इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की टीमों के लिए कमाई के लिहाज से संभावनाएं बढ़ गई हैं। आईपीएल की दस टीमों की हिस्सेदारी आईपीएल को मीडिया अधिकार से प्राप्त राजस्व कोटे में करीब ढाई गुना बढ़ जाएंगी। इस बूते परिचालन आय बढ़ जाएगी और मूल्यांकन भी ऊंचे स्तर पर पहुंच जाएगा।
इस बहुचर्चित एवं लोकप्रिय क्रिकेट टूर्नामेंट का प्रसारण अधिकार प्राप्त करने के लिए प्रसारण कंपनियों में होड़ बढ़ती ही जा रही है। आईपीएल में हिस्सा लेने वाली टीमें अपने राजस्व का अधिकांश हिस्सा एक केंद्रीय कोष से प्राप्त करती हैं। यहां से अर्जित रकम की उनके कुल राजस्व में 85-90 प्रतिशत तक हिस्सेदारी होती है। इसके तहत भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) आईपीएल टूर्नामेंट के मीडिया अधिकार और आधिकारिक प्रायोजन अधिकार के एवज में जितनी कमाई करता है उनमें 50 प्रतिशत हिस्सा टीमों के खाते में जाता है। टीमों के लिए आरक्षित रकम उनके बीच बांट दी जाती है।
अगर मीडिया अधिकार से मिलने वाला राजस्व 50,000 करोड़ रुपये पार कर जाता है तो आईपीएल की प्रत्येक टीमों में प्रत्येक को उसकी हिस्सेदारी के रूप में सालाना 500 करोड़ रुपये मिलेंगे। यह 2022 में प्राप्त लगभग 201 करोड़ रुपये से कहीं अधिक होगी।
आधार कीमत के अनुसार प्रत्येक टीम का राजस्व इस वर्ष की तुलना में 2023 में 63 प्रतिशत उछाल के साथ 328 करोड़ रुपये हो जाता। मगर नीलामी के पहले दिन की समाप्ति पर यह मीडिया अधिकार के लिए बोली 43,000 करोड़ रुपये पहुंच गई थी। यह टीमों के लिए अच्छी खबर है क्योंकि अगर 45,000 करोड रुपये नीलामी से मिलते हैं तो मीडिया अधिकारों से उन्हें प्राप्त राजस्व दोगुना बढ़कर 450 करोड़ रुपये हो जाएगा। वर्ष 2022 में डिज्नी स्टार ने आईपीएल मैचों का मीडिया अधिकार पाने के लिए 74 मैचों के लिए 4,033 करोड़ रुपये अदा किए थे।
इस वर्ष दो नई टीमों अहमदाबाद और लखनऊ के आने के बाद आईपीएल में खेले जाने वाले मैचों की संख्या 60 से बढ़कर 74 हो गई। 4,033 करोड़ रुपये में आधी रकम 2,016 करोड़ रुपये सभी टीमों के हिस्से में गई। हालांकि अगले पांच वर्षों के लिए बोली शर्तों के तहत 410 मैचों के आयोजन की बात कही गई है। प्रत्येक वर्ष 74 मैचों के आधार पर मैचों की कुल संख्या 370 रही होती। इसका मतलब हुआ कि आईपीएल ने कुछ और टीमों के आईपीएल का हिस्सा बनने का विकल्प खुला रखा है। 2023 में आईपीएल में 74 मैचों के आयोजन की ही योजना है।
बीसीसीआई को प्रायोजकों से जहां तक राजस्व प्राप्त होने की बात है तो 2022 में यह रकम करीब 708 करोड रुपये रही थी और प्रत्येक टीम को 35 करोड़ रुपये मिले थे। अगले वर्ष आईपीएल के लिए बीसीसीआई ने पांच वर्षों के लिए आधार मूल्य बढाकर 32,890 करोड़ रुपये कर दिया है। 2017 में डिज्नी स्टार ने जितनी रकम का भुगतान किया था उसकी तुलना में यह दोगुना है।
फोर्ब्स रिसर्च के अनुसार आठ टीमों के लिए औसत राजस्व 3.52 करोड डॉलर और परिचालन आय 90 लाख डॉलर है। मीडिया अधिकारों से अगर रकम में इजाफा होता है तो टीमों का मूल्यांकन भी बढ़ जाएगा। आईपीएल की 10 टीमों में 7 का मूल्यांकन पहले ही 1 अरब डॉलर पार कर चुका है।
पीई फंडों को आईपीएल में काफी संभावनाएं दिख रही है इसलिए उन्होंने टीमों पर बडा दांव लगाना भी शुरू कर दिया है। सीवीसी कैपिटल ने अहमदाबाद टीम के लिए 5,625 करोड़ रुपये अदा किए थे। सहारा ने पुणे वॉरियर्स के लिए 2010 में जितनी रकम का भुगतान किया था उसकी तुलना में यह तीन गुना अधिक है। मुंबई इंडियंस से तुलना करें तो अहमदाबाद के लिए सीवीसी कैपिटल 12 गुना अधिक रकम का भुगतान कर रही है। ऐसा नहीं है कि पीई फंड कंपनियां आंख मूंदकर या बिना कुछ सोचे-समझे रकम लगा रही हैं। पीई फंड कंपनियां जानती हैं कि मीडिया अधिकार से उन्हें एक निश्चित रकम मिलेगी और बीसीसीआई एक तरह से इसकी गारंटी देता है।
औसत मूल्यांकन पहले ही 1 अरब डॉलर से अधिक हो गया है। एक बड़े पीई फंड के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि मीडिया अधिकारों की हो रही नीलामी से उन्हें प्रत्येक वर्ष 100-300 करोड़ रुपये अतिरिक्त मिलेंगे और प्रायोजन अधिकारों से प्राप्त कमाई में भी उनकी हिस्सेदारी बढ़ जाएगी।