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परिसमापन प्र​क्रिया में सख्ती की जरूरत

Last Updated- December 11, 2022 | 6:16 PM IST

भारतीय ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवालिया बोर्ड (आईबीबीआई) ने ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता (आईबीसी) के तहत परिसमापन नियमों में कुछ बदलावों का प्रस्ताव रखा है ताकि इनमें विसंगतियां दूर की जा सकें और इस प्रक्रिया में परिसमापक को ज्यादा जवाबदेह बनाया जा सके।
प्रस्तावित बदलावों के तहत बोर्ड ने ऋणदाताओं की अधिकार प्राप्त समिति (सीओसी) को हितधारकों की परामर्श समिति (एससीसी) के रूप में काम करने का अधिकार दिया है। एससीसी आम तौर पर परिसमापन की प्रक्रिया शुरू होने की तारीख के 60 दिनों के भीतर गठित होती है। यह शुरुआत से ही इस प्रक्रिया पर नजर रखती है। यह भी प्रस्ताव रखा गया है कि अब ऋणदाता परिसमापक का काम संतोषजनक नहीं होने पर बहुमत से उसे बदल सकते हैं। एससीसी परिसमापन की निगरानी व्यवस्था के रूप में ठीक उसी तरह काम करती है, जिस तरह ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) कंपनी की दिवालिया प्रक्रिया में करती है।
आईबीबीआई ने मंगलवार को जारी एक विमर्श पत्र में कहा कि उसके विचार में परिसमापक नियुक्ति (मूल्यांनकर्तांओं समेत) और परिसंपत्तियों की बिक्री के संबध में पहले 60 दिन (एससीसी के गठन से पहले) में अहम फैसले  लेता है। उसे इन फैसलों का अधिकार देने और एससीसी से पहले उसे तैनात करने पर परिसमापक की जवाबदेही कम हो जाती है।
परिसमापन नियमनों में प्रस्तावित संशोधन इसलिए किए गए हैं क्योंकि समाधान प्रक्रिया में समाधान पेशेवर की तरह परिसमापक की जवाबदेही बढ़ाने की जरूरत महसूस की जा रही थी। आईबीबीआई ने कहा, ‘परिसमापन प्रक्रिया के दौरान भागीदारों को सशक्त करने के लिए यह प्रस्ताव रखा गया है कि एससीसी कम से कम 66 फीसदी मतों के साथ परिसमापक को बदलने का प्रस्ताव रख सकती है। यह प्रस्तावित समापक की नियुक्ति के लिए फैसला लेने वाली संस्था के समक्ष आवेदन दाखिल कर सकती है।’
कानून के हिसाब से किसी ऋणी कंपनी का परिसमापन इसकी शुरुआत के एक साल के भीतर (दो साल से घटाकर 1 साल किया गया) हो जाना चाहिए, लेकिन आईबीबीआई ने पाया है कि ऐसा मुश्किल से ही निर्धारित समय में हो पाता है। इसने प्रस्ताव रखा है कि प्रक्रिया शुरू होने के बाद प्रवर्तकों और अन्य हितधारकों के लिए कर्जदाताओं के साथ समझौते के जरिये दोबारा नियंत्रण हासिल करने के लिए समय सीमा घटाकर 30 दिन की जाए। इस समय यह अवधि 90 दिन है। समझौते  के जरिये 31 मई तक केवल 8 परिसमापन प्रक्रियाएं बंद हुई हैं। इनके पूरा होने में औसतन 466 दिन का समय लगा और इन आठ मामलों में परिसमापक को परिसमापन मूल्य की 87 फीसदी राशि प्राप्त हुई।
नांगिया एंडरसन एलएलपी में पार्टनर विश्वास पंजियार ने कहा, ‘आईबीबीआई के प्रस्ताव सही दिशा में उठाए गए कदम हैं। इनसे परिसंपत्तियों का व्यवस्थित और समयबद्धनिपटारा तथा परिसमापन प्रक्रिया का समापन सुनिश्चित होगा ताकि बेकार पड़े संसाधन मुक्त हो सकें और अधिकतम मूल्य सृजन हो। ‘

First Published - June 16, 2022 | 12:33 AM IST

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