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स्पेक्ट्रम नवीनीकरण पर 44,000 करोड़ रुपये का खर्च

Last Updated- December 12, 2022 | 10:51 AM IST

आगामी स्पेक्ट्रम नीलामी तीन प्रमुख दूरसंचार ऑपरेटरों- भारती एयरटेल, रिलायंस जियो, और वोडाफोन आइडिया- के स्पेक्ट्रम के नवीनीकरण पर केंद्रित होगी। इन कंपनियों की 4जी स्पेक्ट्रम के नवीनीकरण की लागत कुल मिलाकर 44,000 करोड़ रुपये हो सकती है जो जून 2020 तिमाही में दूरसंचार कंपनियों के सकल समायोजित राजस्व लगभग बराबर है।
अगले वर्ष 800, 900 और 1800 बैंड में समाप्त होने वाले सभी स्पेक्ट्रम को नवीनीकृत करने के लिए भुगतान करना होगा। उद्योग के आकलन के अनुसार, इन बैंडों स्पेक्ट्रम की खरीदारी के लिए तैयार किए गए जटिल फॉर्मूले के आधार पर दूरसंचार कंपनियों को 16,300 करोड़ रुपये का एकमुश्त भुगतान सरकारी खजाने को करना होगा। उन्हें 700, 800, और 900 बैंड के लिए 25 फीसदी और 1800, 2100, 2300 और 2500 बैंड के लिए 50 फीसदी रकम का अग्रिम भुगतान करना होगा। जबकि शेष रकम का भुगतान दो वर्षों की मोहलत के साथ 16 वार्षिक किस्तों में करना होगा।
हालांकि भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया के 900 और 1800 बैंड में ऐसे स्पेक्ट्रम हैं जिनके लाइसेंस की अवधि खत्म होने जा रही है जबकि जियो के पास केवल 800 बैंड में स्पेक्ट्रम को बदलना है। आधार मूल्य पर जियो को करीब 20,518 करोड़ रुपये का होगा। उसे सबसे बड़े बिल का भुगतान इसलिए करना पड़ेगा क्योंकि उसके कुल स्पेक्ट्रम का करीब 12 फीसदी हिस्सा (43.75 मेगाहट्र्ज) खत्म होने जा रहा है। लेकिन कंपनी को इस बैंड (37.50 मेगाहट्र्ज) में उन स्पेक्ट्रम को बदलने के लिए अधिक स्पेक्ट्रम खरीदना होगा जिसे वह आरकॉम के साथ साझा कर रही थी। इसके लिए जियो को 5,130 करोड़ रुपये का एकमुश्त भुगतान करना होगा।
भारती एयरटेल इस श्रेणी में दूसरे पायदान पर है और उसे कुल स्पेक्ट्रम होल्डिंग के 10 फीसदी के नवीनीकरण के लिए 13,800 करोड़ रुपये का भुगतान होगा। वोडाफोन आइडिया के अनुसार, उसे महज 6 फीसदी स्पेक्ट्रम का नवीनीकरण करना होगा जिसके लिए उसे 10,000 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा। सभी बैंड में पर्याप्त स्पेक्ट्रम उपलब्ध होने के साथ ही दूरसंचार कंपनियां आक्रामक बोली लगाने के मूड में नहीं हैं जिससे कीमत में अधिक वृद्धि आने के आसार कम हैं। इनमें से अधिकतर आधार मूल्य पर ही खत्म हो सकता है। इसके अलावा, नीलामी के लिए रखे गए कुल स्पेक्ट्रम लगभग इन तीनों दूरसंचार ऑपरेटरों द्वारा परिचालन शुरू करने से अब तक मौजूद कुल स्पेक्ट्रम के बराबर है।
बहरहाल, 3500 और मिलीमीटर बैंड में 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी अगले साल के मध्य तक होने की संभावना है। ऐसे में अधिकतर ऑपरेटर नई तकनीक के लिए नकदी को बचाकर रखना चाहेंगे क्योंकि उसी से आगे विकास की रफ्तार निर्धारित होगी। रिलायंस जियो और भारती एयरटेल के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि वे कुछ अतिरिक्त स्पेक्ट्रम खरीद सकती हैं जो विशेष रूप से 1800 और 2300 बैंड में होंगे। इससे 4जी सेवाओं के कवरेज में सुधार करने में मदद मिलेगी क्योंकि नेटवर्क अब लगभग भर चुका है।
नकदी संकट से जूझ रही वोडाफोन आइडिया ने फिलहाल अपनी रणनीति नहीं बनाई है, लेकिन ज्यादातर विश्लेषकों का मानना ??है कि यह उसके लिए अच्छा रहेगा। उसके पास सबसे अधिक स्पेक्ट्रम हिस्सेदारी है (एयरटेल की 28 फीसदी की तुलना में 30 फीसदी और जियो की 18 फीसदी)। इसके अलावा वोडाफोन आइडिया की महज 44 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम का अगले नवीनीकरण होना है। वास्तव में, वोडाफोन आइडिया भी अपनी कुल लागत को कम करने के लिए कुछ स्पेक्ट्रम वापस कर सकती है।

First Published - December 18, 2020 | 11:30 PM IST

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