भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने उन सारे आवेदनों को खारिज करने का निर्णय लिया है जिनमें देश में उत्पाद पेटेंट वाली दवाइयों के कॉपीकैट संस्करण को बेचने की अनुमति देने का आग्रह किया गया है।
यह कदम इस मायने में महत्वपूर्ण है कि दवा बनाने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियां बगैर किसी भय के अपनी पेटेंट दवाएं लॉन्च कर सकेंगी। उन्हें घरेलू कंपनियों की ओर से पेटेंट का उल्लंघन करने का डर नहीं रहेगा।
दवा बनाने वाली एक बड़ी कंपनी सिप्ला ने हाल ही में भारत में कैंसर की एक दवाई एर्लोटिनीब बाजार में उतारी। इसने भारत में स्विस कंपनी रॉश के पेटेंट को चुनौती दी। रॉश ने दिल्ली उच्च न्यायालय में सिप्ला के पेटेंट अतिलंघन के खिलाफ एक याचिका दायर कर दी। डीसीजीआई का कदम इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाएगा। बहुराष्ट्रीय दवा कंपनियां इस कदम का स्वागत कर रही हैं।
हालांकि घरेलू दवा कंपनियों ने इस कदम को अवांछित करार दिया है और कहा है कि इसका कोई कानूनी आधार नहीं है। उन्होंने दावा किया है कि दवा नियामक (दवा और सौंदर्य प्रसाधन कानून 1940) में पेटेंट और नियामक की स्वीकृ ति का आपस में कोई संबंध नहीं है।
इंडियन फार्मास्युटिकल एलायंस के महानिदेशक डी जी शाह ने कहा कि यह जेनेरिक दवाओं के मामले में तब तक नहीं आता जब तक इस दवा की तिथि बची हुई रहती है। इस कदम से जेनरिक दवाओं को बाजार में उतारने में विलंब होगा। शाह ने बताया कि अगर हम इस बात को ध्यान में रखें कि एक भी उत्पाद बनाने के लिए इसके विभिन्न स्तरीय पेटेंट स्तरों से मान्यता लेनी जरूरी है तो इस तरह की व्यवस्था नहीं होनी चाहिए।
डीसीजीआई सुरिंदर सिंह ने कहा कि यह निर्णय उनके स्तर पर लिया गया है और हम यह बताना चाहते हैं कि पेटेंट दवाओं की कद्र भारत में भी है।उन्होंने दवा कंपनियों से यह पूछा था कि नई दवाओं का पेटेंट हासिल करने की पूरी विस्तृत जानकारी प्रस्तुत करें।
जब भी एक दवा के लिए दो आवेदन पत्र आते हैं तो हम राय के लिए पेटेंट कार्यालय के पास भेज देते हैं। सिंह ने कहा कि प्राधिकरण इस पर अंतिम निर्णय देने से पहले दवा कंपनियों और दवा उद्योग से इस संबंध में बात करेगा, जिससे इस मामले में किसी तरह का संशय न रहे।
औषधि महानियंत्रक का कदम
पेटेंट दवाइयों के कॉपीकैट संस्करण की मान्यता लेने के लिए कंपनियों के आवेदनों को खारिज करने का निर्णय।
हाल ही में दवा कंपनी सिप्ला पर इसी तरह की दवा बनाने के कारण स्विस कंपनी रॉश ने दिल्ली उच्च न्यायालय में पेटेंट के उल्लंघन का मुकदमा दायर किया था।महानियंत्रक के इस कदम से ऐसे मामलों पर रोक लगेगी।