इस्पात बनाने वाली नामी कंपनी जिंदल स्टील्स
इस करार के तहत जापानी कंपनी जेएसडब्ल्यू लिमिटेड और जेएसडब्ल्यू ऐनर्जी लिमिटेड को कोयले की ढुलाई करेगी। मालवाही जहाजों के लगातार बढ़ते किरायों से होने वाले नुकसान से बचने के लिए जेएसडब्ल्यू ने इस कंपनी के साथ अगले 10 साल तक का करार कर लिया है।
जेएसडब्ल्यू ने बताया के कंपनी दो नए इस्पात संयंत्र लगा रही है और एक संयंत्र का विस्तार कर रही र्है। इसी कारण कंपनी द्वारा कोयले की खपत भी ज्यादा होगी। जेएसडब्ल्यू ऊर्जा संयंत्र का विस्तार करने की योजना भी बना रहा है। इस विस्तार के बाद साल
2015 तक इस संयंत्र की क्षमता लगभग 15,000 मेगावाट बिजली का उत्पादन करने की हो जाएगी।
सान जिंदल द्वारा संचालित जेएसडब्ल्यू स्टील विजयनगर स्थित अपने संयंत्र का विस्तार करने के लिए योजना बना रहा है और जल्द ही इस पर काम शुरू होने की भी उमीद है। कंपनी पश्चिम बंगाल और झारखंड में भी इस्पात संयंत्र लगाने की योजना बना रही है। मुंबई स्थित दोनों कंपनियों को कुल ढुलाई का लगभग 40 फीसदी कोयला आपूर्ति की जाएगी।
के
–लाइन जापान की तीसरी सबसे बड़ी जहाजरानी कंपनी है। के –लाइन ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, दक्षिण अफ्रीका और चीन से भारत में कोयले की ढुलाई के लिए 10 जहाजों का इस्तेमाल करेगी। कंपनी के मुताबिक साल 2015 तक के–लाइन भारत में 1.2 करोड़ मीट्रिक टन कोयले की ढुलाई करेगी। इस समझौते के बाद के–लाइन के दामों में स्थायित्व आने की उम्मीद है। वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में जिंस और जहाजों के घटते दामों के कारण कंपनी को नुकसान होने की संभावना भी कम हो गई है।