जनवरी से मार्च 2008 की तिमाही में वायुयानों की घरेलू यात्री टैरिफ में 11 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।
लेकिन बात जोरों पर यह है कि इन विमान कंपनियों ने अपनी क्षमता में वृद्धि तो की है लेकिन उस लिहाज से उसे रिटर्न नही मिला है। इसी अवधि के लिए विमान कंपनियों ने अपनी उडानों और क्षमताओं के विकास में 26 प्रतिशत का इजाफा किया है।
आने वाले कुछ महीने में सीटों की संख्या और मांग के बीच का अंतर इन विमान कंपनियों के लिए एक समस्या बन सकती है। जनवरी से मार्च तक हवाई यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या एक करोड बीस लाख रही जबकि इनके लिए उपलब्ध सीटों की संख्या दो करोड़ रही यानी आधी से ज्यादा सीटें खाली रही।
अगर इन विमान कंपनियों के बाजारीय अंश को एक साथ देखे तो कम लागत वाली कंपनियों को तो फायदा हुआ लेकिन फुल टाइम सर्विस कंपनियां इसमें पीछे रह गई।लेकिन स्पाइस जेट, इंडिगो, जेटलाइफ, गो एयर, इंडिगो, और डेक्कन ने हालांकि बाजार में अपने अंश को बढ़ाए लेकिन इस लिहाज से उन्हें ज्यादा लाभ नही हुआ।बजट विमान कंपनियों का हिस्सा पूरे बाजार का 46.7 प्रतिशत है। बांकी हिस्सा फुलटाइम एयर सर्विस प्रदाता कंपनियों का है।
फुलटाइम सेवा देने वाली कंपनियों में मात्र किंगफिशर ही एक ऐसी कंपनी है जिसने अपने बाजार अंश में लाभ कमाया है बांकी जेट एयरवेज और एयर इंडिया की घरेलू विंग को इस लिहाज से घाटा हुआ है। एयर इंडिया और जेट को अपने बाजार अंश में घाटा इसलिए हुआ क्योंकि नये एयरलाइंस ने अपनी क्षमता का विकास किया जबकि जेट लाइफ और डेक्कन को यह घाटा रूट के रेशनलाइजेशन के कारण हुआ जिस वजह से उनकी बहुत सारी उड़ानें बाधित हो गई।
ट्रेवल पोर्टल मेकमाईट्रिप के ऑनलाइन सेल्स के प्रमुख मोहित श्रीवास्तव ने बताया कि इस साल एयर डेक्कन ने अपनी दिल्ली से मुंबई की रोज की उडानों की संख्या 6 से घटाकर 4 कर दी है।स्पाइस जेट, इंडिगो और किंगफिशर ने पूरे वर्ष अपनी क्षमता में विस्तार किया और इससे उनके बाजारीय अंश में भी वृद्धि हुई।
गोएयर के सीईओ एडगार्डो बेडिआली ने कहा कि बाजार का अंश बाजार की वर्तमान अंश को दिखाता है। अगर किसी कंपनी के द्वारा एक बड़ी लागत लगाई जाती है तो ही बाजार के अंश पर कोई प्रभाव पड़ता है।
अगर पिछले साल की तुलना में इस साल उडानों की संख्या देखे तो इन कंपनियों ने अपनी विमान जत्थे से एक एयरक्राफ्ट कम कर दिए हैं। छोटी विमान कंपनी के एक वरिष्ठ कार्यकारी ने बताया कि ट्रैफिक में भी इस साल कमी देखी जा रही है। इस साल इसमें मात्र 15-16 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई जो पिछले साल 25 प्रतिशत के आसपास थी।
यह एक बहुत बड़ा कारण रहा जिस वजह से किराये में कमी हुई और आगे के सालों में भी यह प्रवृत्ति जारी रहेगी। ट्रैफिक में हो रही कमी को देखते हुए बहुत सारी विमान कंपनियों ने इस पूरी गर्मी के मौसम में मूल किराये की सीमा 0 से 99 रुपये रखने जा रही है। इसके साथ स्पाइस जेट और इंडिगो जैसी विमान कंपनियां कम एयरक्राफ्ट डिलीवरी और लीज अवधि को छोटा कर अपनी क्षमता को भी कम करने की योजना बना रही है।
विमान कंपनियों के दर्द की दास्तां
वायुयानों के घरेलू यात्री टैरिफ में 11 प्रतिशत का इजाफा।
सीटों की संख्या और यात्रियों की मांग के बीच अंतर ज्यादा।
कम लागत वाली कंपनियों को हुआ ज्यादा फायदा।
रूट के रेशनलाइजेशन से बड़ी कंपनियों की उड़ानें बाधित