मुंबई हवाईअड्डा ने जुलाई से कर्मचारियों और विक्रेताओं के भुगतानों को रोक कर रखा है। भुगतान में देरी की वजह एसक्रो खाते से पैसे के उपयोग पर यथास्थिति को बनाए रखने का अदालत की ओर से दिया गया आदेश है। मुंबई हवाईअड्डे के स्वामित्व में भी बदलाव होने वाला है। हवाईअड्डे की सभी प्राप्तियों को एस्क्रो खाते में रखा जाता है। मुंबई इंटरनैशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (मायल) के पास मध्य जुलाई से उस खाते के पैसे तक कोई पहुंच नहीं है। हवाईअड्डा परिचालक ने पिछले हफ्ते एक हलफनामे में यह जानकारी दी।
यह हलफनामा इंडियन एयरपोर्ट्स एंप्लायीज यूनियन की ओर से दी गई याचिका के जवाब में दायर की गई थी। यह यूनियन ट्रॉली सेवा कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करता है जो मायल के प्रत्यक्ष कर्मचारी नहीं हैं। कर्मचारियों के इस संघ ने हवाईअड्डे की ओर से नियुक्त किए गए निजी ठेकेदार द्वारा वेतन का भुगतान नहीं किए जाने पर बॉम्बे उच्च न्यायालय का रुख किया था।
अपने हलफनामे में मायल ने कहा कि यथास्थिति को बनाए रखने का आदेश दिल्ली उच्च न्यायालय ने उसका भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) के साथ फोर्स मेजर विवाद पर सुनवाई करते हुए दिया था और उसने इस बात से इनकार किया कि उसके बैंक खाते पर केंद्रीय जांच ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशालय ने रोक लगा दी थी।
कर्मचारी संघ का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील जेन कोक्स ने कहा, ‘कर्मचारियों को उनके काम का भुगतान नहीं किया जा रहा है और कोविड-19 के कारण उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। हम दिल्ली उच्च न्यायालय से इस बात पर स्पष्टीकरण मांगेंगे कि वेतन का भुगतान करने के लिए एस्क्रो खाते के परिचालन की अनुमति दी जाए।’
हवाईअड्डे के एक कर्मचारी ने कहा, ‘कर्मचारी के वेतन भुगतान में कभी देरी नहीं की गई थी। यहां तक की महीना पूरा होने से पहले ही वेतन मिल जाता था लेकिन अब कोविड-19 के कारण हमें पहली बार वेतन कटौती का सामना करना पड़ा और अब इसमें हो रही देरी से जूझना पड़ रहा है।’ विक्रेताओं ने भी इस बात की शिकायत की है कि उन्हें उनकी सेवाओं के बदले बहुत कम भुगतान किया जा रहा है।
मुंबई हवाईअड्डे को रियल एस्टेट विकास में देरी के चलते पहले ही दबाव और रेटिंग में कमी से गुजरना पड़ रहा है, कोविड-19 की स्थिति ने उसकी हालत को और अधिक खराब कर दिया है।
मुंबई हवाईअड्डे ने एएआई के साथ राजस्व साझेदारी समझौते को निलंबित करने के लिए मार्च महीने में फोर्स मेजर नियम को लागू किया था। 2006 के एक समझौते के तहत मायल अपने राजस्व का 38.7 फीसदी एएआई को भुगतान करती है।
लेकिन एएआई जुलाई तक केवल 3 महीने के लिए भुगतान टालने पर राजी हुआ।
