बिजली बनाने वाली सरकारी कंपनी NTPC Ltd अगले महीने राजस्थान के बांसवाड़ा में अपनी 2,800 मेगावाट (MW) क्षमता वाली न्यूक्लियर पावर प्रोजेक्ट की आधारशिला रखेगी। यह कदम कंपनी के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में प्रवेश का प्रतीक है। परियोजना में चार प्रेशराइज्ड हेवी वॉटर रिएक्टर (PHWRs) होंगे, जिनमें से प्रत्येक की क्षमता 700 मेगावाट होगी।
NTPC के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर गुरदीप सिंह ने BloombergNEF समिट में कहा, “हमने यह सही निर्णय लिया है कि हम परमाणु ऊर्जा में बहुत आक्रामक कदम उठाएंगे। हमारा लक्ष्य 2047 तक 30 गीगावाट (GW) परमाणु ऊर्जा क्षमता जोड़ने का है।” उन्होंने यह भी बताया कि NPCIL के साथ मिलकर चल रही परियोजना की आधारशिला अगले महीने रखी जाएगी। यह प्रक्रिया बहुत नजदीक है।
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NTPC योजना बना रही है कि वह परमाणु ऊर्जा परियोजनाएं दो रूपों में स्थापित करे – एक तो भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड (NPCIL) के साथ मौजूदा ज्वाइंट वेंचर (JV) के तहत, जिसे अणुशक्ति विद्युत निगम लिमिटेड (ASVINI) कहा जाता है, और दूसरा स्वतंत्र परियोजनाओं के रूप में।
माही बांसवाड़ा परियोजना इस ज्वाइंट वेंचर के तहत स्थापित की जा रही है, जिसमें NTPC की हिस्सेदारी 49 प्रतिशत है। राजस्थान परियोजना की पहली यूनिट 2031 में चालू करने की योजना है तथा पूरा प्लांट 2036 में चालू किया जाएगा।
सिंह ने कहा, “उस समय तक हम कई अन्य प्लांट्स पर भी काम शुरू कर देंगे। हम हम टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स (TCE), L&T, EDF, रोसाटॉम, होल्टेक और कुछ अंतरराष्ट्रीय सलाहकारों के साथ चर्चा कर रहे हैं।” NTPC सेवा और तकनीकी प्रदाताओं के साथ साझेदारी करने के लिए उत्सुक है और देशभर में कई संभावित स्थलों का अध्ययन कर रहा है।
फिलहाल भारत में 8,800 MW स्थापित परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षमता है, और इसे 2047 तक 200,000 MW (या 200 GW) तक बढ़ाने की योजना है। इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के प्रयासों के तहत सरकार ने पिछले केंद्रीय बजट में लगभग 20,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था।
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सिंह ने कहा, “वर्तमान में 6,600 MW की निर्माणाधीन परियोजनाओं पर काम चल रहा है और अतिरिक्त 7,000 MW क्षमता विभिन्न विकास चरणों में है, जिसमें हमारा माही बांसवाड़ा परियोजना भी शामिल है। इन प्लांट्स के 2030 तक चालू होने की संभावना है। इससे हमारी कुल क्षमता लगभग 20 GW तक पहुंच जाएगी। NPCIL का लक्ष्य 2047 तक 50-55 GW क्षमता हासिल करना है।”
सिंह के अनुसार, जैसे-जैसे देश 2036-37 की ओर बढ़ेगा, वह सालाना लगभग 10 GW परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षमता जोड़ने की स्थिति में होगा। उन्होंने कहा, “इसका कारण यह है कि 3-4 स्थलों पर काम चल रहा होगा और इन परमाणु ऊर्जा प्लांट्स के लिए विशेष अनिवार्य जोन भी निर्धारित किया गया है।”
परमाणु ऊर्जा की कम उत्सर्जन प्रोफाइल और इसे ग्रिड के लिए बेसलोड सोर्स के रूप में इस्तेमाल करने के कारण, सरकार परमाणु ऊर्जा क्षमता बढ़ाने के लिए कई कदम उठाने पर काम कर रही है। इसमें संवेदनशील उद्योग में निजी क्षेत्र को प्रवेश की अनुमति देना भी शामिल है।