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टीवी में निवेश बढ़िया क्योंकि इसमें रिटर्न मिल सकता है तगड़ा: उदय शंकर

जियोस्टार की बुनियाद वॉयकॉम18 मीडिया और स्टार इंडिया के विलय से रखी गई है। वित्त वर्ष 2024 में इस कंपनी की आय करीब 23,000 करोड़ रुपये रही।

Last Updated- November 21, 2024 | 11:11 PM IST
Investing in TV is good because it can give strong returns: Uday Shankar टीवी में निवेश बढ़िया क्योंकि इसमें रिटर्न मिल सकता है तगड़ा: उदय शंकर

स्टार इंडिया की आय को करीब 13 वर्षों में 1,600 करोड़ रुपये से 18,000 करोड़ रुपये तक पहुंचाने के बाद 2020 में उदय शंकर ने इस्तीफा दे दिया था। वह शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवा में काम करना चाहते थे। मगर चार साल बाद वह जियोस्टार के वाइस चेयरपर्सन बनकर मीडिया उद्योग में लौट आए हैं। जियोस्टार की बुनियाद वॉयकॉम18 मीडिया और स्टार इंडिया के विलय से रखी गई है। वित्त वर्ष 2024 में इस कंपनी की आय करीब 23,000 करोड़ रुपये रही और वह गूगल इंडिया के बाद भारत की दूसरी सबसे बड़ी मीडिया कंपनी बन गई। वनिता कोहली-खांडेकर ने उदय शंकर से लंबी बात की। प्रमुख अंश:

जियोस्टार में आपकी प्राथमिकताएं क्या हैं?

टीवी (कलर्स एवं स्टार प्लस सहित 110 चैनल पर कुल 32 फीसदी दर्शक) और डिजिटल (डिज्नी हॉटस्टार और जियोसिनेमा यूट्यूब के बाद सबसे ज्यादा दर्शक खींचते हैं) प्लेटफॉर्म के जरिये रोजाना सबसे ज्यादा दर्शक हमारे पास ही होते हैं। यह सब अच्छी तरह से काम कर रहा है और उसे न बिगाड़ना ही मेरी पहली प्राथमिकता है।

मगर 80-85 करोड़ मोबाइल फोन ग्राहकों वाले देश में अगर आपके पास 5 से 7 करोड़ सबस्क्राइबर ही हैं तो अभी पूरी दुनिया बची हुई है, जिसे अपनी मुट्ठी में करना है। स्ट्रीमिंग सामग्री अब भी संपन्न तबके के लिहाज से तैयार की जाती है। अगर 1.5 अरब आबादी वाले देश में करोड़ों लोग रोज रात को आपके प्लेटफॉर्म पर नहीं आते तो कहीं गड़बड़ है। मैं इंस्टाग्राम, यूट्यूब या गूगल की नहीं बल्कि प्रीमियम सेवाओं की बात कर रहा हूं। इसलिए मौका बहुत है मगर उसके लिए रचनात्मकता और तकनीकी नएपन की जरूरत है।

आ​खिर में लोग मानने लगे हैं कि टेलीविजन खत्म हो चुका है। अगर आप रोज कहेंगे कि टीवी खत्म हो गया है और उसके लिए कुछ करेंगे ही नहीं तो एक दिन उसे वाकई खत्म ही हो जाना है। मगर यह भी देखिए कि पैसे देकर टीवी देखने वाले 9-9.5 करोड़ लोग ही हैं। उनके अलाना 3-4 करोड़ घरों में डीडी फ्रीडिश के जरिये मुफ्त टीवी देखा जाता है। रोजाना औसतन 4 घंटे देखे जाने वाला, 80 करोड़ दर्शकों तक पहुंचने वाला और डिजिटल के मुकाबले 4-6 गुना कीमती विज्ञापनों वाला टीवी किसी भी पैमाने पर बहुत ताकतवर दिखेगा। इसलिए टीवी में निवेश करना चाहिए क्योंकि उस पर काफी अच्छा रिटर्न मिल सकता है।

इसे ठीक से समझाएंगे?

जब भी किसी ने नया प्रयोग किया और उथल-पुथल मचाई तो टीवी ने तेजी से वृद्धि की है। सबसे पहले सैटेलाइट टीवी ने ऐसा किया था। पहले दूरदर्शन था और उसके बाद स्टार और ज़ी आए। साल 1999 और 2000 में स्टार प्लस ने कौन बनेगा करोड़पति के साथ झकझोर दिया। फिर 2008 में कलर्स आया।

टीवी को आगे बढ़ाने के लिए आखिरी गंभीर प्रयास 2009 से 2013 के बीच हुआ था, जब स्टार ने नए सिरे से ब्रांडिंग के साथ निवेश किया। उस वक्त हमने कई भाषाओं में प्रसारण शुरू कर खेलों के दर्शक बहुत बढ़ा दिए थे। भारत को ग्रामीण एवं कस्बाई इलाकों और छोटे एवं मझोले शहरों से आ​र्थिक रफ्तार मिल रही है। हमारे पास उसका फायदा उठाने का मौका है।

इसका क्या मतलब है?

मारुति जैसे बड़े शहरी ब्रांडों की पहली पीढ़ी तैयार हो चुकी है। छोटे शहरों में विज्ञापन की बहुत गुंजाइश है, जिसका फायदा उठाना अभी बाकी है। आभूषण, निर्माण सामग्री आदि के कई बड़े ब्रांडों ने 20 साल पहले आज तक जैसे प्लेटफॉर्मों से अपना कद बढ़ाया था। (शंकर आज तक में समाचार निदेशक भी रह चुके हैं)।

इसी प्रकार प्रीमियम कंटेंट भी हर जगह तैयार होना चाहिए। किस्सागोई को आगे बढ़ाने में बड़ी दिक्कत कहानीकारों को मौका देने से जुड़ी है। हिंदीभाषी भारत को पूरा कंटेंट मुंबई से ही मिलता है। इसलिए रचनात्मकता भी मुंबई में मौजूद प्रतिभा तक सिमटकर रह जाती है। अगर शानदार कहानी लिखने वाला जौनपुर में बैठा है तो मैं उस तक पहुंच ही नहीं सकता। अब निर्माण का ढंचा हर जगह पहुंच गया है तो सबको उसका फायदा उठाना चाहिए।

क्या यूट्यूब ने सबको कंटेट बनाने का मौका नहीं दिया है?

दिया है मगर केवल यूट्यूब और इंस्टाग्राम के लिए, प्रीमियम मीडिया के लिए नहीं।

आप इसे कैसे बदलेंगे?

देखते हैं। मैं जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) गया था। वहां लिखा था: कौन कहता है आसमां मे सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों।

क्या निवेशकों को निकलने का मौका देने के लिए आपने कोई मियाद तय की है?

दूसरों की नहीं कह सकता मगर मेरे पास रकम है। मैंने दूसरों से रकम जुटाई है और उन्हे मुनाफा कमाकर निकलने का मौका देना होगा। रिलायंस और डिज्नी धीरज वाले और लंबे समय के लिए काम करने वाले हैं।

नई कंपनी का प्रबंधन काफी पेचीदा दिख रहा है। तीन सीईओ.. एक दूसरे के काम में दखल…

इसमें एक प्लेटफॉर्म जैसी व्यवस्था है और दूसरी यूजर से जुड़ी व्यवस्था है, जिसमें कंटेंट का काफी काम रहता है। अभी हमारे पास दो तरह के कंटेंट हैं – मनोरंजन और खेल। इसलिए दो सीईओ हैं। डिजिटल की बात करें तो वह प्लेटफॉर्म है और उसके लिए भी एक सीईओ हैं। सब कुछ उसी में आ जाता है, इसलिए बेहद सरल किस्म का ढांचा है।

आपने रूपर्ट मर्डोक के फॉक्स में भी काम किया है जहां आपको पूरी आजादी थी। यहां की व्यवस्था कितनी अलग है?

पूरी आजादी है। शेयरधारकों के लिए मेरी कुछ जिम्मेदारी हैं मगर उसके अलावा मुझे पूरी आजादी दी गई है।

आरआईएल का कोई दखल नहीं है…

आरआईएल के पास सबसे ज्यादा हिस्सेदारी है। इसलिए मुझे समझना होगा कि वह क्या चाहती है। इसी तरह डिज्नी भी है। मगर एक बार मामला साफ हो जाए फिर सब मेरे ऊपर है।

हैरत की बात है कि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग से आपको इतनी आसानी से मंजूरी मिल गई। किसी नियामकीय चुनौती का खटका लग रहा है?

हैरत की क्या बात है? नियामक को हमसे क्या चिंता होगी। इन कारोबारों पर काफी दबाव होता है और इन्हें मदद दी जानी चाहिए। उन्हें विस्तार देकर बढ़ावा दिया जा सकता है। विज्ञापन और दर्शक संख्या के मामले में हमसे बहुत बड़े कारोबार भी हैं। मुझे तो हैरत इस बात की है कि आयोग इतने लंबे समय से ज़ी-सोनी और हम पर नजर रख रहा था।

First Published - November 21, 2024 | 11:03 PM IST

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