आर्थिक मंदी के दौर में जब कैंपस में भर्तियों का टोटा है, बिजनेस स्कूल अपने विद्यार्थियों के लिये उद्यमिता को एक विकल्प के तौर पर देख रहे हैं।
वेलिंकर इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट डेवलपमेंट एंड रिसर्च के निदेशक उदय सालुंके बताते हैं कि उद्यमिता में ज्यादा संभावनाएं हैं। कीर्तिका सुनेजा को दिए गए साक्षात्कार में उन्होंने नौकरी की संभावनाओं और उद्यमिता के विकास में नये विचारों के महत्व पर चर्चा की। पेश हैं इस बातचीत के मुख्य अंश:
ऐसे समय में विद्यार्थियों के लिये नये तरीके कितने कारगर होंगे?
नयी सोच विद्यार्थियों के लिये सफलता की कुंजी साबित हो सकती है, इसलिए हम इसे बढ़ावा दे रहे हैं। यही वजह है कि हम उन्हें उद्यमिता की ओर जाने के लिये प्रेरित कर रहे हैं।
हमने पूंजीपतियों को छात्रों की परियोजनाओं को प्रायोजित करने के लिए आमंत्रित किया है। इससे छात्रों को व्यावहारिक शिक्षा में मदद मिलेगी। वर्तमान बैच के करीब 10 फीसदी विद्यार्थियों ने उद्यमिता को चुना है। यह प्रयोग पहली बार नहीं किया जा रहा है। छह महीने पहले उच्च स्तरीय परियोजनाओं के लिये हमने ऐसा ही प्रयोग किया था।
तो क्या इसका अर्थ यह है कि शोध को भी बढ़ावा दिया जा रहा है?
बिल्कु ल, इस साल हमारा शोध खर्च न केवल दोगुना होकर 50 लाख रुपये होगा बल्कि हम अपने यहां शोध क्षेत्र जैसे वित्तीय सेवा के विशिष्ट अतिथि संकायों को भी आमंत्रित करेंगे।
विभिन्न संस्थानों के साथ समझौते से शोध में कैसे मदद मिलेगी?
हमारे पास एक ऐसा ढांचा है, जिसके तहत हम विदेशी विश्वविद्यालयों के संकाय सदस्यों और विद्यार्थियों के साथ मिलकर आपसी सहयोग से केस स्टडी करेंगे। डेटाबेस प्रबंधन और सीआरएम जैसे मुद्दों के लिये हमने विदेशी विश्वविद्यालयों के प्रोफेसरों को आमंत्रित किया है। साथ ही नये उत्पाद के क्षेत्र के पढ़ाई के लिये जापान के विश्वविद्यालयों से करार किया है।
शोध कार्यों की वजह से क्या फीस में कोई बढ़ोतरी की जायेगी?
संस्थान में इस तरह से शोध पर निवेश की सख्त जरूरत है। भविष्य को ध्यान में रखते हुये हमने महाराष्ट्र सरकार के सामने फीस बढ़ाकर 4.92 लाख रुपये करने का प्रस्ताव रखा था। लेकिन अभी फीस 2.5 लाख रुपये है।
इस साल प्लेसमेंट की क्या स्थिति रही है?
इस साल हमारे 83 फीसदी छात्रों को नौकरी मिल चुकी है, जिनमें उच्चतम सालाना वेतन 11.2 लाख रुपये और औसतन करीब 5 लाख रुपये सालाना रहा। इस बार औसत वेतन पिछले वर्षों की तुलना में गिर गया है। पिछले साल यह 7.25 लाख रुपये था। आर्थिक स्थिति को देखते हुए इस बार के प्लेसमेंट को अच्छा माना जा सकता है।
भविष्य में छात्रों के लिये नौकरी में कितनी दिक्कतें आएंगी?
आज नयी चुनौतियां सामने हैं और कारोबारी क्षेत्र में सामाजिक विज्ञान और उद्यमिता को शामिल किए जाने की जरूरत बढ़ गई है। हम कृषि व्यवसाय और रोल मार्के टिंग को जुलाई से अपने पाठयक्रम में शामिल कर रहे हैं। हेल्थकेयर के क्षेत्र में भी हम काम शुरू करने की योजना बना रहे हैं।
