न्यूयॉर्क की प्राइवेट इक्विटी फर्म KKR & Company ने निवेश के अगले दौर के लिए भारतीय रियल एस्टेट (Indian real estate), कंज्यूमर रिटेल (consumer retail) और हेल्थकेयर (health care) की पहचान की है। कंपनी के उप-मुख्य कार्याधिकारी जोसेफ बे (Joseph Bae) ने यह जानकारी दी। कंपनी 100 अरब डॉलर की नकदी पर बैठी हुई है।
हाल में मैक्स हेल्थकेयर (Max Healthcare) से निकासी के जरिये 2 अरब डॉलर हासिल करने वाली फर्म सरकार की निजीकरण योजना, खास तौर से बैंकों के निजीकरण में संभावनाएं तलाशेगी। IDBI बैंक की सरकारी हिस्सेदारी बेचे जाने की प्रक्रिया में कंपनी ने हालांकि भागीदारी नहीं की है।
साल 2006 से भारतीय बाजार में 10 अरब डॉलर का निवेश कर चुकी KKR भारतीय सड़क, राजमार्ग व बुनियादी ढांचा क्षेत्र में भी निवेश की इच्छुक है और पहले ही तीन बड़े इनविट का परिचालन कर रही है। उप-सीईओ ने कहा, भारत को काफी बुनियादी ढांचे की दरकार है और हम अधूरी परियोजनाओं में खरीद के काफी मौके देख रहे हैं।
इसके अलावा परेशानी में पड़े प्रवर्तकों के साथ काम करने का भी मौका हो सकता है। बुनियादी ढांचा क्षेत्र में काफी विदेशी पूंजी की दरकार होगी और हमारे पास स्थानीय परियोजनाओं में निवेश करने के लिए सबसे बड़ा बुनियादी ढांचा फंड है।
फर्म के पास प्राइवेट इक्विटी में 165 अरब डॉलर की प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां हैं और रियल एस्टेट में 64 अरब डॉलर की प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां। इसके अलावा बुनियादी ढांचे के तहत 54 अरब डॉलर की और क्रेडिट बिजनेस में 194 अरब डॉलर की प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां हैं।
उन्होंने कहा, भारतीय वाणिज्यिक रियल एस्टेट क्षेत्र दक्षिण कोरियाई बाजार के साथ सबसे ज्यादा स्थिर क्षेत्रों में से एक है। रियल्टी क्षेत्र में काफी बड़े कर्ज को फिर से फंडिंग की दरकार है और घटती कीमतों के साथ बढ़ती ब्याज दरें जोखिम में इजाफा कर रही हैं।
KKR India के पार्टनर व CEO गौरव त्रेहन ने कहा, आने वाले समय में KKR भारत में रियल एस्टेट परियोजनाओं की इक्विटी में निवेश करेगी। अपनी कंपनी का विलय इनक्रेड फाइनैंशियल सर्विसेज के साथ करने के बाद कंपनी उधार देने वाली अपनी इकाई बंद कर देगी।
Also Read: बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के साथ EV वाहनों की बिक्री बढ़ने की उम्मीद: रिपोर्ट
अमेरिकी प्राइवेट इक्विटी फर्म निवेश की निकासी का सामना कर रही है क्योंकि वैश्विक रियल एस्टेट क्षेत्र मंदी के भय व बढ़ती ब्याज दरों के कारण दबाव में आ गया है। बे ने कहा, भारत हालांकि बेहतर स्थिति में है और भारत में सुधार व पारदर्शिता में इजाफे के चलते निवेशक यहां की प्रगति की कहानी को लेकर पिछले 15 साल के मुकाबले ज्यादा आशावादी हो गए हैं। उन्होंने कहा, अमेरिका व यूरोप समेत दुनिया के ज्यादातर हिस्से में काफी अस्थिरता दिख रही है। भारत की स्थिति अलग है और हम यहां मौके का लाभ ले रहे हैं।
रिलायंस जियो (Reliance Jio) व रिलायंस रिटेल (Reliance Retail) में निवेश कर चुकी KKR इन दोनों कंपनियों की सूचीबद्धता के समय निकासी के बजाय अपने निवेश के परिपक्व होने तक इंतजार करेगी। KKR के साथ 1996 में विश्लेषक के तौर पर जुड़ने वाले बे जुलाई 2017 में उप-सीईओ बने और उनका कहना है कि हम लंबी अवधि के निवेशक हैं और दोनों कंपनियों से निकलने की हमारी कोई योजना नहीं है।