केंद्र सरकार ने भ्रमित करने वाले एंडोर्समेंट के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इनके तहत मशहूर हस्तियों और वर्चुअल अवतार सहित सभी सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसरों के लिए निर्देश जारी कर कहा गया है कि उन्हें प्रचार में उपयोग की जाने वाली सामग्री और उनके ब्रांड के साथ विशेष संबंध को उजागर करना होगा।
सरकार ये निर्देश उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत लेकर आई है। यह अधिनियम उपभोक्ताओं को अनुचित व्यापार तरीके और भ्रामक विज्ञापन से बचाने के लिए रूपरेखा प्रदान करता है।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) के इन्फ्लुएंसर दिशानिर्देशों के साथ जोड़कर नए दिशानिर्देश जारी किए।
विभाग के अनुसार, एक ब्रांड के साथ आपसी संबंध में मौद्रिक लाभ, होटल में ठहरने, पुरस्कार, रोजगार संबंध, प्रतिस्पर्धात्मक प्रवेश और मीडिया का आपसी आदान-प्रदान शामिल है।
नए दिशा-निर्देशों का अनुपालन न करने पर विनिर्माताओं, विज्ञापनदाताओं और प्रचारकों को दंडात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा, जिसके तहत 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। बार-बार उल्लंघन करने पर यह जुर्माना 50 लाख रुपये तक भी बढ़ाया जा सकता है।
मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि बार-बार उल्लंघन करने पर हस्तियों और इन्फ्लुएंसरों को भी भविष्य में एंडोर्समेंट पाने के लिए भी प्रतिबंधित किया जा सकता है। इसके साथ ही छह महीने की जेल की सजा भी संभव है जो दो वर्ष तक के लिए भी बढ़ाई जा सकती है।
उपभोक्ता मामलों के विभाग के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा कि जिन व्यक्तियों या समूहों की दर्शकों तक पहुंच है और वे किसी उत्पाद, सेवाओं, ब्रांड या अनुभव के बारे में अपने दर्शकों के खरीदने के निर्णयों या विचारों को प्रभावित कर सकते हैं, उन्हें अपने विशेष संबंध का खुलासा करना चाहिए। क्योंकि यह खुलासा उनके द्वारा किए गए प्रतिनिधित्व की शक्ति या विश्वसनीयता को प्रभावित कर सकता है।
ऐसे नियमों के महत्त्व को बताते हुए सचिव ने संवाददाताओं से कहा कि 2022 में भारत में सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर बाजार का आकार 1,275 करोड़ रुपये था और इसके 2025 तक 19-20 फीसदी चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) के साथ 2,800 करोड़ रुपये होने की संभावना है।
इन दिशानिर्देशों में यह भी कहा गया है कि खुलासे और एंडोर्समेंट एक ही भाषा में होने चाहिए। साथ ही, ट्विटर जैसे सीमित स्थान वाले प्लेटफॉर्म के मामले में, हैशटैग में विज्ञापन, स्पॉन्सर्ड, भुगतान जैसे संक्षिप्त शब्द भी स्वीकार्य होंगे।
पिक्चर के एंडोर्समेंट के लिए इमेज के ऊपर ऐसे प्रदर्शन करना होगा कि उसे दर्शक देख सकें, वहीं वीडियो सामग्री के लिए एंडोर्समेंट का खुलासा वीडियो रूप में होना चाहिए, सिर्फ विवरण नहीं माना जाएगा। जब वीडियो एंडोर्समेंट की बात आती है, तो इन्फ्लुएंसरों को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता होगी कि खुलासे को वीडियो में रखा जाए, न कि केवल विवरण में और यह ऑडियो और वीडियो दोनों माध्यमों में होना चाहिए।
हालांकि लाइवस्ट्रीम में, खुलासे स्ट्रीमिंग के दौरान लगातार पूरे समय और प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाना चाहिए।
उपभोक्ता मामलों के विभाग (सीसीपीए) की मुख्य आयुक्त निधि खरे ने दिशानिर्देशों पर कहा कि एंडोर्सरों द्वारा खुलासा ऐसा होना चाहिए कि उसे याद रखने में अधिक परेशानी न हो और इस तरह से रखा जाना चाहिए कि वह स्पष्ट हो और प्रमुखता से दिखता हो। ऐसा न हो कि खुलासे लिंक और हैशटैग के साथ मिला दिए गए हों और दिखाई न दें।
पूरे मुद्दे को जानना उपभोक्ताओं का अधिकार है। इसलिए एंडोर्सरों या अन्य विज्ञापनदाताओं की जिम्मेदारी ईमानदारी से उस जानकारी का खुलासा करना है जिसे उपभोक्ताओं को कोई भी खरीदारी निर्णय लेने से पहले पता होना चाहिए।
यदि इन्फ्लुएंसर्स किसी भी महत्त्वपूर्ण संबंध का खुलासा नहीं करते हैं, तो एंडोर्सरों द्वारा उत्पादों और सेवाओं का पहले से ही उपयोग या अनुभव किया जाना जरूरी है। अगर ऐसा नहीं होता तो उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी। सचिव ने कहा कि उम्मीद है कि इससे समस्या का हल निकल सकेगा, लेकिन अगर आगे भी अनुपालन नहीं होता है, तो कानून के तहत प्रावधान हैं, लोग अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं और बार-बार चूक करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग कर सकते हैं।
विभाग बार-बार उल्लंघनों की पहचान करने के लिए कुछ तंत्र या एल्गोरिदम को तैनात करने के लिए तकनीकी कंपनियों के साथ भी बातचीत कर रहा है। इस बीच, अगर उपभोक्ता इन्फ्लुएंसरों को दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए पाते हैं तो शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
द न्यूट्रीशन एडवोकेसी इन पब्लिक इंटरेस्ट (एनएपीआई) ने भी सरकार के कदम का स्वागत किया और कहा कि आपसी संबंध के खुलासे का प्रावधान भ्रामक को पहचानने में आसानी लाएगा और पारदर्शिता भी नजर आएगी, जिससे उपभोक्ता अपने संज्ञान में सामग्री का उपयोग कर सकेंगे। एनएपीआई में डॉक्टरों के समुदाय के स्वतंत्र विशेषज्ञ शामिल हैं।
उपभोक्ताओं को किसी भी आधार पर गुमराह करना आपत्तिजनक है, लेकिन जब खाद्य/पेय उत्पादों की बात हो, विशेष रूप से बच्चों के लिए, तो यह उनके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है। एनएपीआई के संयोजक डॉ. अरुण गुप्ता ने कहा कि अधिक चीनी, नमक, वसा (एचएफएसएस) और अन्य योजक आहार महत्त्वपूर्ण तत्त्व हैं जो आमतौर पर कंपनियों द्वारा विज्ञापनों के माध्यम से छुपाए जाते हैं और ये उपभोक्ताओं के लिए भ्रामक होते हैं।
उन्होंने कहा, जब तक ऐसे उत्पादों को लेकर कोई स्वास्थ्य चेतावनी कानून नहीं है, तब तक प्राधिकरण को एचएफएसएस खाद्य / पेय उत्पाद के विज्ञापनों के खिलाफ डब्ल्यूएचओ के मार्गदर्शन के आधार पर स्वयं ही कार्रवाई करनी चाहिए।