सरकार भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम के लिए एंकर निवेशकों की लॉक-इन अवधि और धनाढ्य निवेशकों की तरफ से आने वाले निवेश पर तय सीमा से जुड़ी शर्तों में ढील देने के लिए कह सकती है। ये नई शर्तें हाल में ही प्रभाव में आई हैं और इन्हें अब तक किसी आईपीओ पर नहीं आजमाया गया है। सरकार इस संबंध में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) और भारत रिजर्व बैंक को जल्द औपचारिक निर्देश दे सकती है। इस पूरे मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने इसकी जानकारी दी।
एंकर निवेशकों के लिए आरक्षित श्रेणी में 50 प्रतिशत निवेशकों के लिए 1 अप्रैल 2022 से 30 दिनों की लॉक इन अवधि (निवेश बनाए रखने का न्यूनतम समय) बढ़ाकर 90 दिनों तक कर दी गई है। इस बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) द्वारा आने वाले निवेश की सीमा 1 करोड़ रुपये तय कर दी है। पहले ऐसी कोई सीमा तय नहीं थी। एलआईसी के आईपीओ का प्रबंधन करने वाले एक निवेश बैंकर ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि सरकार सेबी और आरबीआई को एंकर निवेशकों के संबंध में लॉक-इन से जुड़ी शर्तों में ढील देने के लिए कहे। अगर सरकार आईपीओ में निवेश पर 1 करोड़ रुपये की निर्धारित सीमा में भी ढील देती है तो और अच्छी बात होगी। एलआईसी का आईपीओ ऐसे समय में आ रहा है कि जब बाजार में काफी अनिश्चितताएं हैं और इन्हें ध्यान में रखते हुए सरकार को एलआईसी के आईपीओ पर इन नए नियमों को नहीं आजमाना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि सरकार इस संबंध में जल्द ही सेबी और रिजर्व बैंक को औपचारिक निर्देश दे सकती है। पुरानी शर्तों के अनुसार एंकर निवेशकों को आवंटन की तिथि से अगले 30 दिनों तक शेयर बेचने की अनुमति नहीं थी। मगर निवेशकों का उत्साह बढ़ाने और उन्हें दीर्घ अवधि तक निवेश बनाए रखने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए सेबी ने कहा है कि लॉक इन अवधि 50 प्रतिशत एंकर निवेशकों के लिए 90 दिनों की होगी और शेष 50 प्रतिशत के लिए यह 30 दिन ही रहेगी।
समझा जा रहा है कि देसी बाजार में आए किसी भी अन्य आईपीओ की तुलना में एलआईसी में एंकर निवेशकों की हिस्सेदारी सबसे अधिक होगी। ब्लैकरॉक, अबू धाबी इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी, सिंगापुर की जीआईसी, कनाडा की सीपीपीआईबी, फिडेलिटी और कैपिटल इंटरनैशनल उन बड़े निवेशकों में शामिल हैं, जो एंकर निवेशकों की श्रेणी में निवेश करेंगी। इनके अलावा एसबीआई एमएफ, आदित्य बिड़ला सन लाइफ, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एमएफ और एचडीएफसी एमएफ सहित सभी दिग्गज म्युचुअल फंड कंपनियां भी इसमें शिरकत कर सकती हैं।