भारतीय आईटी सेवा कंपनियों द्वारा सख्त कर्मचारी प्रदर्शन आकलन प्रक्रियाओं पर अमल किए जाने का पता चलता है, क्योंकि इनमें से ज्यादातर कोविड-19 महामारी के समय में चुनौतीपूर्ण व्यावसायिक परिवेश से मुकाबला करने के लिए कर्मचारी छटनी का सहारा ले रही हैं।
उद्योग के जानकारों के अनुसार, देश में कम से कम 10,000 सॉफ्टवेयर पेशेवर अप्रैल से जून तिमाही में अपनी नौकरियां गंवा चुके हैं, जबकि आने वाली तिमाहियों में और नौकरियां जाने का खतरा बना हुआ है। अप्रैल से जून तिमाही आईटी कंपनियों के लिए पारंपरिक रूप से अप्रैजल वाली तिमाही होती है और इस समय वे अपने कर्मचारियों का प्रदर्शन के आधार पर आकलन करती हैं। इस उद्योग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं छापने के अनुरोध के साथ कहा, ‘भारत की प्रमुख 10 आईटी कंपनियों ने पिछली तिमाही में अपने कुल कर्मियों की संख्या में करीब एक प्रतिशत तक की कमी की, जो करीब 10,000 हो सकती है। पिछले साल के मुकाबले यह संख्या ज्यादा नहीं है, बेंच पर लोग बढ़ गए हैं। यदि हालात में सुधार नहीं आता है तो भारी संख्या में छंटनी की आशंका है।’
अधिकारी ने कहा कि कर्मियों की संख्या में ज्यादा कमी टियर-1 और टियर-2 आईटी कंपनियों के साथ साथ देश में वैश्विक प्रौद्योगिकी कंपनियों में आई है। हरेक बड़ी कंपनी ऐसा कर रही है और यह कोई अपवाद नहीं है।
कर्मियों को रिजर्व (किसी परि३योजना में उन्हें लगाए बगैर) में रखना उद्योग का महत्वपूर्ण पहलू बन गया है, क्योंकि कंपनियां ग्राहकों से अनुबंध हासिल करते वक्त यह सुनिश्चित करना चाहती हैं कि उनके पास इन परियोजनाओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन मौजूद है। अक्सर, टियर-1 आईटी कंपनियां कुल स्टाफ में से 7 प्रतिशत कर्मचारियों को बेंच पर रिजर्व रखती हैं। हालांकि कोरोना महामारी की वजह से पिछले चार महीनों में इसमें एक प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है। बगैर काम पर लगे कर्मियों की ज्यादा संख्या से कम कर्मचारी उपयोग अनुपात को बढ़ावा मिलता है जिससे परिचालन मार्जिन प्रभावित होता है। हाल में, कुछ कर्मचारियों यूनियनों ने आरोप लगाया कि कॉग्निजेंट टेकनोलॉजी सॉल्युशंस अप्रेजल प्रक्रिया में खराब रेटिंग को देखते हुए बड़ी तादाद में कर्मचारियों की छंटनी करने की योजना बना रही है। कंपनी ने यह कहते हुए इस तरह की बात से इनकार कर दिया है कि प्रदर्शन प्रबंधन कॉग्निजेंट समेत पूरे उद्योग के लिए एक सामान्य प्रक्रिया है।
