राष्ट्रीय कंपनी कानून पंचाट (एनसीएलटी) के अहदाबाद बेंच ने इंडियन रिन्यूएबल डेवलपमेंट एजेंसी (इरेडा) की याचिका पर जेनसोल इंजीनियरिंग को दिवालिया प्रक्रिया में शामिल करने की मंजूरी दे दी। जेनसोल इंजीनियरिंग ही इलेक्ट्रिक-कार राइड-हेलिंग प्लेटफॉर्म ब्लूस्मार्ट का संचालन और प्रबंधन करती थी। इरेडा ने 510 करोड़ रुपये की चूक का हवाला देते हुए यह याचिका दायर की थी।
यह याचिका ऋणशोधन अक्षमता और दिवाला संहिता (आईबीसी) की धारा 7 के तहत दायर की गई थी। इसमें किसी वित्तीय लेनदार या ऋणदाता की ओर से दाखिल याचिका पर कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) शुरू करने का ब्योरा दिया गया है।
न्यायिक सदस्य शम्मी खान और तकनीकी सदस्य संजीव कुमार के कोरम ने कंपनी को दिवालियापन के लिए मंजूर कर लिया। अलबत्ता एनसीएलटी बेंच ने कहा कि वे इरेडा के सुझाए गए समाधान पेशेवर को नियुक्त नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसके बजाय भारतीय ऋणशोधन अक्षमता और दिवाला बोर्ड (आईबीबीआई) की सूची में से किसी समाधान पेशेवर को नियुक्त किया जाएगा।
दिन में बाद में एनसीएलटी के उसी बेंच ने इरेडा की अन्य याचिका पर जेनसोल ईवी लीज लिमिटेड को भी दिवाला प्रक्रिया में शामिल करने की मंजूरी दे दी, जिसमें 219 करोड़ रुपये की चूक का जिक्र है। एनसीएलटी के अहमदाबाद बेंच ने 11 जून को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, यह देखते हुए कि जेनसोल ने डिफॉल्ट की मांग पर कोई आपत्ति नहीं जताई है।
पंचाट ने 16 मई को इरेडा की दिवाला याचिका पर सुनवाई पर सहमति जताई थी, लेकिन तब समाधान पेशेवर (आईआरपी) की नियुक्ति से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि पहले जेनसोल इंजीनियरिंग को सुना जाना चाहिए।
इरेडा के वकील ने पंचाट से कंपनी की देखभाल के लिए किसी की नियुक्त का भी आग्रह किया था, यह कहते हुए कि नियामकीय जांच के बीच उसके प्रवर्तकों के कथित तौर पर भाग जाने के बाद जेनसोल ‘बिना नेतृत्व’ के हो गई है।
वकील ने एनसीएलटी को बताया, ‘महोदय, सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) के आदेश के प्रभाव से कंपनी अब नेतृत्व विहीन है। निदेशक बाहर हो चुके हैं और कंपनी के पास करोड़ों रुपये की परियोजनाएं हैं। किसी को काम का प्रबंधन करने की आवश्यकता है।’
वित्तीय लेनदार ने जेनसोल में आंतरिक नियंत्रण और कॉरपोरेट प्रबंधन के मानदंडों को पूरी तरह से रोकने का भी आरोप लगाया। इसमें प्रवर्तकों पर सूचीबद्ध कंपनी को इस तरह चलाने का आरोप लगाया गया जैसे कि यह उनकी मालिकाना कंपनी हो। ब्लूस्मार्ट ने 16 अप्रैल को अपने परिचालन वाले तीन शहरों – दिल्ली-एनसीआर, बेंगलूरु और मुंबई के कुछ हिस्सों में कैब बुकिंग रोक दी थी।