसेStocks To Watch Today: Infosys, Vedanta, IRB Infra समेत इन स्टॉक्स पर आज करें फोकस

बर्जर और इंडिगो पेंट्स पर नुवामा की नजर, एशियन पेंट्स को शहरी मंदी और नई प्रतिस्पर्धा से चुनौती

बड़े शहरों में मांग सुस्त, छोटी कंपनियों के क्षेत्रीय फोकस और छोटे स्केल ने दिया प्रतिस्पर्धा से बचाव

Last Updated- December 19, 2024 | 11:04 PM IST
Berger Paints

आदित्य बिड़ला और जेएसडब्ल्यू जैसे समूहों की दस्तक से पेंट सेक्टर में प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है। हालांकि, कुछ ब्रोकरेज चुनिंदा शेयरों में अवसर देख रहे हैं। उदाहरण के लिए, नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज बर्जर पेंट्स और इंडिगो पेंट्स पर दांव लगा रही है। घरेलू ब्रोकरेज पेंट उद्योग में छोटी कंपनियों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जो उद्योग की दिग्गज कंपनी एशियन पेंट्स से बर्जर और इंडिगो की ओर प्राथमिकता में बदलाव का संकेत है। ब्रोकरों को दूसरी छमाही में उभरती कंपनियों में चमकदार संभावनाएं दिख रही हैं जबकि एशियन पेंट्स के लिए चुनौती दिखती है।

नुवामा के विश्लेषक अवनीश रॉय और जैनम गोसर एशियन पेंट्स की बड़े शहरों में ज्यादा बिक्री को प्रमुख कारक मानते हैं। उनका कहना कि शहरी इलाके बढ़ती खाद्य मुद्रास्फीति, बढ़ते आवास किराये, धीमी वेतन वृद्धि और बढ़ते ब्याज भुगतान जैसी चुनौतियों से जूझ रहे हैं। ये कारक मांग पर भारी असर डाल रहे हैं।

एशियन पेंट्स को ऊंचे आधार प्रभाव और पूरे भारत में दिग्गज कंपनी बने रहने की चुनौती का भी सामना करना पड़ रहा है। शहरी बाजारों में बिड़ला ओपस जैसों के उतरने से एशियन पेंट्स पर ज्यादा दबाव आ गया है। दिलचस्प बात यह है कि इन चुनौतियों ने बर्जर और इंडिगो को उतना प्रभावित नहीं किया है। विश्लेषकों का मानना है कि उनके अपेक्षाकृत छोटे पैमाने और क्षेत्रीय फोकस ने उन्हें बड़े शहरी क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा के तत्काल दबाव से बचाया है। इस कारण पेंट सेक्टर में वे नुवामा की पसंदीदा बन गई हैं जिसने दोनों शेयरों को ‘खरीदें’ रेटिंग दी है।

ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के अनुसार हालांकि केवल एक-चौथाई विश्लेषक ही एशियन पेंट्स और बर्जर को लेकर आशावादी हैं। ब्रोकरेज फर्मों को बर्जर में अधिक तेजी (12.3 प्रतिशत) की संभावना नजर आ रही है। कन्साई नेरोलक और एक्जोनोबेल में भी उन्हें बढ़त दिख रही है। एशियन पेंट्स के मुकाबले बर्जर और इंडिगो बढ़त क्यों बना रहे हैं? इसे लेकर विश्लेषकों ने अपना नजरिया पेश किया है।

शहरी मंदी से बड़ी कंपनियों पर असर

नुवामा के विश्लेषकों का कहना है कि बड़े शहरों को पेंट सेक्टर के लिए ग्रोथ हब माना जाता रहा है। लेकिन अब उन्हें प्रमुख आर्थिक चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है। ऊंची खाद्य मुद्रास्फीति, आवास किराये में वृद्धि, कम वेतन वृद्धि और भारी ब्याज भुगतान ने मांग को कम कर दिया है। यह रुझान केवल पेंट तक ही सीमित नहीं है, बल्कि एफएमसीजी सहित सभी उद्योगों पर इसका असर दिख रहा है।

वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में ब्रिटानिया के मामले में ऐसा ही देखने को मिला। शहरी एफएमसीजी बाजार में एक-तिहाई योगदान देने के बावजूद महानगरीय उपभोक्ता गैर-महानगरीय क्षेत्रों की तुलना में 2.4 गुना सुस्ती का कारण बने। मेट्रो शहरों में अपनी मजबूत पकड़ के साथ एशियन पेंट्स ने इस मंदी का खामियाजा भुगता है। बर्जर के पास देश भर में 20.9 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी है।

लेकिन मेट्रो में उसकी उपस्थिति सिर्फ 10 प्रतिशत तक सीमित है। इसी तरह, इंडिगो इन क्षेत्रों में एक छोटी कंपनी बनी हुई है। इस अंतर ने दोनों कंपनियों को शहरी आर्थिक चुनौतियों के पूरे असर से बचने में मदद की है। इसके अलावा, बर्जर अपनी शहरी मौजूदगी लगातार बढ़ा रही है जबकि इंडिगो एक छोटे आधार से आगे बढ़ रही है।

विकास परिदृश्य बर्जर, इंडिगो के अनुकूल

विश्लेषकों के अनुसार एशियन पेंट्स के दबदबे के कारण उसका ऊंचा आधार प्रभाव है, जिससे वृद्धि में इजाफा अधिक चुनौतीपूर्ण हो गया है। 2023-24 की तीसरी तिमाही में एशियन पेंट्स की बिक्री तिमाही आधार पर 7.4 फीसदी बढ़ी जबकि बर्जर की वृद्धि 4 फीसदी रही। विश्लेषकों का मानना है कि जैसे जैसे हालात बदल रहे हैं, छोटी कंपनियां भी अपनी रफ्तार बढ़ा रही हैं।

नई प्रतिस्पर्धा का असर

विश्लेषकों का मानना है कि पूरे भारत में मौजूदगी वाली कंपनी होने से एशियन पेंट्स को बढ़ती प्रतिस्पर्धा का ज्यादा सामना करना पड़ सकता है। उदाहरण के लिए, बिरला ओपस के प्रवेश ने बाजार में उथल-पुथल मचा दी है, खासकर मेट्रो शहरों में, जहां एशियन पेंट्स की मजबूत उपस्थिति है। नई कंपनी आमतौर पर अपने शुरुआती प्रवेश के दौरान बाजार की अग्रणी को अधिक नुकसान पहुंचाती है, जबकि बर्जर और इंडिगो जैसी क्षेत्रीय कंपनियां कम दबाव महसूस करती हैं।

First Published - December 19, 2024 | 11:04 PM IST

संबंधित पोस्ट