सत्यम के खातों में हेराफेरी के खुलासे के बाद कंपनी की पूर्व ऑडिट कंपनी प्राइस वाटरहाउस को हटा दिया गया ।
उसकी जगह सरकार की ओर गठित नए बोर्ड ने दो प्रमुख वैश्विक ऑडिटिंग कंपनियों- केपीएमजी और डेलायट को कंपनी के ऑडिट में हुई धांधली की जांच के लिए नामित किया है।
जबकि धांधली के खेल में शामिल होने का आरोप झेल रही कंपनी की पूर्व ऑडिट फर्म प्राइस वाटरहाउस ने यह तो माना है कि उनके ऑडिटरों की ओर से की गई ऑडिट रिपोर्ट को पूरी तरह से सही नहीं माना जा सकता लेकिन यह दलील भी दी है कि कंपनी के ऑडिटर्स ने कोई फर्जीवाड़ा नहीं किया है,
बल्कि प्रबंधन की ओर से उन्हें जो जानकारी और दस्तावेज मुहैया कराए गए थे, उन्हीं के आधार पर कंपनी के खातों की ऑडिट की गई।
दरअसल, ऑडिट फर्म की ओर से सेबी और कंपनी बोर्ड को लिखे पत्र में कहा गया कि राजू के पत्र के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता कि खातों में पूरी तरह से हेराफेरी की गई है।
संभव है कि कंपनी की वित्तीय स्थिति खराब हो। ऐसे में बिना पूरी जांच के ऑडिट फर्म को दोषी नहीं माना जा सकता। उधर, सत्यम के बोर्ड के सदस्य सी. अच्युतन ने कहा कि हमने सत्यम के वित्तीय आंकड़ो की समीक्षा के लिए डेलायट और केपीएमजी को नियुक्त करने का फैसला किया है।
उन्होंने कहा कि दोनों कंपनियों से जल्द से जल्द अपना काम पूरा करने को कहा गया है। सूत्रों का कहना है कि इन दोनों कंपनियों में भी कुछ कर्मचारी ऐसे हैं, जो प्राइस वाटरहाउस में पहले काम कर चुके हैं।
लेकिन उन्हें सत्यम के खातों की ऑडिट के काम में नहीं लगाया जाएगा। उल्लेखनीय है कि सत्यम के खातों और इसमें प्राइस वाटरहाउस की भूमिका की जांच के बीच यह नियुक्ति की गई है।
इधर, पूर्व ऑडिट कंपनी ने नवगठित बोर्ड को लिखे एक पत्र में कहा कि वह कंपनी के साथ जांच के काम में सहयोग करना चाहेगी और नए निदेशक मंडल को इसमें पूरी सहायता प्रदान करेगी, ताकि जांच के दौरान पैदा किसी मसले का समाधान ढूंढा जा सके।
कंपनी ने पहले कहा था कि सत्यम का ऑडिट उचित ऑडिट प्रमाण और मान्य मानकों के अनुसार किया गया है।