चुनावी महापर्व की शुरुआत हो चुकी है। इस महापर्व के शुरू होने के कई दिन पहले से ही साइबर स्पेस की गलियों में आम चुनाव से जुड़ी खबरों की मानो बाढ़ आ गई हो।
जरा आप ही सोचिए, आम चुनाव के दौरान खबरों की व्यस्तता के बीच भला साइबर क्राइम पीछे कैसे रह सकता है? हालांकि इस तरह के माहौल में स्पैम, वायरस और चोरी जैसी वारदात कोई नई बात नहीं है।
चुनाव के दौरान ई-मेल या फिर वेबसाइट पर दिखाई देने वाले स्पैम मेल मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। ये स्पैम मेल वास्तव में विभिन्न उम्मीदवारों की वेबसाइटों, पार्टियों के घोषणापत्रों, मतदान के लिए अनुरोध और पार्टी प्रचार से जुड़ी होती हैं जो मतदाताओं को बरबस अपनी ओर खींच लेती है।
हालांकि भारत में चुनाव से संबंधित साइबर क्राइम की घटना बहुत ही कम होती है लेकिन सिक्योरिटी और एंटी-स्पाइवेयर उत्पादों का निर्माण करने वाली कंपनी सिमेंटेक का मानना है कि साइबर क्राइम करने वालों की नजर वास्तव में ‘नॉन-प्रॉफिट वोटिंग वेबसाइट’ पर होती है।
सिमेंटेक का मानना है कि हमलावरों का निशाना गैर-लाभ वाली भारतीय वेबसाइट पर होती है जो कि मतदाताओं से जुड़ी सुविधाओं, मतदान पंजीकरण, मतदान-सूची का पता लगाने, चुनाव से जुड़ी सूचनाओं और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों से जुड़ी जानकारियां मुहैया कराती है।
सिमेंटेक के भारतीय उत्पाद परिचालन के उपाध्यक्ष शांतनु घोष ने बताया, ‘सिमेंटेक ने पाया है कि साइबर क्राइम करने वाले हमलावर गैर-लाभ वाली भारतीय वेबसाइटों को अपना निशाना बना रहा है और यही वजह है कि उन वेबसाइट पेजों पर कई तरह के वायरस मौजूद हैं।
हालांकि वर्तमान में उन वेबसाइटों को वायरस रहित कर दिया गया है और अब उस पर कोई वायरस या बग नहीं है।’ न केवल ऐसी वेबसाइट बल्कि कई स्पैमर या कंप्यूटर विशेषज्ञ भी साइबर स्पेस पर हमला करने जैसे काम को अंजाम देते हैं।
ये स्पैमर वास्तव में किसी पॉलिटिकल वेबसाइट या मेल को हैक करते हैं और उसके बाद उस वेबसाइट पर मौजूद उम्मीदवार के बारे में गलत जानकारी लोड कर देते हैं या फिर सूचनाओं को ही गलत तरीके से प्रस्तुत कर देते हैं।
ईएमसी के सिक्योरिटी डिवीजन आरएसए के भारत और दक्षेस-कंट्री प्रबंधक अमुलीक बिजराल ने बताया कि भारत में स्पैम गतिविधियों में पहले के मुकाबले बहुत ज्यादा बढ़ोतरी हो गई है और इस पर किसी का ध्यान नहीं है।
