जगुआर-लैंड रोवर हमेशा से बेमिसाल कार ब्रांड रहे हैं।?लेकिन टाटा ने उन पर हाथ क्या रखा, तमाम हलकों में बस उन्हीं के चर्चे शुरू हो गए।
आज की तारीख में सबसे ज्यादा सुर्खियां यही कार ब्रांड बटोर रहे हैं।लेकिन आप जानते हैं कि उनका श्रीगणेश कुछ अलग तरीके से ही हुआ था। सफर भी कोई कम रोमांचक नहीं रहा।?आइये, आपको बताते हैं जगुआर और लैंड रोवर की जन्मपत्रियों की कुछ ऐसी बारीकियां, जो वर्ाकई याद रखने के काबिल हैं।
1. जगुआर ब्रांड की तमाम कारों को स्टाइल और परफॉर्मेंस की दौड़ में आज बहुत आगे गिना जाता है। लेकिन शायद आपको यकीन नहीं होगा कि पहली जगुआर कोई कार नहीं मोटरसाइकिल में लगने वाली मामूली साइडकार थी। विलियम ल्योन्स की स्वालो साइडकार कंपनी ने 1931 में इसे कार की शक्ल दी। लेकिन उस वक्त इसका नाम ‘एसएस1’ था।
2. कार तो बननी शुरू हो गई, लेकिन उसे जगुआर नाम मिला 1935 में। एसएस नाम इसीलिए बदल दिया गया क्योंकि वह हिटलर के ‘नाजी एसएस’ से मिलता जुलता था।
3. जगुआर ने दुनिया को कुछ सबसे उम्दा स्पोट्र्स कार दी हैं। यह सिलसिला 1948 में ‘एक्सके120’ के लाँच के साथ शुरू हुआ। यह पहली कार थी, जिसमें 160 बीएचपी ताकत वाला इंजन इस्तेमाल किया गया था। तमाम दूसरे जगुआर मॉडल्स की तरह यह भी कारों के इतिहास में दर्ज है।
4. जगुआर ने कारों की दुनिया को 3442सीसी का इनलाइन सिक्स इंजन दिया, जो आज भी नायाब है। इस इंजन की ताकत ने जगुआर को ‘ली मान्स रेस’ का खिताब पांच बार दिलाया। जगुआर ने 1953 में इस कार में डिस्क ब्रेक का इस्तेमाल किया और खिताब जीता। यह ब्रेक कंपनी ने डनलप के साथ मिलकर बनाया था।
5. एक्सके120 की विरासत ‘ई-टाइप’ मॉडल को मिल गई। यह अब तक की सबसे मशहूर स्पोट्र्स कार कही जाती है। इस मॉडल की 70,000 कार बनाई गईं और उनमें से 60 फीसदी तो अमेरिका में ही बिक गईं।
6. रोवर के तकनीकी निदेशक मॉरिस विल्क्स अपने खेतों में जो जीप इस्तेमाल करते थे, उसी ने लैंड रोवर की नींव रखी। मॉरिस और उनके भाई स्पेंसर विल्क्स रोवर के प्रबंध निदेशक ने 1947 में वेल्श बीच पर रेत में अपनी कार का खाका खींचा ….और लैंड रोवर का जन्म हो गया।
7. दूसरे विश्व युद्ध के बाद स्टील की आपूर्ति पर नियंत्रण लगा दिए गए। नतीजे के तौर पर लैंड रोवर की बॉडी में एल्युमिनियम एलॉय का इस्तेमाल होने लगा। कमाल हो गया…. लैंड रोवर हमेशा के लिए जंग से बच गई।
8. लैंड रोवर वाकई बेमिसाल है क्योंकि आज भी इसका निर्माण हो रहा है। फॉक्सवैगन बीटल को भी उसने इस मामले में पछाड़ दिया है। वक्त के साथ इसका अंदाज तो बदला है, लेकिन ढांचा आज भी पुरानी लैंड रोवर जैसा ही है। आजकल इसे ‘डिफेंडर’ नाम दिया गया है, जो 1990 में पहली बार इस्तेमाल हुआ।
9. बेहद टिकाऊ है लैंड रोवर। कहा तो यह तक जाता है कि अब तक बिकी लैंडरोवर कारों में से तीन चौथाई आज भी सड़कों पर दौड़ रही हैं।
10. लैंड रोवर ने 1989 में नए मॉडल ‘डिस्कवरी’ को बाजार में उतारा। आलीशान रेंज रोवर के 19 साल बाद यह मॉडल आया था। रेंज रोवर 1970 में आई थी।