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महिंद्रा भी उत्पादन घटाने को मजबूर

Last Updated- December 12, 2022 | 1:23 AM IST

प्रमुख वाहन कंपनी महिंद्रा ऐंड महिंद्रा (एमऐंडएम) के लिए अपनी खोई जमीन फिर से हासिल करने की कोशिश को तगड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। कंपनी ने बताया कि सेमी-कंडक्टर की आपूर्ति ठीक न होने से उसे अपने संयंत्र में वाहनों का उत्पादन एक हफ्ते तक रोकना पड़ेगा। इस वजह से उसका मासिक आउटपुट करीब 25 से 30 फीसदी तक कम होने की आशंका है।
एमऐंडएम ने गुरुवार को स्टॉक एक्सचेंज को दी गई जानकारी में कहा कि उसके ऑटोमोटिव डिविजन सेमी-कंडक्टर की आपूर्ति की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। दुनिया के कुछ हिस्सों में कोविड-19 की वजह से लगी पाबंदियों ने सेमी-कंडक्टर की आपूर्ति को प्रभावित किया है। ऐसी स्थिति में महिंद्रा ने कहा है कि उसके ऑटोमोटिव संयंत्रों में सितंबर में करीब सात दिनों तक कोई उत्पादन नहीं होगा।

महिंद्रा के दो दिन पहले देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजूकी ने भी सेमी-कंडक्टर की समुचित आपूर्ति न होने से अपने आउटपुट में करीब 40 फीसदी की गिरावट आने की बात कही थी। महामारी के दौरान लगी बंदिशों से माइक्रो-प्रोसेसर चिप की किल्लत हो गई है जिससे वाहनों की आपूर्ति मांग के अनुरूप नहीं हो पा रही है। वाहनों में इस्तेमाल होने वाले चिप की आपूर्ति का जटिल नेटवर्क होने से भारत भी इसकी कमी का सामना करना पड़ रहा है। भारत के तमाम वाहन निर्माता मसलन, हुंडई मोटर्स, टाटा मोटर्स, किया मोटर्स, निसान, रेनो और होंडा कार्स को भी चिप की कमी की वजह से या तो अपने उत्पादन में कटौती करनी पड़ी है या आगे वे ऐसा करने की योजना बना रहे हैं।
महिंद्रा ऐंड महिंद्रा को उत्पादन रोकने से अपने राजस्व एवं मुनाफे पर भी असर पडऩे का डर सता रहा है। कंपनी ने अपने बयान में कहा, ‘हालात के लगातार बदलते रहने से कंपनी आपूर्ति की स्थिति की सावधानी से समीक्षा कर रही है।’ बिक्री पूर्वानुमान लगाने वाली शोध फर्म आईएचएस मार्किट का कहना है कि सेमी-कंडक्टर चिपों की किल्लत बने रहने से भारत में हल्के वाहनों की बिक्री इस साल 33.5 लाख तक गिर सकती है। पहले उसने 36.5 लाख वाहनों की बिक्री का अनुमान लगाया था। उसका मानना है कि वर्ष 2022 में भी चिप आपूर्ति की जद्दोजहद बनी रह सकती है।

आईएचएस ग्लोबल के सहायक निदेशक पुनीत गुप्ता ने कहा, ‘भारत में हल्के वाहनों का बाजार वर्ष 2023 में ही जाकर 40 लाख के आंकड़े को पार कर पाएगा।’ उन्होंने कहा कि वैश्विक वाहन कंपनियां अपने लाभप्रदता सूचकांक को ध्यान में रखते हुए ही अपना उत्पादन करने का तरीका अपना सकती हैं। इसका मतलब है कि किसी खास बाजार को चिप के लिए तरजीह दी जाएगी। मौजूदा हालात में अधिकतर कंपनियां अपने मॉडलों एवं संस्करणों को नए सिरे से समायोजित करने में लगी हुई हैं।

First Published - September 2, 2021 | 11:37 PM IST

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