अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (आईएसओ) ने अभी तक माइक्रोसॉफ्ट के ओपन ऑफिस एक्सएमएल को लेकर अंतिम परिणाम घोषित नहीं किया है।
इस निर्णय का इंतजार माइक्रोसॉफ्ट के साथ ही उसक ी प्रतिद्वंदी कंपनियों को भी बेसब्री से इंतजार है। हालांकि कई अंतरराष्ट्रीय वेबसाइट और ब्लॉग का मानना है कि माइक्रोसॉफ्ट के एक्सएमएल को अंतरराष्ट्रीय मानक का दर्जा देने के पक्ष में पर्याप्त वोट मिल चुके है।
ओपन ऑफिस के समर्थकों (वकीलों और छात्रों) द्वारा संचालित मलेशिया ब्लॉग ने जानकारी दी है कि जो देश पहले इस सॉफ्टवेयर के खिलाफ थे उनमें से कुछ देशों ने अब इसके समर्थन में वोट किया है। अब उम्मीद की जा रही है कि ओओएक्सएमएल को अंतरराष्ट्रीय मानक संगठन के मानकों पर खरा उतरने के लिए निर्धारित दो-तिहाई वोट मिल जाऐंगे।
मानक विशेषज्ञ और एक्सएमएल के प्रतिस्पर्धी ओपन डॉक्युमेंट फार्मेट के वकील एन्ड्रयू अपडेग्रोव ने भी इस बात की पुष्टि की है। कमांड लाइन वॉरियर्स नामक तीसरी वेबसाइट भी इसी बात का समर्थन करती है। अपडेग्रोव ने अपने मानक ब्लॉग पर इस बारे में लिखा है कि – अभी तक जो भी अघोषित वोट किए गए थे वो सभी खारिज किए जा चुके हैं। यह उम्मीद की जा रही है कि अब दोबारा से होने वाली वोटिंग में माइक्रोसॉफ्ट के इस सापॅफ्टवेयर को मान्यता जरूर मिल जाएगी।
अगर ऐसा हो जाता है तो इस सॉफ्टवेयर को अंतरराष्ट्रीय मानक द्वारा स्वीकृति मिल जाएगी।हालांकि सूत्रों का कहना है कि अभी परिणाम आने में एक दो दिन बाकी है तो इंतजार करना ही बेहतर विकल्प है। वोटिंग के दौरान कुछ अघोषित वोट भी हवा का रूख बदल सकते हैं। पिछले महीने 33 देशों के प्रतिनिधि मंडलों ने जिनेवा में हुई बैलट रिजोल्युशन मीटिंग (बीआरएम) में हिस्सा लिया था।
इस मीटिंग में ओओएक्सएमएल में प्रस्तावित फेरबदल के मामले पर चर्चा की गई थी। इसके बाद फास्ट ट्रैक बैलट में भाग लेने वाले लगभग 87 देशों को वोट करने के लिए 29 मार्च तक का समय दिया था। भारत ने अपने सुझावों के साथ इस सॉफ्टवेयर के खिलाफ वोट किया है। सभी देशों के वोटके बाद ही आईएसओ अपना आखिरी फैसला सुनाएगी।
कुछ ब्लॉग और वेबसाइट ने इस वोटिंग प्रक्रिया पर सवाल भी उठाए है। उनका कहना है कि मानकों को लेकर कभी भी खुलकर चर्चा नहीं की गई है। ओओएक्सएमएल को एप्पल, नॉवेल जैसी अंरराष्ट्रीय कंपनियों का समर्थन प्राप्त है। अगर भारतीय कंपनियों की बात करे तो विप्रो, इन्फोसिस, टीसीएस और नैस्सकॉम इसका समर्थन करती हैं।
जबकि आईबीएम, सन माइक्रोसिस्टम्स, रेड हैट और गूगल जैसी अंतरराष्ट्रीय और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, राष्ट्रीय सूचना केंद्र, सीडीएसी, आईआईटी मुंबई और आईआईएम अहमदाबाद ओपन डॉक्यूमेंट फार्मेट का समर्थन करते है।
वोटिंग का खेल
ना से हुई हां – चेक गण्राज्य, डेनमार्क, कोरिया, इंग्लैण्ड और आयरलैण्ड
हां पर वोट नहीं किया- फिनलैण्ड
हां से हुई ना- वेनेजुएला
नहीं किया फैसले में बदलाव- चिली, फ्रांस,जर्मनी, भारत, पोलैण्ड, दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका, कनाडा और न्यूजीलैण्ड
बदले अपने फैसले- आठ देशों ने अपने फैसले बदले, हां के लिए बस पांच वोट की जरुरत है माइक्रोसॉफ्ट को
स्रोत- कंर्सोटियम इन्फो डॉट ओआरजी