पिछले एक दशक में, लीगल टेक स्टार्ट-अप ने 5.7 करोड़ डॉलर की पूंजी जुटाई है। भारत के कानूनी सेवा बाजार का वर्तमान में 1.3 अरब डॉलर का मूल्यांकन है, जो अमेरिका के इसी क्षेत्र के मुकाबले सिर्फ एक फीसदी है। जबकि, भारत में 650 लीगल टेक स्टार्ट-अप हैं। सीआईआईई डॉट को. की रिपोर्ट के अनुसार, सबसे अधिक लीगल स्टार्ट-अप के मामले में भारत दूसरे स्थान पर आता है। यह क्षेत्र, हालांकि उभरते हुए बाजार के रूप में देखा जा सकता है।
इनसाइट्स, सीआईआईई डॉट को की पार्टनर सुप्रिया शर्मा ने कहा कि ऐसा अनुमान है कि भारतीय लोग जीडीपी का 0.48 फीसदी खर्च याचिका दायर करने के लिए खर्च करते हैं। प्रौद्योगिकी की सहायता से कानूनी सेवाओं में पाई जाने वाली समस्याओं को दूर किया जा सकता है। यह क्षेत्र अपनी प्रारंभिक अवस्था में होने के साथ- साथ अदालती कार्यवाही के बढ़ते डिजिटलीकरण को भी देख रहा है, जिसके कारण थोड़ी परेशानी का भी सामना करने को मिल सकता है।
यह रिपोर्ट भारत में अपनी तरह की पहली है। यह कानूनी तकनीक को ऐसी तकनीकों के रूप में परिभाषित करती है जो कानूनी सेवाओं तक पहुंच और उपयोग को सक्षम और बेहतर बनाती हैं, जिसमें न्याय तक पहुंच के साथ-साथ कानूनी सेवा प्रदाताओं द्वारा इन समाधानों का निदान और कानूनी सेवा प्रदान की जा सके। 650 से अधिक स्टार्ट-अप के साथ, भारत में लीगल टेक एक उभरता हुआ बाजार है। इस क्षेत्र के लिए पूंजी मुख्य रूप से 2013 में शुरू हुई थी। तब से, 32 स्टार्ट-अप ने जून 2022 तक 70 फंडिंग राउंड में 5.7 करोड़ डॉलर से अधिक जुटाए हैं।
यह भी पढ़े: पूंजी निवेश में गिरावट के बीच क्विक कॉमर्स क्षेत्र में उम्मीद कायम
2021 में इस क्षेत्र में सबसे अधिक, लगभग 2 करोड़ डॉलर का निवेश देखा गया। इस उछाल का सबसे बड़ा कारण जोल्विट (पहले इसे वकीलसर्च के नाम से जाना जाता था) द्वारा जुटाई गई पूंजी है। फर्म ने सिरीज बी के दौरान सबसे अधिक, 1 करोड़ डॉलर जुटाए थे। कानूनी तकनीकी समाधान फर्मों ने पारंपरिक रूप से मौजूदा प्रक्रियाओं को बाधित करने पर ध्यान केंद्रित किया है और फंडिंग राउंड ज्यादातर शुरुआती चरणों (एंजेल, प्री-सीड और सीड स्टेज) तक ही सीमित रहे हैं, लेकिन पिछले तीन वर्षों में कुछ ग्रोथ स्टेज फंडिंग (सीरीज ए और सीरीज बी) में वृद्धि देखी गई है।