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IT stocks: IT सेक्टर में नई डील्स की होड़! ब्रोकरेज ने बताई 5 दमदार कंपनियां जो करा सकती हैं तगड़ा मुनाफा

नई डील्स के लिए बढ़ते मुकाबले के बीच कोटक ने चुने 5 ऐसे IT स्टॉक्स, जिनमें दिख रहा है मजबूत कमाई का मौका

Last Updated- June 23, 2025 | 2:13 PM IST
IT sector

Accenture ने साल 2025 की तीसरी तिमाही में 17.7 अरब डॉलर की कमाई की। यह पिछले साल के मुकाबले 7 फीसदी ज्यादा है। कंपनी की कमाई उसके खुद के दिए गए अनुमान के ऊपरी हिस्से में रही, जो 3% से 7% के बीच थी। इस बढ़िया नतीजे के बाद कंपनी ने पूरे साल की ग्रोथ का अनुमान 6% से 7% के बीच कर दिया है, जो पहले 5% से 7% था। हालांकि, कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज का कहना है कि इन आंकड़ों से ऐसा नहीं लगता कि IT सेक्टर के हालात में कोई खास सुधार आया है। डिमांड में भी कोई बड़ा बदलाव नहीं दिख रहा और नई डील्स मिलने में अब भी कठिनाई बनी हुई है।

फाइनेंशियल सेक्टर से आई सबसे तेज ग्रोथ

Accenture की सबसे ज्यादा ग्रोथ बैंकिंग और बीमा जैसे फाइनेंशियल सेक्टर से आई। इस सेक्टर में 13 फीसदी की बढ़त देखी गई। हेल्थ और सरकारी सेवाओं से जुड़ा कारोबार और प्रोडक्ट्स सेक्टर भी 7 फीसदी की ग्रोथ के साथ आगे बढ़े। वहीं रिसोर्सेस सेक्टर (जैसे ऊर्जा और केमिकल्स) और टेक्नोलॉजी-टेलीकॉम जैसे सेक्टरों में ग्रोथ कम रही। अमेरिका में कंपनी को सबसे ज्यादा बढ़त मिली, इसके बाद यूरोप और फिर एशिया में भी कमाई बढ़ी। हालांकि, कोटक का कहना है कि फाइनेंशियल सेक्टर की यह तेज़ ग्रोथ शायद पिछले साल के कमजोर बेस की वजह से भी है। फिर भी ये सेक्टर बाकी सेक्टरों के मुकाबले बेहतर हालत में जरूर है।

नई डील्स की रफ्तार घटी, जिससे आगे असर हो सकता है

Accenture को इस तिमाही में 19.7 अरब डॉलर की नई डील्स (बुकिंग्स) मिलीं, जो पिछले साल के मुकाबले 6.5% कम हैं। खासतौर पर ‘Managed Services’ नाम की सेवा में डील्स काफी घटी हैं। कंपनी के पूरे साल की बात करें तो अब तक बुकिंग्स में लगभग 3% की गिरावट आई है। इसका मतलब ये है कि आने वाले साल में कंपनी की ऑर्गेनिक ग्रोथ यानी अपने दम पर होने वाली ग्रोथ कमजोर हो सकती है। कोटक का मानना है कि डील्स के मामले में अब कंपनियों के बीच मुकाबला और तेज होगा। इससे भारतीय IT कंपनियों को नई डील्स हासिल करने में दिक्कत हो सकती है।

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जनरेटिव AI में जोश तो है, लेकिन अब रफ्तार थमती दिख रही

Accenture ने जनरेटिव AI से जुड़ी डील्स में इस तिमाही में 1.5 अरब डॉलर की बुकिंग की। ये पिछले साल के मुकाबले 67% ज्यादा है और पिछली तिमाही से भी थोड़ी बढ़ी है। लेकिन इसके बावजूद कोटक का मानना है कि इस क्षेत्र की रफ्तार अब धीरे-धीरे कम हो रही है। Accenture के CEO ने कहा कि जनरेटिव AI की मांग अभी भी बहुत मजबूत है, लेकिन अब ये क्षेत्र इतना बड़ा हो गया है कि इसमें उतार-चढ़ाव आना सामान्य हो गया है।

हालांकि कंपनी को जनरेटिव AI से अच्छी-खासी कमाई हो रही है, लेकिन इसका फायदा बाकी बुकिंग्स और रेवेन्यू में साफ नहीं दिख रहा है। इससे लगता है कि कंपनियां AI पर खर्च तो कर रही हैं, लेकिन इसके लिए किसी और सर्विस से बजट काट रही हैं।

अब सब काम एक साथ होंगे: ‘Reinvention Services’ की शुरुआत

Accenture ने ऐलान किया है कि वह अपनी सभी सेवाएं—जैसे टेक्नोलॉजी, कंसल्टिंग, ऑपरेशंस, स्ट्रैटेजी वगैरह—को मिलाकर एक नई सर्विस लाइन बनाएगी, जिसे ‘Reinvention Services’ कहा जाएगा। यह नया मॉडल 1 सितंबर 2025 से शुरू होगा। इसका मकसद यह है कि कंपनी बड़ी डील्स में कई सेवाएं एक साथ बेच सके और ज्यादा से ज्यादा क्रॉस-सेलिंग कर सके। इससे Accenture को ऐसे क्लाइंट्स से लंबे समय तक जुड़ने का मौका मिलेगा जो एक साथ कई सेवाएं लेना चाहते हैं।

कोटक का मानना है कि इस बदलाव से बाजार में बड़ा असर पड़ सकता है, क्योंकि इससे मुकाबला बढ़ेगा। खासकर उन डील्स में जहां कई कंपनियां एक साथ टेंडर में हिस्सा लेती हैं, वहां अब मुकाबला और कठिन हो जाएगा।

अमेरिका में सरकारी प्रोजेक्ट्स से मिलने वाली आमदनी पर असर

अमेरिका की सरकार अब सरकारी कॉन्ट्रैक्ट्स की जांच-पड़ताल बढ़ा रही है। इसका सीधा असर Accenture के फेडरल बिजनेस पर पड़ रहा है। हालांकि तीसरी तिमाही में इसका बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ा, लेकिन चौथी तिमाही में कंपनी की ग्रोथ पर यह असर साफ दिखेगा। Accenture ने कहा है कि इस वजह से उनकी चौथी तिमाही की ग्रोथ 2 फीसदी तक कम हो सकती है।

खुशखबरी यह है कि भारतीय IT कंपनियों को इसका कोई नुकसान नहीं होगा, क्योंकि वे अमेरिका के सरकारी प्रोजेक्ट्स में ज्यादा शामिल नहीं होतीं।

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इंडियन IT सेक्टर के लिए क्या मायने हैं?

कोटक का कहना है कि अगर देखा जाए तो IT सेक्टर की डिमांड में कोई खास बदलाव नहीं आया है, जो कि एक अच्छी बात है। इससे भारतीय IT कंपनियों को इस साल ठीक-ठाक ग्रोथ मिल सकती है। लेकिन एक ही समय पर यह भी दिख रहा है कि नई डील्स के मामले में अब बाज़ार में तेज़ मुकाबला है और हर कोई जीत नहीं पाएगा। कई कंपनियों को नुकसान भी झेलना पड़ सकता है, खासकर अगर वे क्लाइंट के वेंडर कंसोलिडेशन में पिछड़ जाएं।

जनरेटिव AI को लेकर भी कोटक की सोच साफ है। उनका मानना है कि आने वाले 2-3 सालों तक इसका असर थोड़ा उल्टा रह सकता है। हो सकता है कि सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट और बीपीओ जैसे कामों में इस टेक्नोलॉजी की वजह से कमाई कम हो, जबकि नए AI प्रोजेक्ट्स से होने वाली कमाई उससे कम ही रहे।

कोटक की पसंदीदा IT कंपनियां

इस माहौल में कोटक ने कुछ भारतीय IT कंपनियों को आगे बढ़ने के काबिल माना है। Tier 1 यानी बड़ी कंपनियों में Tech Mahindra और Infosys को टॉप पिक माना। वहीं मिड-साइज कंपनियों में Coforge, Hexaware और Indegene को टॉप पिक बनाया है।

First Published - June 23, 2025 | 2:13 PM IST

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