सरकार और कंपनियों ने दिसंबर तिमाही के दौरान 6.1 लाख करोड़ रुपये की सड़क, कारखाने एवं अन्य नई परियोजनाएं शुरू कीं। यह एक साल पहले के मुकाबले 44.3 फीसदी अधिक है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (सीएमआईई) के आंकड़ों से यह खुलासा हुआ है। विशेषज्ञों के अनुसार निजी क्षेत्र की कंपनियां भविष्य में इस प्रकार के पूंजीगत खर्च के लिए योजना बनाने से पहले इस बार के केंद्रीय बजट पर नजर रख सकती हैं। यह बजट 2024 में लोकसभा चुनाव से पहले मौजूदा सरकार का आखिरी प्रमुख बजट है।
आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि तैयार परियोजनाओं में साल भर पहले के मुकाबले 49.9 फीसदी गिरावट दर्ज की गई, जबकि परियोजनाएं अटकने की दर में 87.5 फीसदी की कमी आई। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के लिए प्रबंधन के बयानों से पता चलता है कि निजी क्षेत्र के मुकाबले सरकारी निवेश अधिक रहा।
भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल) ने 11 नवंबर 2022 को निवेशकों से बातचीत में कहा था, ‘पूंजीगत खर्च पर सरकार द्वारा जोर दिए जाने से परिवहन, इस्पात, रिफाइनरी, रक्षा आदि प्रमुख क्षेत्रों में मौजूद अवसरों का पता चलता है।’ कंपनी ने कहा कि लोकोमोटिव के लिए ऑर्डर, सब-स्टेशन के लिए बिजली क्षेत्र से ऑर्डर और रिफाइनरी क्षेत्र में निजी एवं सरकारी कंपनियों से कंप्रेशर के लिए ऑर्डर मिल रहे हैं।
बुनियादी ढांचा कंपनी लार्सन ऐंड टुब्रो ने 31 अक्टूबर को निवेशकों से बातचीत में कहा कि पहली छमाही के दौरान केंद्र सरकार और सार्वजनिक उपक्रमों के पूंजीगत खर्च में उछाल दिख रही है। राज्य सरकारों के पूंजीगत खर्च में तेजी आना अभी बाकी है, लेकिन वह दूसरी तिमाही में पहले के मुकाबले बेहतर रहा। खनिज एवं धातु क्षेत्रों में भवन निर्माण, कारखाने आदि के लिए ऑर्डर बढ़े हैं।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने निजी क्षेत्र के पूंजीगत खर्च के सामान्य रुझान के बारे में कहा कि वह कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित है। इस्पात, सीमेंट, रसायन और पूंजीगत वस्तु जैसे क्षेत्रों में कुछ आकर्षण दिख सकता है। लेकिन खपत, निर्यात और निवेश के मोर्चे पर चुनौतियां बरकरार रहेंगी।