facebookmetapixel
Stocks To Watch Today: Hero MotoCorp, Syrma SGS, NTPC Green समेत आज शेयर बाजार में निवेशकों की नजर इन कंपनियों परदक्षिण भारत के लोग ज्यादा ऋण के बोझ तले दबे; आंध्र, तेलंगाना लोन देनदारी में सबसे ऊपर, दिल्ली नीचेएनबीएफसी, फिनटेक के सूक्ष्म ऋण पर नियामक की नजर, कर्ज का बोझ काबू मेंHUL Q2FY26 Result: मुनाफा 3.6% बढ़कर ₹2,685 करोड़ पर पहुंचा, बिक्री में जीएसटी बदलाव का अल्पकालिक असरअमेरिका ने रूस की तेल कंपनियों पर लगाए नए प्रतिबंध, निजी रिफाइनरी होंगी प्रभावित!सोशल मीडिया कंपनियों के लिए बढ़ेगी अनुपालन लागत! AI जनरेटेड कंटेंट के लिए लेबलिंग और डिस्क्लेमर जरूरीभारत में स्वास्थ्य संबंधी पर्यटन तेजी से बढ़ा, होटलों के वेलनेस रूम किराये में 15 फीसदी तक बढ़ोतरीBigBasket ने दीवाली में इलेक्ट्रॉनिक्स और उपहारों की बिक्री में 500% उछाल दर्ज कर बनाया नया रिकॉर्डTVS ने नॉर्टन सुपरबाइक के डिजाइन की पहली झलक दिखाई, जारी किया स्केचसमृद्ध सांस्कृतिक विरासत वाला मिथिलांचल बदहाल: उद्योग धंधे धीरे-धीरे हो गए बंद, कोई नया निवेश आया नहीं

मद्रास हाई कोर्ट का फैसला ई-फार्मा कंपनियों के लिए बूस्टर डोज

मद्रास हाई कोर्ट ने कथित तौर पर एक न्यायाधीश वाले पीठ के पहले के आदेश को खारिज कर दिया है, जिसमें उनसे दवाओं का डिजिटल व्यापार रोकने के लिए कहा गया था।

Last Updated- June 28, 2024 | 10:20 PM IST
PE-VC funding slows down in e-pharmacy sector

ऑनलाइन फार्मेसी कंपनियों के पक्ष में मद्रास उच्च न्यायालय (Madras High Court) के हालिया फैसले से उन्हें अपने कारोबारी मॉडल के लिए आवश्यक मान्यता और निश्चितता मिलेगी। उद्योग के भागीदारों ने यह बात कही है। वे अब नियामक व्यवस्था के संबंध में केंद्र सरकार के साथ चर्चा का इंतजार कर रहे हैं।

मद्रास उच्च न्यायालय ने कथित तौर पर एक न्यायाधीश वाले पीठ के पहले के आदेश को खारिज कर दिया है, जिसमें उनसे दवाओं का डिजिटल व्यापार रोकने के लिए कहा गया था।

एक ऑनलाइन फार्मेसी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘पहले कुछ अनिश्चितता थी लेकिन मसौदा नियमों के जारी होने और अब मद्रास उच्च न्यायालय के अनुकूल आदेश की वजह से उद्योग को वह वैधता मिल गई है जिसकी उसे जरूरत थी। ऐसी संभावना नहीं है कि ई-फार्मेसियों को काम करने से रोका जाएगा।’

उद्योग के अधिकारियों का कहना है कि अगला कदम केंद्र सरकार को उठाना है और इस क्षेत्र की निगरानी के लिए उचित नियामकीय व्यवस्था बनानी है। ई-कॉमर्स के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, ‘इससे ई-फार्मेसी कंपनियों को सुचारू रूप से काम करने का काफी भरोसा मिलने वाला है।’

अधिकारी ने बताया,‘अलबत्ता ये कपंनियां अब भी असमंजस की स्थिति में काम कर रही हैं। एक व्यापक ई-फार्मेसी नीति की जरूरत है। ई-फार्मेसियों को अलग-अलग प्रकार के कानूनों का पालन करना पड़ता है। साथ ही ऑफलाइन फार्मासिस्टों का दबाव भी रहता है, जो ऑनलाइन कंपनियों के साथ कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। हालांकि को-ऑप्ट मॉडल की जरूरत है, जहां ई-फार्मा कंपनियां ऑफलाइन स्टोरों के साथ काम करें और ग्राहकों को दवाइयां पहुचाएं।’

अलबत्ता सरकार ने उद्योग की प्रतिक्रिया के लिए अभी तक ई-फार्मेसियों से संपर्क नहीं किया है।

एक अधिकारी ने कहा, ‘सरकार ने अभी तक उचित ढांचा बनाने के लिए हमसे उद्योग की प्रतिक्रिया नहीं मांगी है। हम इंतजार कर रहे हैं कि सरकार चर्चा के लिए आगे आए। हम इस पर सरकार के साथ काम करना चाहते हैं और ऐसे उचित नियमन लागू करने के फैसले का समर्थन करते हैं, जिनसे उद्योग को वैधता मिले।’

मद्रास उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश वाले पीठ ने दिसंबर 2018 में फैसला सुनाया था कि ई-फार्मेसियों को दवाओं और सौंदर्य प्रसाधनों में अपना ऑनलाइन कारोबार बंद करना होगा, जब तक कि केंद्र सरकार दवाओं के डिजिटल व्यापार के लिए उचित नियामकीय व्यवस्था नहीं बना लेती।

उस समय ऑनलाइन फार्मेसियों ने इस आदेश के खिलाफ अपील की थी। उसी साल स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने ई-फार्मेसी कंपनियों के लिए दिशा-निर्देशों के साथ एक मसौदा अधिसूचना जारी की थी। इन नियमों के आधार पर एक व्यापक नियामकीय ढांचे पर काम किया जा रहा है।

First Published - June 28, 2024 | 9:58 PM IST

संबंधित पोस्ट