मॉरीशस के प्रतिभूति बाजार नियामक ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट के खुलासे के बाद कथित तौर पर अदाणी समूह से संबंधित 38 वैश्विक कंपनियों और 11 फंडों की प्रारंभिक जांच पूरी कर ली है। फाइनैंशियल सर्विसेज कमीशन (एफएससी) के मुख्य कार्याधिकारी धनेश्वरनाथ विकास ठाकुर के अनुसार शुरुआती जांच में उन्हें कानून का कोई उल्लंघन नहीं दिखा है। उन्होंने कहा कि एफएससी भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के साथ सूचनाओं का आसान-प्रदान करता है लेकिन यह प्रारंभिक जांच रिपोर्ट अब तक साझा नहीं की गई है।
ठाकुर ने कहा, ‘हमने मॉरीशस में उस समूह (अदाणी समूह) से संबंधित बताई जा रही सभी कंपनियों की शुरुआती जांच की है और प्राप्त सूचनाओं के आधार पर हमें नियमों का अनुपालन नहीं होने की कोई घटना फिलहाल नहीं दिखी है।’ उन्होंने कहा कि जब भी मीडिया में ऐसी खबरें आती हैं तो जांच करनी पड़ती है।
ठाकुर ने कहा, ‘हमने प्रबंधन कंपनियों से अनुपालन रिपोर्ट जमा कराने का आग्रह किया है। अब तक प्राप्त सूचनाओं के आधार पर हमें किसी कानून का उल्लंघन नहीं दिखा है।वास्तविकता यह है कि इनमें से तमाम कंपनियां हमारे नियमित निरीक्षण में भी शामिल थीं। हमें धन शोधन रोधी कानून अथवा आतंकवाद को वित्तीय मदद देने के खिलाफ कानून का कोई उल्लंघन नहीं दिखा है।’
ठाकुर ने कहा कि एफएससी भारतीय बाजार नियामक सेबी के साथ सहयोग कर रहा है और इसके तहत सूचनाओं का नियमित आदान-प्रदान किया जाता है। उन्होंने कहा, ‘सेबी मामले की जांच कर रहा है। इसलिए यदि कोई समस्या है तो उसके बारे में सेबी बताएगा। फिलहाल हमें अदाणी समूह से संबंधित फर्मों में ऐसा कुछ नहीं दिखा है जिस पर सवाल उठता हो।’
ठाकुर से जब पूछा गया कि मॉरीशस अपनी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट को सेबी के साथ साझा करेगा या नहीं तो उन्होंने कहा, ‘यह हमारी आंतरिक रिपोर्ट है। सेबी समय-समय पर खास जानकारी का अनुरोध करता है और हमें साइट पर जाकर रिपोर्ट जमा करनी पड़ती है। इसके लिए एक अलग रास्ता है।’
मॉरीशस के वित्तीय सेवा एवं सुशासन मंत्री महेन कुमार सीरुत्तुन ने कहा कि दोनों देशों के नियामकों के बीच नियमित तौर पर सूचनाओं का आदान-प्रदान होता रहता है। ऐसा केवल अदाणी समूह के संबंध में नहीं बल्कि अन्य कंपनियों के संबंध में भी किया जाता है।
उन्होंने कहा, ‘एफएससी से जब भी ऐसा कोई अनुरोध किया जाएगा तो वह सूचना उपलब्ध कराएगा क्योंकि इसके लिए दोनों पक्षों के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर किए जा चुके हैं। यदि सेबी किसी कंपनी की जांच कर रहा हो और वह कोई ऐसी सूचना उपलब्ध कराने का अनुरोध करे जो मॉरीशस के न्यायिक अधिकार क्षेत्र में हो तो एफएससी सूचना उपलब्ध कराएगा।’
ठाकुर से जब पूछा गया कि मॉरीशस इस मामले में खुद ही खुलासा क्यों नहीं कर रहा जबकि भारतीय कंपनियों द्वारा किए गए निवेश सार्वजनिक जांच के दायरे में आ गए हैं तो उन्होंने कहा कि ऐसा करने से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोग मॉरीशस को कोसने लगेंगे। उन्होंने कहा, ‘स्वत: खुलासा करना उतना आसान नहीं है क्योंकि आप अपने खाते की सूचनाएं सार्वजनिक नहीं करना चाहेंगे। जिस तरीके से ये आरोप लगाए गए हैं उससे हम सीधे तौर पर आगे नहीं बढ़ सकते।’