एच1बी, एल एवं अन्य कामकाज संबंधी वीजा पर ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को अमेरिका की एक जिला अदालत द्वारा लगाई गई रोक वास्तव में भारतीय आईटी कंपनियों और वैश्विक प्रौद्योगिकी कंपनियों के लिए अच्छी खबर है।
कैलिफोर्निया के उत्तरी जिला न्यायालय के न्यायाधीश जेफरी व्हाइट ने अपने आदेश मे कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अमेरिका के स्थानीय लोगों के लिए अधिक रोजगार सृजित करने के उद्देश्य से गैर-आव्रजन वीजा पर रोक लगाते हुए अपने संवैधानिक अधिकार को पार कर लिया है। जून में ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश जारी करते हुए इस साल के अंत तक नए विदेशी वीजा जारी करने पर अस्थायी रोक लगा दी थी।
इस रोक के हटने से उन भारतीय आईटी सेवा प्रदाताओं को बड़ी राहत मिलेगी जो एच1बी, जे और एल वीजा पर अधिक निर्भर हैं। उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि करीब 60 फीसदी शीर्ष भारतीय आईटी कंपनियां अमेरिका में केवल स्थानीय एवं वीजा पर निर्भर न रहने वाले कर्मियों को नियुक्त कर रही हैं। लेकिन यह फैसला अगले महीने होने वाले राष्ट्रपति के चुनाव के कारण वीजा संबंधी बाधाओं को दूर करता है।
ब्रोकरेज फर्म शेयरखान के अनुसंधान प्रमुख संजीव होता ने कहा, ‘यह खबर भारतीय आईटी क्षेत्र के लिए भावनात्मक रूप से सकारात्मक है। अब यदि किसी परियोजना की कुछ खास जरूरतों के लिए नए कर्मचारियेां को तैनात किया जा सकता है।’ उन्होंने कहा, ‘हालांकि कंपनियों से हुई हमारी बातचीत से पता चलता है कि वे अभी भी कर्मचारियों को यात्रा पर भेजने के लिए अधिक उत्सुक नहीं हैं। शीर्ष पांच आईटी कंपनियां दीर्घावधि में वीजा संबंधी समस्या से निपटने के लिए स्थानीय नियुक्तियों और अपनी ऑफशोरिंग रणनीतियों को लेकर काफी आक्रामक हैं।’
अमेरिकी अदालत का यह फैसला उन कंपनियों के कर्मचारियों पर लागू होगा जो मुकदमा में वादी- नैशनल एसोसिएशन ऑफ मैन्युफैक्चरर्स, यूएस चैम्बर ऑफ कॉमर्स, नैशनल रिटेल फेडरेशन और टेकनेट- का प्रतिनिधित्व करती हैं। हालांकि नीतिगत अध्ययन और मीडिया खबरों में कहा गया है कि इस फैसले का लाभ उठाने के लिए इन संगठनों में शामिल होने के लिए किसी भी कंपनी पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि इस गतिरोध के तहत ऊपरी अदालत में अपील की जा सकती है क्योंकि यह पिछले महीने वाशिंगटन की जिला अदालत द्वारा दिए गए फैसले का विरोधाभासी है। यह खबर ऐसे समय में आई है जब इसी अदालत ने वीजाधारकों के लिए एक अन्य अनुकूल फैसला सुनाया था। अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) शुल्क में वृद्धि के मामले में इसी अदालत ने स्थगनादेश जारी किया था जो 2 अक्टूबर से प्रभावी है।