आखिरकार 14 महीनों की जद्दोजहद के बाद माइक्रोसॉफ्ट को ऑफिस ओपन एक्सएमएल मामले में आईएसओ (इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन फॉर स्टैंडर्डाइजेशन) ने हरी झंडी दिखा दी है।
अंतरराष्ट्रीय मानकों के तहत माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस ओपन एक्सएमएल (ओओएक्सएमएल) फाइल फॉर्मेट को स्वीकृति के लिए जितने मत चाहिए थे, उतने उसे मिल गए हैं और इसके चलते आईएसओ ने माइक्रोसॉफ्ट के ओओएक्सएमएल को स्वीकृति दे दी है।
आईएसओ की स्वीकृति प्राप्त करने के लिए संयुक्त तकनीकी समिति (जेटीसी 1) में भाग लेने वाले कम से कम दो-तिहाई (66.66 प्रतिशत) राष्ट्रीय संस्थाओं के मत का आपके हित में होना जरूरी है और राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा खिलाफ में होने वाले मतों की संख्या एक-चौथाई (25 प्रतिशत) से अधिक नहीं हो सकती।आईएसओआईईसी डीआईएस 29500 (प्रस्ताव के मसौदे के लिए तकनीकी नाम) को सितंबर 2007 में खत्म हुए तुरंत-फुरत हुए वोटों में 3,500 टिप्पणियों के साथ नकार दिया था।
भारत ने भी अपनी टिप्पणी में इसे अपनाने से मना कर दिया था। 25 से 29 फरवरी के बीच बैलेट रेजोल्यूशन मीटिंग (ईआरएम)में टिप्पणियां पढ़ी गईं, जिसके बाद राष्ट्रीयसंस्थाओं को 30 दिन का समय दिया गया था, जिसमें अगर वे चाहें तो अपना मत बदल सकते हैं। बावजूद इसके भारत ने इस मसले पर अपनी असहमति ही बरकरार रखी। जिन टिप्पणियों से बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ने वाला था, उन्हें अलग कर, टिप्पणियां कम हो कर 1000 रह गईं, जिन पर ध्यान दिया जा सकता था।
ओओएक्सएमएल से पहले कभी भी मानकों पर इतना गहरा वैश्विक उद्योग वाद-विवाद देखने को नहीं मिला। ओओएक्सएमएल को एप्पल, नोवेल और भारतीय कंपनियां विप्रो, इन्फोसिस, टीसीएस और नैसकॉम पूरी तरह से समर्थन में खड़े थे।
विरोधी कंपनियां जैसे कि आईबीएम, सन माइक्रोसिस्टम्स, रेड हैट, गूगल और भारत में सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (डीआईटी), राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र (एनआईसी) और सीडैक, आईआईटी बॉम्बे और आईआईएम-अहमदाबाद, ओपन डॉक्यूमेंट फॉर्मेट (ओडीएएफ) के समर्थन में थे।
आईएसओ की स्वीकृति के मतलब माइक्रोसॉफ्ट के लिए सरकारी कारोबार में वृध्दि होना है, चूंकि विश्वभर में सरकारें, भारत सहित, आईएसओ सरीखी संस्थाओं की ओर से प्रमाणित मानकों को तरजीह देते हैं। सरकारें किसी भी डिजिटल डाटा को एक निश्चित फॉर्मेट में रखने से कतराती हैं, क्योंकि इससे वे किसी एक सॉफ्टवेयर कंपनी की मोहताज हो जाएंगी।
दिल्ली, केरल और पूर्वोत्तर के कुछ राज्य, ओडीएफ फाइल फॉर्मेट पर अधिक निर्भर करने वाले राज्य हैं, क्योंकि ओडीएफ में रखरखाव को छोड़ दें तो यह फॉर्मेट निशुल्क उपलब्ध होता है। माइक्रोसॉफ्ट में मानक प्रभाग के महाप्रबंधक टॉम रोबट्र्सन का कहना है, ‘राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा की गई वोटिंग में से 86 प्रतिशत मत प्रमाणित मानकों का समर्थन करते हैं, इसलिए ओपन ऑफिस एक्सएमएल को बेहतरीन समर्थन मिला है।
यह उपभोक्ताओं, तकनीक मुहैया करवाने वाली कंपनियों और सरकारों के लिए स्पष्ट जीत है, जो इस फॉर्मेट को अपनी जरूरतों के मद्देनजर अपनाना चाहते हैं।’ ओपन सोर्स फाउंडेशन, भारत, के सह-संस्थापक, वेंकटेश हरिहरन का कहना है, ‘महत्वपूर्ण क्षेत्रों जैसे कि डॉक्यूमेंट फॉर्मेट्स में मानकों का हर रोज आपके कम्प्यूटर इस्तेमाल पर काफी असर पड़ता है।
इसलिए, आईएसओ के जरिये जिस तरीके से ओओएक्सएमएल को एक ही कॉर्पोशेन को समर्थन के लिए धकेला जा रहा है, गंभीर चिंता का विषय है। यूरोपीय संघ ओओएक्सएमएल मामले में हुई वोटिंग में कई अनियमितताओं पर छानबीन कर रही है और हम इस छानबीन में उनका समर्थन करेंगे।’
माइक्रोसॉफ्ट के लिए कौन सॉफ्ट
75 प्रतिशत भाग लेने वाले सदस्यों के वोटों ने समर्थन किया
14 प्रतिशत भाग लेने वाले सदस्यों के वोटों ने असमर्थन किया
ओओएक्सएमएल को एप्पल, नोवेल और भारतीय कंपनियां विप्रो, इन्फोसिस, टीसीएस और नैसकॉम का समर्थन
आईबीएम, सन माइक्रोसिस्टम्स, रेड हैट, गूगल के साथ भारत में डीआईटी, एनआईसी और सीडैक, आईआईटी बॉम्बे और आईआईएम-अहमदाबाद विरोध में