भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) हाल ही में संपन्न डीएलएफ इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) को चाहे जितना भी सफल बता रहा हो, लेकिन असल में उसने आगे होने वाले खेल टूर्नामेंटों की तो सेहत पहले से ही बिगाड़ दी है।
आईपीएल के अधिकृत प्रसारणकर्ता सेट मैक्स ने टूर्नामेंट में हुए 59 मैचों में ज्यादातर रकम खुद ही डकार ली। उसे तकरीबन 300 करोड़ रुपये की कमाई हुई, जबकि विज्ञापनदाताओं की झोली काफी हद तक खाली ही रही। इसी वजह से जल्द होने वाले क्रिकेट टूर्नामेंटों को विज्ञापनदाताओं का टोटा पड़ रहा है।
एशिया कप 2008 अगले हफ्ते में ही शुरू होने जा रहा है। इसमें भारत भी हिस्सा ले रहा है। लेकिन ईएसपीएन पर प्रसारित होने वाले इस टूर्नामेंट में विज्ञापनों के लिए कॉमर्शियल टाइम खरीदने में कंपनियां दिलचस्पी नहीं दिखा रही हैं। इसी वजह से ईएसपीएन को महज चार प्रायोजक भारती एयरटेल, हैवल्स, फ्यूचर समूह और मारुति मिल पाए हैं। इनके अलावा टीवीएस, नेस्ले, एमवे, बिड़ला सन लाइफ इंश्योरेंस, टाटा टेलीसर्विसेज और जीएम पेन्स स्पॉट कॉमर्शियल टाइम खरीदने वालों की फेहरिस्त में हैं।
ग्रुप एम के मुख्य परिचालन अधिकारी विक्रम सखूजा ने कहा, ‘हालांकि सोनी ने भी कुछ विज्ञापकों के साथ करार किये थे और ब्रांड्स ने भी इस पर काफी खर्च किया था। बाद में ब्रांड्स को इसका फायदा भी हुआ। इसके मुकाबले अभी चल रहे एशिया कप को लेकर विज्ञापकों में काफी उदासीनता है।’ इस सीरीज के दौरान विज्ञापनों के लिए ईएसपीएन 10 सैकेण्ड के स्पॉट के लिए 2-2.5 लाख के बीच कीमत मांग रहा है। जबकि विज्ञापन दाता इस स्पॉट के लिए 1.2-1.5 लाख रुपये ही देने की बात कर रहे हैं। इस बारे में ईएसपीएन के प्रवक्ता ने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया।
उद्योग सूत्रों के मुताबिक आईपीएल के बाद विज्ञापन उद्योग काफी उदासीन हो गया है। इसी कारण नियो स्पोर्टस पर प्रसारित हो रही भारत-पाकिस्तान-बांग्लादेश के बीच चल रही त्रिकोणीय शृंखला भी विज्ञापनों के लिए तरस रही है। हालांकि एक तरफ चैनल दावा कर रहा है कि उसने (डीडी और नियो) 10 सैकेण्ड का विज्ञापन स्पॉट लगभग 2.5 लाख रुपये में बेचा है। लेकिन मीडिया कंपनियों के मुताबिक चैनल ने यह स्पॉट 1.75-1.8 लाख रुपये में बेचे हैं।
आईपीएल के दौरान 10 सैकेण्ड के स्पॉट की कीमत 2.5 से 3 लाख रुपये के बीच थी। जबकि फाइनल और सेमीफाइनल के लिए यह कीमत बढ़कर 6-7 लाख रुपये हो गई थी। मीडिया विशेषज्ञों का मानना है कि जुलाई में होने वाली भारत-श्रीलंका सीरीज, सितंबर में होने वाली भारत-ऑस्ट्रेलिया सीरीज और आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी के लिए यही हाल रहने वाला है।
दूरसंचार कंपनी के एक अधिकारी ने बताया, ‘जून से लेकर अगस्त तक विज्ञापन एजेंसियों के लिए काफी सुस्त रहता है क्योंकि इस दौरान क्रिकेट बहुत ज्यादा होता है। कोई भी विज्ञापन एजेंसी तभी निवेश करती है जब उसे यकीन हो कि ज्यादा से ज्यादा लोग उस सीरीज को देखेंगे।’ जैसे नवंबर 2007 में भारत-पाकिस्तान सीरीज और अक्तूबर में भारत-ऑस्ट्रेलिया सीरीज से नियो को लगभग 250 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था।