राष्ट्रीय कंपनी विधि पंचाट (NCLT) ने जेट एयरवेज (Jet Airways) की समाधान योजना को क्रियान्वित करने और ठप पड़ी विमानन कंपनी को चालू करने के लिए पूंजी निवेश के वास्ते कैलरॉक-जालान कंसोर्टियम के आवेदन को मंजूरी दे दी।
पंचाट ने जेट एयरवेज के कर्मचारियों और लेनदारों का बकाया चुकाने के लिए कंसोर्टियम को 16 नवंबर से 180 दिन की मोहलत भी दी है। एनसीएलटी के इस आदेश का मतलब है कि विमानन कंपनी पर अब कंसोर्टियम का कब्जा हो जाएगा। हालांकि उद्योग के सूत्रों ने बताया कि कंसोर्टियम को कानूनी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ सकता है क्योंकि जेट एयरवेज के ऋणदाता एनसीएलटी के आदेश को अदालत में चुनौती दे सकते हैं। सुनवाई के दौरान बैंकों का पक्ष रखते हुए रोहन राजाध्यक्ष ने आदेश के क्रियान्वयन पर दो हफ्ते की रोक लगाने की मांग की थी, लेकिन पंचाट ने उनकी याचिका खारिज कर दी।
कैलरॉक-जालान कंसोर्टियम ने जेट एयरवेज का स्वामित्व सौंपने के एनसीएलटी के आदेश का स्वागत किया है। कंसोर्टियम ने कहा, ‘इस बारे में विस्तृत जानकारी के लिए हम आदेश के ब्योरे का इंतजार कर रहे हैं। हम आसमान में फिर उड़ान भरने के लिए तत्पर हैं।’ जेट एयरवेज अप्रैल, 2019 से ही ठप पड़ी है। कैलरॉक-जालान कंसोर्टियम द्वारा सौंपी गई पुनुरुद्धार योजना को ऋणदाताओं की समिति ने अक्टूबर, 2020 में मंजूरी दी थी। एनसीएलटी ने जून, 2021 को इस समाधान योजना पर मुहर लगा दी। योजना के मुताबिक समाधान प्रस्ताव लागू करने से पहले कंसोर्टियम को पांच शर्तें पूरी करनी थी।
पिछले साल अक्टूबर में कंसोर्टियम ने पंचाट में याचिका दायर कर पांच शर्तें पूरी करने का तरीका पूछा था। ये शर्तें थीं – विमान परिचालक प्रमाणपत्र का सत्यापन, कारोबारी योजना पेश करना, स्टॉल आवंटन को मंजूरी, कानून के अनुसार अंतरराष्ट्रीय यातायात अधिकार की मंजूरी और ग्राउंड हैंडलिंग कारोबार को अलग करना। मगर ऋणदाताओं ने कहा कि कंसोर्टियम ने पहले की शर्तें पूरी नहीं की हैं। साथ ही उन्होंने मालिकाना नियंत्रण सौंपे जाने का भी विरोध किया।
अपील पंचाट ने पिछले अक्टूबर में विमानन कंपनी के पूर्व कर्मचारियों को ग्रैच्युटी और भविष्य निधि के लिए 200 करोड़ रुपये से ज्यादा चुकाने का आदेश दिया था। यही आदेश दोनों पक्षों के बीच विवाद का कारण बन गया है। मगर अब मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है। अपील पंचाट के आदेश के मुताबिक इस मद में भुगतान की जिम्मेदारी कंसोर्टियम की है मगर एक साल पहले मंजूर की गई पुनरुद्धार योजना के तहत ऋणदाताओं को कुल भुगतान की सीमा तय कर दी गई थी।
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समाधान योजना के अनुसार कैलरॉक-जालान कंसोर्टियम ने 1,375 करोड़ रुपये निवेश का प्रस्ताव दिया था। इसमें 900 करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय और कार्यशील पूंजी के तौर पर लगाने की बात थी और सभी ऋणदाताओं के दावे निपटाने के लिए 475 करोड़ रुपये रखे गए थे। स्वीकृत योजना में एक प्रावधान था, जिसके मुताबिक हितधारकों के दावे निपटाने के लिए कंसोर्टियम अधिकतम 475 करोड़ रुपये ही देगा।