विदेशी निवेशक कंपनियां भारतीय यूनिकॉर्न के वैल्यूएशन (valuation) में लगातार गिरावट कर रहे हैं। इसी कड़ी में फिडेलिटी इन्वेस्टमेंट (Fidelity investments) ने ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस मीशो (Meesho) का वैल्यूएशन 9.7 प्रतिशत घटाकर 4.4 अरब डॉलर कर दिया है।
फिडेलिटी इन्वेस्टमेंट की तरफ से यूएस सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) में दाखिल नियामक फाईलिंग से यह जानकारी मिली है। बता दें कि फिडेलिटी ई-कॉमर्स प्लेटफार्म मीशो में एक प्रमुख निवेशक भी है।
फिडेलिटी की ई-कॉमर्स फर्म में कई फंडों जैसे वेरिएबल इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स फंड III और IV, और फिडेलिटी सेंट्रल इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो एलएलसी के जरिये हिस्सेदारी है।
मीशो के वैल्यूएशन में ऐसे समय में कमी आई है जब कई प्रमुख भारतीय यूनिकॉर्न (1 अरब डॉलर से अधिक के वैल्यूएशन वाली कंपनियां) के वैल्यूएशन में विदेशी इन्वेस्टर द्वारा कटौती की गई है।
इससे पहले एडटेक यूनिकॉर्न एरुडिटस और बायजू, फूड एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म स्विगी, कैब हिलिंग प्लेटफॉर्म ओला, फिनटेक कंपनी पाइन लैब्स और ऑनलाइन फार्मेसी कंपनी फार्मइजी (Pharmeasy) के वैल्यूएशन में भी कमी गई है।
हालांकि, ये कमी एसेट मैनेजमेंट कंपनियों के इंटरनल आकलन पर आधारित हैं और जरूरी नहीं कि स्थायी स्थिति का संकेत दें। बाजार की स्थिति ठीक होने पर वैल्यूएशन का आकलन किया जाता है।
कंपनी ने पिछले एक साल में बड़े पैमाने पर की है छंटनी
कई अन्य स्टार्ट-अप की तरह सॉफ्टबैंक और प्रोसस (Prosus) के समर्थन वाली मीशो हाल ही में छंटनी से गुजर रही हैं। फर्म ने यह कार्रवाई 2025 तक पब्लिक लिस्टिंग पर नज़र रखते हुए कैश बर्न (Cash Burn) को कम करने और प्रॉफिटेबल बनने के लिए की है।
मीशो ने इस महीने की शुरुआत में 251 कर्मचारियों को निकाल दिया था, जिसे कंपनी के को-फाउंडर सीईओ विदित आत्रे ने ‘गलती से नियुक्ति’ बताया था। पिछले साल अप्रैल में भी मीशो ने 150 कर्मचारियों को निकाल दिया था। इसके बाद अपने ग्रोसरी बिजनेस को बंद करने पर अगस्त में 300 और कर्मचारियों की छुट्टी कर दी गई थी।
कंपनी ने 2022 की शुरुआत में 4 करोड़ डॉलर के अपने मासिक कैश बर्न को 85 प्रतिशत से कम करके 50 लाख डॉलर कर दिया है। कंपनी अब अपने वार्षिक राजस्व वृद्धि टारगेट को 100 प्रतिशत से घटाकर 40 प्रतिशत करना चाह रही है।
फाइनेंशियल ईयर 2021-22 में मीशो का रेवेन्यू सालाना आधार पर 4.5 गुना होकर 3,232 करोड़ रुपये पर पहुंच गया था जबकि इसका घाटा 7.5 गुना बढ़कर 3,247 करोड़ रुपये पर आ गया था।
नतीजतन, कई निवेशकों और उद्योग पर नजर रखने वालों ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बात की और कहा कि निकट भविष्य में बड़े भारतीय स्टार्ट-अप को वैल्यूएशन में कमी का सामना करना पड़ सकता है। उनका कहना है कि यूनिकॉर्न में फंडिंग की रफ़्तार धीमी हो गई है, इसलिए वैल्यूएशन में 50 से 70 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है।