भारत में 85 फीसदी बच्चों को अंतरराष्ट्रीय औसत से दोगुना साइबर धमकी का सामना करना पड़ता है। मैकेफे साइबरबुलिंग रिपोर्ट से पता चला है कि 42 प्रतिशत भारतीय बच्चे नस्लवादी साइबर धमकी का लक्ष्य रहे हैं, जो दुनिया (28 प्रतिशत) की तुलना में 14 प्रतिशत अधिक है।
मैकेफे साइबरबुलिंग रिपोर्ट के मुताबिक, यह सर्वेक्षण 15 जून से 5 जुलाई के बीच किया गया। इसमें 10 देशों के 11,687 माता-पिता और उनके बच्चों को शामिल किया गया। इसमें कहा गया है, भारतीय बच्चे दुनियाभर के अन्य बच्चों की तुलना में करीब दो गुना ज्यादा साइबरबुलिंग का शिकार हुए। इतना ही नहीं, तीन में से एक भारतीय बच्चा 10 साल की उम्र में ही साइबर नस्लवाद और यौन उत्पीड़न के खतरों का सामना करता है। भारतीय बच्चे लगभग हर सोशल मीडिया और मैसेजिंग प्लेटफॉर्म पर सबसे ज्यादा साइबरबुलिंग का अनुभव करते हैं। इसके अलावा, 45 फीसदी भारतीय बच्चों ने कहा कि वे अपने माता-पिता से साइबर धमकी के अनुभव छुपाते हैं।