काम करने के लिहाज से दिग्गज प्रौद्योगिकी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने दोबारा भारत में सबसे अच्छी कंपनी का तमगा हासिल कर लिया है। रेंडस्टैड एम्प्लायर ब्रांड रिसर्च रिपोर्ट 2024 के अनुसार कंपनी को 2022 में भी देश में उत्कृष्ट नियोक्ता के तौर पर शीर्ष स्थान मिला था, लेकिन 2023 में वह इस उपलब्धि को बरकरार नहीं रख पाई। यह रिपोर्ट बुधवार को जारी की गई।
इस साल लगभग 3,507 लोगों से बातचीत के आधार रिपोर्ट तैयार की गई है। माइक्रोसॉफ्ट के बाद सबसे अच्छी नियोक्ता कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज और फिर एमेजॉन का नंबर है। नौकरी के लिहाज से बेहतरीन कंपनी का आकलन करने के लिए कार्य-जीवन संतुलन, करियर में तरक्की, प्रतिष्ठा, वित्तीय स्थिति और नौकरी की सुरक्षा जैसे दस मानक निर्धारित किए गए थे। इन्हीं के आधार पर यह सूची तैयार की गई।
माइक्रोसॉफ्ट ने इन दस मानकों में से वित्तीय स्थिति, प्रतिष्ठा और करियर संभावनाओं जैसे तीन मानकों में सबसे अच्छा प्रदर्शन किया, जिनके आधार पर कंपनी को काम के लिहाज से सबसे बेहतर कंपनी आंका गया। टीसीएस ने भी अपनी पूर्व की स्थिति में सुधार किया है। यही वजह रही कि 2023 में चौथे नंबर से आगे बढ़कर यह कंपनी दूसरे स्थान पर आ गई है, जबकि एमेजॉन इस वर्ष एक स्थान नीचे खिसक गई।
पिछले साल शीर्ष ब्रांड आंका गया टाटा पावर कंपनी इस बार चौथे नंबर पर खिसक गया। टाटा का ही एक और ब्रांड टाटा मोटर्स 5वें नंबर रहा। विशेष यह कि काम करने के लिए सबसे आकर्षक ब्रांड का तमगा पाने वाली शीर्ष पांच कंपनियों को यह रेटिंग उनकी बेहतर वित्तीय स्थिति और अच्छी प्रतिष्ठा के कारण मिली है।
टाटा मोटर्स की रेटिंग बढ़ाने में जिस कारक ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई वह है ऑटो और ऑटो-उपकरण उद्योग की तरफ बढ़ता रुझान। बेहतर काम के लिहाज से इस वर्ष ऑटो उद्योग को शीर्ष क्षेत्र आंका गया है। इसके बाद आईटी, कम्यूनिकेशन, टेलीकॉम और आईटीईएस तथा एफएमसीजी, ड्यूरेबल्स, रिटेल और फिर ई-कॉमर्स का नंबर आता है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कर्मचारियों के लिए कार्य-जीवन संतुलन आज भी शीर्ष प्राथमिकताओं में शामिल रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बेबी बूमर्स (1946 से 1964 के बीच पैदा हुए लोग) और उच्च शैक्षिक योग्यता वाले पेशेवरों के लिए वेतन और अन्य लाभ खासा महत्त्व रखते हैं। हालांकि इन समूहों में शामिल लोग समानता और कार्य-जीवन संतुलन जैसे गैर भौतिक लाभों को भी उतना ही जरूरी मानते हैं।
इसके अलावा, सर्वे में शामिल 43 प्रतिशत पेशेवरों ने कहा कि वे अगले छह महीनों में अपनी नौकरी बदलना चाहते हैं। नौकरी बदलने की इच्छा जाहिर करने वाले लोगों में 51 प्रतिशत ने इसका प्रमुख कारण कार्य-जीवन में संतुलन को सुधारना बताया, जबकि 38 प्रतिशत ने करियर की सिकुड़ती संभावनाओं के कारण नौकरी बदलने का मन बनाया है तथा 34 प्रतिशत लोग कहते हैं कि उनका वेतन कम है और वे अच्छी संभावनाओं की चाह में नौकरी बदलना चाहते हैं।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि धीरे-धीरे भारतीय कार्य स्थलों पर आर्टिफिशल इंटेलिजेंस भी अपनी जगह बनाता जा रहा है, क्योंकि हर दो में से एक कर्मचारी हर रोज इस तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है। सर्वे में शामिल 88 प्रतिशत पेशेवरों ने कहा कि अगले पांच साल में एआई उनके काम को सीधे प्रभावित करेगा।
रेंडस्टैड इंडिया के प्रबंध निदेशक और सीईओ विश्वनाथ पीएस कहते हैं, ‘कार्य स्थल पर विशिष्ट प्रतिभा वाले पेशेवरों के बीच प्रतिस्पर्धा भविष्य में भी जारी रहने की संभावना है, क्योंकि इनकी कमी लगातार बनी हुई है।’ उन्होंने कहा, ‘कर्मचारी मूल्य प्रस्ताव (ईवीपी) और कार्यबल प्राथमिकताओं के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए नियोक्ताओं को प्रतिस्पर्धी बने रहना होगा।’