रेनो और निसान से दोस्ती खत्म करने के बाद यूटिलिटी वाहन बनाने वाली भारत की सबसे बड़ी कंपनी महिंद्रा ऐंड महिंद्रा ने अपने दम पर दौड़ने का फैसला कर लिया है।
कंपनी अब चेन्नई में अपना स्वयं का संयंत्र स्थापित करेगी। यह बात अलग है कि इसे अमली जामा 2010 के बाद ही पहनाया जाएगा।कंपनी ने पहले रेनो और निसान के साथ चेन्नई में ही वाहन निर्माण संयंत्र लगाने की बात तय की थी। लेकिन बाद में यह करार टूट गया।
महिंद्रा ने पुणे के पास चाकन में तकरीबन 1500 करोड़ रुपये के निवेश के साथ एक संयंत्र के निर्माण की घोषणा की थी। इस संयंत्र की क्षमता 300,000 वाहनों की होगी। दो वर्षों में यहां वाणिज्यिक उत्पादन शुरू होने की संभावना है। दिलचस्प बात है कि लगभग उसी समय रेनो और निसान के चेन्नई संयंत्र में भी काम शुरू हो जाएगा।
महिंद्रा ऐंड महिंद्रा के अध्यक्ष (ऑटोमोटिव सेक्टर) पवन गोयनका ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि कंपनी दक्षिण में अपनी निवेश योजना को लेकर प्रतिबद्ध है। वह चेन्नई के पास एक नया संयंत्र स्थापित किए जाने की संभावना तलाशेगी। उन्होंने कहा कि सौदे को अंतिम रूप देने के लिए तमिलनाडु सरकार के साथ बातचीत जारी है।गोयनका ने कहा, ‘चेन्नई में हमारे कारोबार के तेजी से बढ़ने की संभावना है। महिन्द्रा तमिलनाडु पर विशेष ध्यान केंद्रित कर रहा है।’
फरवरी 2007 में महिंद्रा ऐंड महिंद्रा, रेनो तथा निसान ने प्रति वर्ष 400,000 वाहनों की क्षमता के साथ लगभग 4500 करोड़ रुपये के निवेश से एक संयंत्र स्थापित करने की योजना की घोषणा की थी। गोयनका ने कहा कि इस योजना पर पुनर्विचार किया गया और किसी पक्ष के साथ हाथ मिलाने के बजाय चाकन में खुद का संयंत्र स्थापित करने का फैसला लिया गया जिसकी घोषणा 31 मार्च को कर दी गई।
हालांकि कंपनी संयंत्र अकेले खोल रही है, लेकिन रेनो-निसान के चेन्नई संयंत्र में तैयार गाड़ियां बेचने से उसे कोई एतराज नहीं है। कंपनी इसके लिए पूरी तरह तैयार है और इस योजना पर चलेगी।