पिछली जुलाई में केंद्रीय उत्पाद विभाग के एक संशोधन की वजह से देश में 130 करोड़ रुपये के र्स्माटकार्ड उद्योग पर बड़ा खतरा मंडराने लगा है।
अब लोकल स्मार्टकार्ड बनाने वाली कंपनियों के लिए अपना कारोबार जारी रखना बड़ी चुनौती हो गई है। साल 2007 तक स्मार्टकार्ड, प्रोक्सिमिटी कार्ड और टैग के निर्माण में लगने वाले कच्चे माल पर 32.13 फीसदी आयात शुल्क लगता था जिसमें उत्पाद और सीमा शुल्क भी शामिल है।
इंटीग्रेटेड चिप्स (आईसी) पर 19.65 फीसदी और रिकॉर्डेड स्मार्टकार्ड पर भी इतना ही शुल्क लगता था। पर नए संशोधन में रिकॉर्डेड स्मार्टकार्ड पर शुल्क हटा लिया गया है। दूसरी ओर अनरिकॉर्डेड स्मार्टकार्ड पर यह शुल्क जारी है। स्मार्ट कार्ड में लगने वाला इंटीग्रेटेड सर्किट भारत में नहीं बनते हैं और स्मार्टकार्ड की पूरी लागत में इसका 80 फीसदी हिस्सा होता है।
इस वजह से 90 फीसदी तैयार स्मार्टकार्ड्स चीन, ताइवान, सिंगापुर और यूरोप से आयात किए जाते हैं। वैसे, पिछली तिमाही में चीन से 30 लाख कार्ड आयात किए गए। गौरतलब है कि भारतीय स्मार्टकार्ड उद्योग (मोबाइल सिम को छोड़कर) हर साल 25 फीसदी की रफ्तार से बढ़ रहा है।
स्मार्टकार्ड फोरम के प्रेसीडेंट और एएक्सपी सेमीकंडक्टर्स, ग्लोबल सेल्स के सीनियर डायरेक्टर अशोक चंडक का कहना है, ‘देश का घरेलू र्स्माटकार्ड निमार्ण उद्योग आयातकों से प्रतियोगिता करने में अभी सक्षम नहीं है। देश में स्मार्टकार्ड के लिए हमें सस्ते आयात पर निर्भर रहना पड़ रहा है। अब चीन जिस चीज को बना रहा है, वह भारत के लिए 100 फीसदी अनुकूल तो नहीं हो सकती।’
सूत्रों का कहना है कि यह सरकार की खामियों का नतीजा है। रिकॉर्डेड स्मार्टकार्ड पर छूट देने की वजह यह थी कि जिस स्मार्टकार्ड में सारी जानकारियां दर्ज कराई जा सकती हैं, वह देश में नहीं बन रहे हैं। इसलिए इनमें कोई उत्पाद कर नहीं लगना चाहिए। फिलहाल देश में 20 स्मार्टकार्ड इकाइयां हैं जो नए कारोबार के मौकोंका इंतजार कर रही हैं।
जेमिनी ट्रेज के सीईओ प्रद्युमन वेंकट का कहना है, ‘देश में स्मार्टकार्ड के उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ रही है। ऐसे में इस तरह के कदम से स्थानीय स्मार्टकार्ड निर्माण को बेहद बाधा पहुंचेगी। हालांकि हमलोग तो स्थानीय स्मार्टकार्ड निर्माताओं के लिए कच्चा माल मुहैया कराते हैं। इस वजह से हम लोगों को कोई खास परेशानी नहीं है लेकिन छोटे खिलाड़ियों के लिए अपना कारोबार बनाए रखने में काफी मुश्किलें आ रही हैं।’
स्मार्टकार्ड एक्सपो 2008 के आयोजक और विश्लेषक एस. स्वर्ण इस बात पर सहमत हैं कि इस तरह की व्यवस्था से तैयार स्मार्टकार्ड के आयात में बढ़ोतरी होगी और यह घरेलू निर्माण कंपनियों को सीधे-सीधे नुकसान पहुंचाएगा।
चंडक का कहना है, ‘सरकार को देश में स्मार्टकार्ड बनाने वाली कंपनियों को कच्चे माल जैसे कोर, ओवरले और मॉडयूल के लिए शुल्क में 100 फीसदी छूट देनी चाहिए। इसके अलावा आयातित स्मार्टकार्ड पर 19.65 फीसदी का शुल्क लगाया जाना चाहिए।’ इस बीच देश में र्स्माटकार्ड बनाने वाले स्थानीय निर्माताओं को इस तरह की छूट सी उपजी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।