निजी इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनियां 11,000 बेस ट्रांसीवर स्टेशन (बीटीएस) स्थापित करने के लिए 4,500 से 5,000 करोड रुपये निवेश कर सकती हैं।
इन बीटीएस का निर्माण यूनीवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (यूएसओएफ) के दूसरे चरण के तहत किया जाएगा। इस निवेश से ग्रामीण क्षेत्रों में टेली-डेंसिटी (प्रति 100 व्यक्तियों पर टेलीफोन या मोबाइल का इस्तेमाल करने वाले व्यक्तियों की संख्या) में वृद्धि होगी, जो अभी काफी कम यानी 4 प्रतिशत है अर्थात् प्रति सौ व्यक्तियों पर ग्रामीण क्षेत्र में मात्र 4 व्यक्ति ही टेलीफोन या मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं। अभी भारत की टेली-डेंसिटी 24 प्रतिशत है।
इस पूरी प्रक्रिया में लगने वाले खर्च का सही आकलन तब किया जा सकता है जब दूरसंचार विभाग यूएसओएफ के तहत रियायत राशि की घोषणा कर देगा। दूरसंचार विभाग के एक सूत्र के मुताबिक दूसरे कोष की घोषणा एक दो महीने में कर दी जाएगी, जब दूरसंचार मंत्रालय ब्यौरे को अंतिम रुप दे देगा।
अगर किसी गांव में एक टॉवर लगाया जाता है तो उसमें 30 से 35 लाख रुपये का खर्च आता है और उसकी देखभाल का खर्च तो बहुत अधिक है। पहाड़ी क्षेत्रों में अगर इसी टॉवर को लगाया जाए तो खर्च और बढ़ जाता है क्योंकि वहां इसकी ऊंचाई काफी अधिक होती है।इन गांवों में टॉवर बिछाने का जो लक्ष्य रखा गया है, उसमें तकरीबन 3,000 से 3,500 करोड़ रुपये खर्च होंगे और इसकी देखभाल और उपकरणों की खरीद पर लगे खर्च को अगर जोड दिया जाए तो यह 4,500 से 5,000 करोड़ रुपये हो जाएगा।
अर्द्ध-शहरी, दूरस्थ और ग्रामीण इलाके में टॉवर बिछाने की जगहों का निर्धारण मंत्रालय के रेडियो फ्रीक्वेंसी प्लानिंग कमिटी ने कर दिया है। मंत्रालय ने विनिर्माण और सेवा प्रदान करने के संदर्भ में भी एक मीटिंग इस वर्ष के शुरू में बुलाई थी। इस संदर्भ में मंत्रालय ने उद्योग जगत से सुझाव भी मांगे हैं।
यूएसओएफ टेलिकॉम कंपनियां बनाती है ,जिसमें समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) का 5 प्रतिशत जमा करना होता है। इन राशियों का इस्तेमाल बाद में टेलीफोन के क्षेत्र विस्तार में किया जाता है।यूएसओएफ के पहले चरण के तहत दूरसंचार विभाग ने 27 राज्यों के 500 जिलों में 7,871 टॉवर लगाने के लिए बोली लगाई थी। ये टॉवर मुख्यत: मोबाइल को ग्रामीण क्षेत्रों में विस्तार करने के लिए लगाए गए थे।
भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) ने पहले चरण में पूरे टॉवर का 80 प्रतिशत टॉवर यानी 6,000 टॉवर प्राप्त किया था। बाकी टॉवर बिछाने का अधिकार जीटीएल इन्फ्रास्ट्रक्चर ,ह्यूज एस्कॉर्ट्स क म्युनिकेशन, हचिसन-एस्सार, क्विपो इन्फ्रास्ट्रक्चर और रिलायंस इन्फ्राटेल को दिया गया था।
…विकास की कवायद
गांवों में टॉवर बिछाने का जो लक्ष्य रखा गया है, उसमें तकरीबन 3,000 से 3,500 करोड़ रुपये खर्च होंगे और इसकी देखभाल और उपकरणों की खरीद पर लगे खर्च को अगर जोड दिया जाए तो यह 4,500 से 5,000 करोड़ रुपये हो जाएगा।