facebookmetapixel
GST कटौती से 4 मीटर से छोटी एसयूवी की मांग में तेजी, स्कोडा इंडिया ने जताई निरंतर वृद्धि की उम्मीदभारत में Apple का बड़ा दांव: वित्त वर्ष 2026 में 28 अरब डॉलर के उत्पादन का लक्ष्य, निर्यात से मिलेगी बढ़तQ2 Results: अपोलो हॉस्पिटल्स का लाभ 26 % बढ़ा, जानें कैसे रहें अन्य कंपनियों के रिजल्टभारती एयरटेल में हिस्सेदारी बेचेगी सिंगटेल की सहायक कंंपनी, ₹10,300 करोड़ के शेयर बेचेगीBihar Election Phase-1 Voting: बिहार में मतदाताओं ने दिखाया उत्साह, हुआ 64.66% मतदानवित्त मंत्री ने दिए संकेत: बड़े बैंकों के निर्माण के लिए सरकारी बैंकों के विलय के दूसरे चरण पर शुरू हुई चर्चाSBI MF का आईपीओ जल्द, 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा वैल्यूएशन की उम्मीदआज की दुनिया में ट्रंप का जी2 सपना महज कागजी, वैश्विक प्रभाव से रहितEditorial: बिलासपुर रेल दुर्घटना ने फिर उठाए सुरक्षा पर सवालPhysicsWallah को कोर्स की कीमतें बढ़वाने वाले निवेशक नहीं चाहिए, आईपीओ 11 नवंबर को खुलेगा

बदलाव बना ब्रांड

Last Updated- December 10, 2022 | 11:31 PM IST

हाल ही में एमटीवी के 100 से अधिक कर्मियों ने वायकॉम 18 (50:50 हिस्सेदारी वाला वायकॉम इंक और नेटवर्क 18 का उपक्रम) के म्यूजिक चैनल ने मुंबई के अपने परेल ऑफिस में 15 किलोग्राम का बड़ा-सा केक काटा।
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर मौका क्या था? एमटीवी के महाप्रबंधक और वरिष्ठ उपाध्यक्ष (क्रिएटिव ऐंड कंटेंट) आशीष पाटिल के मुताबिक भारत में चैनल को सबसे अधिक दर्शक मिले थे। चैनल ने अपने ग्रॉस रेटिंग पॉइंट्स (जीआरपी) के जरिए एनडीटीवी इमेजिन और सब टीवी सरीखे आम मनोरंजन चैनलों को कड़ी टक्कर दी है।
पिछले तीन सप्ताह में एमटीवी की जीआरपी 79 से बढ़कर 81 और फिर 83 हो गई है। आखिरी सप्ताह में 50 लाख लोगों ने चैनल का साथ दिया। चैनल के दो रियलिटी शो रोडीज और स्प्लिट्सविला की दर्शक संख्या काफी तेजी से बढ़ी।
रोडीज की जीआरपी 3.5 और उससे अधिक रही, जबकि स्प्लिट्सविला ने इस सप्ताह 1.71 का आंकड़ा छुआ- जो किसी भी म्यूजिक चैनल के लिहाज से लाजवाब कहा जा सकता है। लोकप्रिय धारावाहिकों बालिका वधू और बिदाई की रेटिंग 8 से 10 के करीब रही।
चैनल ने अपने दर्शक वर्ग का चयन भी काफी संभल कर किया। उसने हिंदी भाषी इलाकों के पहले और दूसरे दर्जे के एक लाख से अधिक आबादी वाले शहरों के 15 से 24 साल के दर्शकों को लक्षित किया। रिकॉर्ड पर नजर डालें तो टैम मीडिया के आंकड़े बताते हैं कि हिंदी बाजारों में केबल और डीटीएच के लिए एमटीवी के जीआरपी 15 मार्च से 21 मार्च के बीच 33 रही।
एमटीवी के साथ पिछले 11 वर्षों से जुड़े पाटिल का कहना है, ‘हमने युवाओं को अपना लक्ष्य बनाया है। हमारा लक्ष्य वे युवा हैं जो प्रभावित हो सकते हैं। यही वजह है कि विज्ञापनदाता हमारे चैनल पर स्लॉट खरीद  रहे हैं। हमने चुन्नू, मुन्नू, दादा, दादी या किसी ठेला खींचने वाले को लक्ष्य नहीं बनाया।’
लोग बेशक कुछ भी कहें, लेकिन टैम के आंकड़े बताते हैं कि म्यूजिक चैनलों के बीच एमटीवी सबसे आगे है। जहां 15 मार्च से 21 मार्च के बीच 9एक्सएम की जीआरपी 26 थी, वहीं चैनल वी 6 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी के साथ काफी पीछे था।
नेटवर्क 18 के ग्रुप मुख्य कार्याधिकारी हरीश चावला का कहना है, ‘हमने पिछले 15 सालों में आज तक का अपना सबसे अधिक राजस्व और रेटिंग हासिल की है। एमटीवी ने लगभग 90 से 100 करोड़ रुपये बनाए हैं।’ उनका यह भी कहना है कि उनने चैनल के दो शोज के लिए स्पॉट रेट भी काफी महंगे बेचे हैं। पाटिल का कहना है, ‘हमारा चैनल मुनाफा कमा रहा है।’
पाटिल का कहना है कि हाल के महीनों में एमटीवी को मिली सफलता कोई तीर-तुक्का नहीं है, बल्कि यह सोचे-समझे दिमाग की रणनीति का परिणाम है। वर्ष 2007 में आईएमआरबी की ओर से 5 मेट्रो शहरों में कराए गए अध्ययन ब्रांड ट्रैक में एमटीवी के बारे में कहा गया था कि 100 प्रतिशत लोगों को एमटीवी की जानकारी है, लेकिन इसे पसंद करने वालों की तादाद सिर्फ 44 प्रतिशत थी। ब्रांड ट्रैक के अध्ययन के मुताबिक एमटीवी की छवि के मेकओवर के बाद इसे पसंद करने वालों की संख्या बढ़कर 93 फीसदी तक हो गई है।
एमटीवी के प्रबंधकों का मानना है कि वह गंभीर मुद्दों को उठाते हैं। सबसे पहले चैनल ने यह समझा कि ग्राहक वर्ग बदल गया है। ‘देसी कूल’ युवा जिन्हें हिंदुस्तानी होने पर गर्व था, अब वह ज्यादा वैश्विक हो गया है। पाटिल मानते हैं कि वे अब भी हिंदुस्तानी होने पर गर्व करते हैं। युवा वर्ग घूमता-फिरता है और ऑरकुट, फेसबुक और यूटयूब सरीखे अंतरराष्ट्रीय माध्यमों से बखूबी वाकिफ है। दूसरी तरफ एमटीवी भारतीय गलियों के मजाक और भारतीय प्रतीकों जैसे रंगोली, ऑटोरिक्शा और लिफ्टमैन को अब भी भुनाने में लगा हुआ है।
मीडिया का माहौल भी बदल गया है। आम मनोरंजन चैनलों ने भी सारेगामा, वॉयस ऑफ इंडिया और इंडियन आइडल जैसे म्यूजिक शो पेश किए। पाटिल का दावा है, ‘ये हमें तोड़ने का काम कर रहे थे।’ इससे भी बड़ी बात यह कि आज म्यूजिक ऐसी चीज है जो नेट, आईपॉड और मोबाइल फोनों तक में भी मुफ्त में उपलब्ध है। चैनल को आईएनएक्स मीडिया के म्यूजिक चैनल 9एक्सएम से भी चुनौतियां मिल रही थीं।
यह चैनल एक के बाद एक संगीत बजा रहा था और तो और प्रीमियम वितरण बैंड पर उपलब्ध था, जिसे समूह के न्यूज चैनल के लिए खरीदा गया था। उसके बाद पाटिल ने एक नया प्रोजेक्ट ‘सैक्सी बैक’ लॉन्च किया, जिसके लिए चैनल को एक खूबसूरत होस्ट की जरूरत थी। इस प्रोग्राम के लिए एमटीवी के दफ्तर का पूरा हुलिया ही बदल दिया गया।
आखिर युवा चैनल में क्या बदलाव चाहते हैं, इसकी जानकारी के लिए चैनल ने अपने कर्मचारियों को सर्वे करने के लिए महानगरों में भेज दिया, जहां वे कैम्पस, मल्टीप्लेक्स और मॉल में जाकर युवाओं से बातचीत करते थे। इसके बाद जो सामने आया, उसने चैनल अधिकारियों की आंखें खोल दीं। ऐसा माना गया कि चैनल बेहद कम संगीत और मस्ती से भरा हुआ है, जबकि दर्शक मनोरंजन के साथ-साथ जानकारी भी चाहते हैं।
शुरुआत के लिए सबसे पहले चैनल ने खूबसूरत चेहरों को जगह दी, जिनमें विदेशी और किंगफिशर कैलेंडर मॉडल वीजे मिया और किंगफिशर की ही दूसरी मॉडल दीप्ति गुजराल शामिल हैं। नए लुक के साथ चैनल ने अपने पुराने रंगोली, समोसा और झूमर वाले ग्राफिक को अलविदा कह दिया।
इसी के साथ जो नए शो शुरू किए गए, उनमें से किसी का भी नाम हिंग्लिश (पहले फुल्ली फालतू, बोलती बंद आदि) में नहीं था। इसकी बजाए बढ़िया नाम जैसे रोडीज 5.0, वॉसअप? और एमटीवी इट सक्स को बाजार में उतारा गया। स्प्लिट्सविला को पिछले साल लॉन्च किया गया और फिलहाल इसका दूसरा दौर प्रसारित किया जा रहा है।
एक बार फिर बाजार में अपनी पकड़ को मजबूत करने के लिए एमटीवी की टैगलाइन भी बदल कर ‘एमटीवी एन्जॉय’ से ‘इट्स माई एमटीवी’ कर दी गई। इसके पीछे तर्क काफी सीधा था, अपनापन अब चैनल में भी शामिल हो चुका था। वॉलपेपर, मोबाइल रिंगटोन और कॉलर-बैक टयनों को भी दर्शकों की पसंद का बना दिया गया था। इस युवा कूल होने के करीब महसूस करते हैं।
टैगलाइन में बदलाव भी चैनल में हुए पूरे परिवर्तन के लिहाज से जरूरी था। एमटीवी एन्जॉय पूरे तौर पर म्यूजिक और मनोरंजन से जुड़ा है। लेकिन अब चैनल अपनी पेशकश की लंबी फेहरिस्त के साथ तैयार है। यही वजह थी कि चैनल रोमांस, रिश्तों, करियर और कैम्प्स, जीवनशैली और ताजा मामलों से जुड़ा। संगीत से जुड़ी अपनी सामग्री में सुधार लाने के लिए एमटीवी ने अपनी प्लेलिस्ट को और दुरुस्त किया- ताकि सिर्फ हिट गानें ही चलाए जाएं।
विज्ञापनों की दुनिया में भी बदलाव किया गया। अपने ब्रांड को बनाने के चलते कम कीमत वाले विज्ञापनों को चैनल से निकाल दिया गया और पूरा ध्यान सुबह और शाम के प्राइम टाइम के लिए महंगे विज्ञापनों पर लगाया गया। पाटिल का कहना है, ‘हमने प्राइम टाइम में विज्ञापनों की अधिक संख्या को लगभग 25 से 30 प्रतिशत कम कर दिया।’
पिछले साल स्वतंत्रता दिवस पर पूरा दिन नोकिया के लिए रखा गया था। दोबारा 1 अप्रैल, 2009 को आईटीसी के बिंगो को स्लॉट बेचे गए, ताकि वह ऑल फूल्स डे मना सकें। पाटिल का कहना है, ‘इस कदम से हमें अधिक राजस्व हासिल करने में मदद मिलती है, ब्रांड को उसकी कीमत और दर्शकों को कम से कम विज्ञापन देखने को मिलते हैं।’
जहां एमटीवी गर्व से 100 करोड़ रुपये राजस्व की बात कहता है, वहीं उसे यह सारी रकम ऑन-एयर विज्ञापनों के समय से नहीं मिलती। इसका एक बड़ा हिस्सा वायकॉम ब्रांड सॉल्यूशंस, जो एक कम्युनिकेशंस एजेंसी है, से मिलता है। एमटीवी ही इस एजेंसी को चलाता है। यह विज्ञापन फिल्में जैसे वोडाफोन टेक्स्ट मैसेज की ‘ढल गया दिन… टक?’ आदि बनाता है, ब्रांड प्रमोशंस करता है।
इसके अलावा ऑन-ग्राउंड एक्टिशंस और फिल्मों के प्रीमियर आयोजित करना भी चैनल की गतिविधियों में शामिल है। रोडीज के लिए 3.5 रेटिंग के साथ 10 सेकंड के लिए स्पॉट्स को 20,000 रुपये में बेचा गया, जबकि आमतौर पर यह 1,500 रुपये से 2,000 रुपये रहता है। पाटिल का दावा है कि एमटीवी का कुल कारोबार 40 प्रतिशत बढ़ा है। लेकिन प्रतिद्वंद्वी और मीडिया विशेषज्ञ इस बात से इत्तफाक नहीं रखते। उनका तर्क है कि एमटीवी का म्यूजिक कार्यक्रमों का अनुपात लगभग आधा-आधा है।
 एक प्रतिद्वंद्वी चैनल के प्रमुख का कहना है, ‘इसके साथ आप कैसे पैसे कमाने की उम्मीद कर सकते हैं। स्प्लिट्सविला और रोडीज काफी महंगे हैं, खासतौर पर रोडीज, जिसकी शूटिंग ऑस्ट्रेलिया में हो रही है।’ इस पर पाटिल का कहना है कि चूंकि यह हमारे खुद के प्रोडक्शन हैं। इसलिए चैनल इनके खर्च को नियंत्रण में रख पा रहा है।
हालांकि चैनल वी के प्रमख प्रेम कामथ मानते हैं कि रोडीज सफल हो रहा है, लेकिन उनका मानना है कि उन्हें सफल होने के लिए कम से कम ऐसे 5 से 6 शो और चाहिए। मीडिया एजेंसी देंत्सु के मुख्य परिचालन अधिकारी संजय चक्रवर्ती का कहना है कि रोडीज की सफलता के बावजूद चैनल अपने पूरी विज्ञापन दरों को बढ़ा नहीं सकता।
उनका कहना है, ‘चैनल अब भी दूसरे म्यूजिक चैनलों के बराबर है।’ एमटीवी के उपाध्यक्ष (कंज्यूमर प्रोडक्ट्स) संदीप दहिया का कहना है कि इसमें कोई हैरत की बात नहीं है कि चैनल दो शो के दम पर चल रहा है। उनका कहना है, ‘ऐसे ही ज्यादातर टीवी चैनल चलते हैं। अहम बात तो यह है कि अब हम भी भारत के आम मनोरंजन चैनलों की लीग में शामिल हो गए हैं।’

First Published - April 7, 2009 | 8:13 PM IST

संबंधित पोस्ट