आईबीएम द्वारा वैश्विक स्तर पर किए गए एक सर्वेक्षण में करीब एक तिहाई आईटी पेशेवरों ने कहा कि उनका काम अब कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का उपयोग करना है जबकि 43 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि उनकी कंपनी कोविड-19 वैश्विक महामारी के परिणामस्वरूप कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर काफी जोर दे रही है। आईबीएम के ‘ग्लोबल एआई एडॉप्शन इंडेक्स 2021’ से पता चलता है कि पिछले साल एआई को अपनाने की रफ्तार लगभग स्थिर रही लेकिन वैश्विक महामारी के मद्देनजर बदलती कारोबारी जरूरतों के कारण एआई पर जोर दिख रहा है। भारत के बारे में इस प्रकार की जानकारी हासिल हुई:
करीब 53 फीसदी भारतीय आईटी पेशेवरों ने कहा कि उनकी कंपनी ने कोविड-19 वैश्विक महामारी के मद्देनजर एआई की रफ्तार बढ़ा दी है। अधिकतर भारतीय आईटी पेशेवरों (43 फीसदी) का कहना था कि वे कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण सुरक्षा और खतरों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
भारतीय आईटी पेशेवरों को आमतौर पर सीमित विशेषज्ञता अथवा ज्ञान (52 फीसदी) दिख सकता है और एआई को अपनाने में डेटा संबंधी जटिलता और डेटा कक्ष (50 फीसदी) सबसे बड़ी बाधा दिख रही है।
भारत में लगभग सभी (95 फीसदी) आईटी पेशेवरों का मानना है कि उनके कारोबारियों के लिए यह गंभीर और काफी महत्त्वपूर्ण है कि वे एआई के आउटपुट को उचित, सुरक्षित और भरोसेमंद होने का विश्वास करें।
भारतीय आईटी पेशेवरों ने उच्च मूल्य वाले कार्य को सशक्त करने के लिए काफी हद तक स्वचालित प्रक्रियाओं (54 फीसदी) पर जोर दिया जबकि 52 फीसदी ने तीसरे पक्ष की साझेदारी के दमदार परिवेश पर जोर दिया और 51 फीसदी ने आचार पर बल दिया। एआई प्रदाताओं का आकलन करते समय इन कारकों पर विचार करना चाहिए।
अधिकतर भारतीय आईटी पेशेवरों (62 फीसदी) का कहना था कि उनकी कंपनी स्वचालन सॉफ्टवेयर अथवा टूल्स का उपयोग करने के लिए प्रक्रियाओं और कार्यों में बेहतर कुशलता को बढ़ावा देने पर विचार कर रही है।
करीब 54 फीसदी भारतीय आईटी पेशेवरों ने कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण स्वचालन सॉफ्टवेयर अथवा टूल्स का उपयोग करने के लिए ग्राहकों के निर्णय को प्रभावित करने के लिए बातचीत के बेहतर तरीके की आवश्यकता है।
हरेक चार में से तीन यानी 78 फीसदी भारतीय आईटी पेशेवरों का मानना है कि जहां कहीं भी डेटा की संभावना है वहां एआई परियोजनाओं को शुरू करना उनकी कंपनी के लिए महत्त्वपूर्ण होगा।