भले ही गूगल प्ले स्टोर से हटने के कुछ ही घंटे बाद पेटीएम ऐप फिर से वापस आ गया था, लेकिन सप्ताहांत के दौरान दो कंपनियों के बीच टकराव बरकरार रहा।
यह विवाद अपने मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम्स पर ऐप्लीकेशनों के लिए एकमात्र मार्केटप्लेस होने के गूगल ओर ऐपल के दबदबे पर सवाल खड़े करता है। लेकिन गूगल इस मामले में अपने रुख पर कायम है और उसका कहना है कि पेटीएम द्वारा फैंटेसी गेमिंग पेटीएम फस्र्ट गेम्स को बढ़ावा देना उसकी नीतियों का स्पष्ट उल्लंघन था।
प्रौद्योकिी और उद्योग विश्लेषक हालांकि इसे लेकर विभाजित नजर आ रहे हैं।
गेमिंग कानूनों और नीतियों पर कानूनी विशेष्ष जय सायता ने कहा, ‘इस मामले में, गूगल की नीतियां थोड़ी मनमानापूर्ण हैं। इनमें किसी ऐसे गेमिंग ऐप की अनुमति नहीं दी गई है जिससे कोई एंट्री शुल्क या रकम जुड़ी हुई हो, भले ही वे भारत के कानून के अनुसार वैध हों। 95 प्रतिशत से ज्यादा भारतीय फोन एंड्रोयड हैं। इससे ऐप वितरण को लेकर गूगल के एकाधिकार का पता चलता है। इससे विरोधाभासी मुद्दे को बढ़ावा मिला है जिससे टेक दिग्गज को सामना करना पड़ सकता है। उसकी नीतियां कई भारतीय ऐप डेवलपरों तक बाजार पहुंच से रोका जा सकता है और इससे कॉम्पिटिशन ऐक्ट, 2002 के उल्लंघन जैसी स्थिति सामने आ सकती है।’
जय सायता भारतीय गैम्बलिंग और गेमिंग उद्योग के लिए समर्पित भारत की पहली वेबसाइट जीलॉज इंडिया के संस्थापक भी हैं।
रविवार को नोएडा स्थित इस कंपनी ने कहा कि उसने 11 सितंबर को अपने उपयोगकर्ताओं के लिए यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस-कैशबैक कैंपेन शुरू किया। हालांकि कंपनी का भुगतान ऐप नीतिगत उल्लंघनों की वजह से प्ले स्टोर से बगैर कोई कारण बताए 18 सितंबर को हटा दिया गया था।
गूगल का कहना है कि प्ले स्टोर से हटाने की वजह स्क्रैच कार्ड और वाउचर थे। उसने कहा कि उसकी नीतियां ऑनलाइन कैसिनो या किसी गैर-विनियमित ऐसे गैम्बलिंग ऐप को सपोर्ट करने की अनुमति नहीं देतीं जो स्पोट्र्स (भारत में दैनिक फैंटेसी स्पोट्र्स शामिल) में सट्टे को आसान बनाते हों।
गूगल इंडिया के एक अधिकारी ने बयान में कहा, ‘हम उपभोक्ताओं को बेहद सुरक्षित अनुभव मुहैया कराने के लिए अपनी नीतियों को सोच-समझकर लागू करते हैं, वहीं डेवलपरों को मजबूत व्यवसाय तैयार करने के लिए जरूरी प्लेटफॉर्म और टूल्स भी मुहैया कराते हैं। बार बार नीतिगत उल्लंघनों के मामले में, हम ज्यादा गंभीर कदम उठा सकते हैं, जिसमें गूगल प्ले डेवलपर अकाउंट्स को हटाना शामिल हो सकता है।’
वहीं पेटीएम का मानना था कि वैश्विक टेक दिग्गज का कदम अनुचित था, क्योंकि गूगल भी भारत में अपने गूगल पे ऐप के तहत नियमित तौर पर समान स्क्रैच कार्ड कंपनियां चलाती रही है।
विश्लेषकों का यह भी कहना है कि पेटीएम अपने मुख्य पेमेेंट ऐप की रकम के जरिये पेटीएम फस्र्ट गेम्स को बढ़ावा दे रही है जिससे प्ले सओर नियमों का उल्लघंन हो रहा है।
