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मारुति सुजूकी चेयरमैन आरसी भार्गव बोले– छोटी कारों की ब्रिकी में सालाना 8 से 10% वृद्धि की जरूरत

भार्गव ने वृद्धि की चुनौतियों, इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) और छोटी कार बाजार को पुनर्जीवित करने के लिए सरकार के प्रोत्साहन की जरूरत के बारे में चर्चा की।

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सुरजीत दास गुप्ता   
Last Updated- June 03, 2025 | 10:58 PM IST

मारुति सुजूकी के चेयरमैन आरसी भार्गव उन पहले लोगों में से थे, जिन्होंने यह अनुमान लगाया था कि पिछले दो वर्षों के दौरान वै​श्विक महामारी के बाद मांग में आई अचानक तेजी के कारण यात्री कार उद्योग की वृद्धि वित्त वर्ष 25 में धीमी हो जाएगी। नई दिल्ली में सुरजीत दास गुप्ता के साथ बातचीत में भार्गव ने वृद्धि की चुनौतियों, इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) और छोटी कार बाजार को पुनर्जीवित करने के लिए सरकार के प्रोत्साहन की जरूरत के बारे में चर्चा की। प्रमुख अंश

पिछले साल कार बाजार की समूची वृद्धि खासी धीमी हो गई और सायम का अनुमान है कि इस साल यह केवल 1 से 4 प्रतिशत रहेगी। ऐसे हालात में क्या मारुति सुजूकी 3.0 योजना के तहत वित्त वर्ष 31 तक उत्पादन दोगुना करने का अपना लक्ष्य हासिल कर पाएगी?

अपनी योजना बनाते समय हमने शुरुआती स्तर वाली और छोटी कार श्रेणी में बहुत धीमी वृद्धि का अनुमान लगाया था। हमने अपने लक्ष्यों को पूरा करने में मदद के लिए दमदार निर्यात वृद्धि पर भरोसा किया। हमने वित्त वर्ष 24 में 2,00,000 और वित्त वर्ष 25 में 3,20,000 गाड़ियों का निर्यात किया। इस वित्त वर्ष में हमें उम्मीद है कि निर्यात 4,00,000 से अधिक हो जाएगा और वित्त वर्ष 31 तक हमें लगभग 8,00,000 कारों तक पहुंचने की उम्मीद है। यह बड़ा आंकड़ा होगा और कुल बिक्री का 20 प्रतिशत होगा, जो कोई छोटी उपलब्धि नहीं है। अगर छोटी कारों का प्रदर्शन हमारे अनुमान से बेहतर रहता है, तो हम अपने अनुमानों को पार कर जाएंगे। हालांकि इस समय मैं यह नहीं कह सकता कि हम 3.0 योजना के तहत उत्पादन दोगुना करने का लक्ष्य पूरा कर पाएंगे या नहीं, क्योंकि बदलाव वाली कई सारी चीजें हैं।

क्या इसका मतलब यह है कि आप अपने निवेश और क्षमता विस्तार योजनाओं का दोबारा आकलन करेंगे?

हम अपनी उत्पादन क्षमता को 23 लाख से 24 लाख वाहन प्रति वर्ष से बढ़ाकर 27 लाख से 28 लाख वाहन करने की प्रक्रिया में हैं। इसमें खरखोदा (हरियाणा) में दो नई लाइनें शामिल हैं, जिससे अगले वित्त वर्ष में इसकी क्षमता 5,00,000 वाहन हो जाएगी। गुजरात में हमने एक नई लाइन जोड़ी है और मानेसर में हम करीब 1,00,000 वाहन की क्षमता जोड़ रहे हैं। लेकिन गुजरात में दूसरा संयंत्र बनाने की कोई ज्यादा जरूरत नहीं है, जैसा कि पहले सोचा गया था। यह बाजार के मनोबल पर निर्भर करेगा। इस वर्ष के लिए हमारा पूंजीगत व्यय लगभग 9,000 करोड़ रुपये से 10,000 करोड़ रुपये है।

आपके अनुसार कार उद्योग को अपनी पिछली वार्षिक वृद्धि दर पर लौटने के लिए क्या चीज जरूरी है?

मेरा दृढ़ विश्वास है कि उद्योग को 7 से 8 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर पर वापस लाने के लिए हमें छोटी कार श्रेणी में सालाना 8 से 10 प्रतिशत की दमदार वृद्धि की जरूरत है, जो वर्तमान में घट रही है। अकेले एसयूवी श्रेणी में ही अ​धिक वृद्धि से यह हासिल नहीं होगी, क्योंकि यह छोटा बाजार है।

क्या शुरुआती स्तर वाली कार श्रेणी में बिक्री को बढ़ावा देने के लिए सरकारी हस्तक्षेप की जरूरत है?

उत्सर्जन और सुरक्षा के लिए यूरोपीय मानकों को पूरा करने की अ​धिक लागत के कारण छोटी कार श्रेणी में गिरावट आई है और उद्योग कई वर्षों पीछे चला गया है। वित्त वर्ष 19 और वित्त वर्ष 23 के बीच इन विनियमों से छोटी कारों की लागत पर 60 प्रतिशत तक का असर पड़ा था। बड़ी कारों के मामले में लागत में वृद्धि आनुपातिक रूप से बहुत कम थी क्योंकि उनकी आधार कीमत अधिक थी।

क्या आपको भारत में शहर के अंदर ड्राइविंग के लिए सीमित रेंज और कम लागत वाली छोटी कार की संभावना दिख रही है?

जापान में स्कूटरों का स्थान लेने के ‘केई’ कारों को पेश किया गया था और अब ये देश के कार बाजार का एक तिहाई हिस्सा है। इनका उपयोग मुख्य रूप से छोटे कस्बों और शहरों में महिलाओं द्वारा किया जाता है, न कि प्रमुख महानगरों में। इन कारों पर कम कर लगता है और विनियम ज्यादा कड़े नहीं होते हैं। यह शहर के अंदर ड्राइविंग के लिए बेहतर विकल्प हो सकता है, जिसका भारत में कार उपयोग में 95 प्रतिशत हिस्सा है। हालांकि सवाल यह है कि क्या भारतीय उपभोक्ता उन्हें स्वीकार करेंगे या नहीं। कंपनी इस पर सर्वेक्षण करा रही है।

ईवी बाजार उम्मीद के मुताबिक नहीं बढ़ पाया है। आपने 3.0 रणनीति के तहत 7 से 8 ईवी पेश करने की योजना बनाई थी। सुजूकी भी लीथियम-आयन सेल बैटरी संयंत्र में बड़ा निवेश करने की योजना बना रही थी। क्या आपने योजना पर फिर से विचार किया है?

हां, हमने ईवी पेश करने की जो योजना बनाई है, उसमें इनकी संख्या को घटाकर तीन से चार कर दिया है। सुजूकी बैटरी सेल संयंत्र को रोका हुआ है। मुख्य समस्या यह है कि किसी ईवी की लागत का 40 प्रतिशत भाग लीथियम-आयन बैटरी पर पड़ता है, जिसका पूरी तरह से आयात किया जाता है, ज्यादातर चीन से।

First Published : June 3, 2025 | 10:25 PM IST