आज स्लमडॉग मिलिनेयर को कौन नहीं जानता है। इसने बॉक्स ऑफिस पर भी अच्छी-खासी कमाई की।
हालांकि, फॉक्स स्टार इंडिया के मुख्य कार्यकारी विजय सिंह की मानें तो इसकी मोटी कमाई का राज है इसका हिंदी में डब किया जाना। उनके मुताबिक इसे हिंदी में डब किए जाने की वजह से ही इसकी कमाई में 50 फीसदी का इजाफा हुआ।
इस फिल्म का डिस्ट्रीब्यूशन भी फॉक्स ने ही किया है। कंपनी का कहना है कि कुछ शहरों में फिल्म का हिंदी वर्जन ‘स्लमडॉग करोड़पति’ तो सुपरहिट साबित हुआ है।
सिंह का कहना है कि, ‘हॉलीवुड की एक कामयाब फिल्म आमतौर पर बॉलीवुड के सुपरहिट फिल्म के मुकाबले एक तिहाई ही कमाई करती है। इसलिए हमारे लिए हिंदी वर्जन की वजह से कमाई में 50 फीसदी का इजाफा होना एक बड़ी बात है।’
फॉक्स इंडिया की मानें तो ‘स्लमडॉग करोड़पति’ और ‘स्लमडॉग मिलिनेयर’ से हुई कुल कमाई में से करीब दो तिहाई हिस्सा तो ‘स्लमडॉग करोड़पति’ की तरफ से ही आया। देश में अंग्रेजी फिल्मों को डब करने का कारोबार तेजी से कमाई कर रहा है।
दरअसल, इन डब फिल्मों को देखने के लिए लोग भी तो अब आगे आ रहे हैं। यह हालत सिर्फ इंदौर, विजाग कोल्हापुर और जयपुर की ही नहीं है। दिल्ली और मुंबई के बाहरी इलाकों में रहने वाले अंग्रेजी से पूरी तरफ से अनजान लोग भी इन फिल्मों की तरफ खींचे चले आ रहे हैं।
उद्योग विश्लेषकों का कहना है कि देश में बॉक्स ऑफिस पर होने वाली कुल कमाई में से पांच फीसदी इन्हीं डब फिल्मों से आता है। इस क्षेत्र में सबसे पहले उतरने वालों में एक है परसेप्ट पिक्चर कंपनी। इसी ने 2007 में स्पाइडरमैन 3 के डब वर्जन रिलीज किए थे।
कंपनी के मुख्य कार्यकारी नवीन शाह का कहना है कि, ‘2007 मे जब स्पाइडरमैन 3 रिलीज हुई थी, तो यह फिल्म सुपर-डुपर हिट रही थी। इसकी वजह से तो उस समय रिलीज हुई कई बॉलीवुड फिल्मों का कारोबार पर भी असर पड़ा था। आमतौर पर डब फिल्मों के सामने असल चुनौती, उन भारतीय फिल्मों की तरफ से आती है, जो उस वक्त रिलीज होती हैं।’ अब तो मल्टीप्लेक्स मालिक भी मान रहे हैं कि भारतीय भाषाओं में डब हुई फिल्मों के कद्रदानों की तादाद अच्छी-खासी हो चुकी है।
कई मल्टीप्लेक्स चलाने वाली कंपनी, आईनॉक्स लिजर लिमिटेड के मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) अलोक टंडन का कहना है कि, ‘पिछले साल में हमने 10 डब फिल्में रिलीज की थीं, जबकि 2007 में हमने सिर्फ तीन डब फिल्में रिलीज की थीं। इन फिल्मों को हिंदी के साथ-साथ तमिल, तेलुगू और दूसरी भारतीय भाषाओं में डब किया गया था। पिछले कुछ सालों में मल्टीप्लेक्सों का जाल छोटे शहरों में भी फैलने की वजह से हॉलीवुड की डब फिल्में अब मोटी कमाई कर रही हैं।’
विश्लेषकों का कहना कि कम लागत में मोटी कमाई की वजह से डब फिल्मों की तरफ फिल्म निर्माता और स्टूडियो आकर्षित हो रहे हैं। एक फिल्म को डब करने की कीमत पांच-छह लाख रुपये से शुरू होती है और डबिंग की क्वालिटी के आधार पर बढ़ती ही रहती है। साथ ही, अगर आप जाने-माने स्टारों से डबिंग करवाना चाहते हैं, तो आपको मोटे पैसे खर्च करने पड़ेंगे।
मनोरंजन और मार्केटिंग कंपनी के सीओओ मनीष माथुर का कहना है कि, ‘एक अंग्रेजी फिल्म की मार्केटिंग डिस्ट्रीब्यूटर को ही करनी पड़ती है। इस करने के लिए बेताब लोगों की कमी नहीं है। डबिंग का मतलब है कि अलग से कमाई।’ डब की गई करीब 90 फीसदी फिल्में अच्छा काम करती हैं, लेकिन हर फिल्म की डबिंग नहीं की जाती।
माथुर समझाते हैं कि, ‘सिर्फ उन्हीं फिल्मों को लोग देखना पसंद करते हैं, जिसमें अच्छे विजुअल्स हों। इसलिए भारत में स्पाइडरमैन और हैरी पॉटर की फिल्में तो अच्छी कमाई कर सकती है, लेकिन ‘सेक्स एंड द सिटी’ जैसी फिल्में यहां नहीं चलेंगी।’
