भारतीय फर्टिलिटी कंपनियां ‘इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन’ (आईवीएफ) की सफलता दर में सुधार के लिए एआई अपना रही हैं। नोवा आईवीएफ, बिड़ला फर्टिलिटी, प्राइम आईवीएफ, फर्टी9 और मदरहुड आईवीएफ जैसी कंपनियां भ्रूण और शुक्राणु चयन के लिए एआई-संचालित टूल्स का उपयोग कर रही हैं जिससे सटीक परिणाम मिलें, लागत कम हो और देश भर में पहुंच बढ़े।
बेंगलूरु की नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी ने हाल में वीटा एम्ब्रियो लॉन्च किया है जो दक्षिण कोरिया की ‘काई हेल्थ’ के साथ साझेदारी में विकसित एक एआई-संचालित भ्रूण जांच टूल है। कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) शोभित अग्रवाल ने कहा, ‘हमें विश्वास है कि आईवीएफ लैब हर प्रजनन उपचार के केंद्र में है और हम लगातार इसकी संभावना देखते हैं कि लैब में चिकित्सा और तकनीकी नवाचारों को कैसे अपनाया जा सकता है।’
एआई को शामिल करने की शुरुआती लागत ज्यादा है जो लाइसेंस, बुनियादी ढांचे और प्रशिक्षण पर निर्भर करती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह निवेश अपने आप में फायदेमंद है। प्राइम आईवीएफ की संस्थापक निशी सिंह के अनुसार एआई अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रति चक्र 10-15 प्रतिशत की वृद्धि करता है, लेकिन बार-बार के चक्र कम करता है। प्राइम आईवीएफ अगले तीन वर्षों में भ्रूण चयन, पूर्वानुमान विश्लेषण और रोगियों के साथ जुड़ाव के लिए अपने तकनीकी बजट का 15-20 प्रतिशत एआई प्लेटफॉर्म पर आवंटित करने की योजना बना रही है। निशी सिंह ने कहा, ‘हम वास्तविक समय में भ्रूण के विकास पर नजर रखने और व्यक्तिगत उपचार का खाका तैयार करने के लिए एआई-संचालित इमेजिंग का परीक्षण कर रहे हैं। इसके बाद, मशीन लर्निंग बिग डेटा से आईवीएफ की सफलता का अनुमान लगाने में मदद करेगी।’
हैदराबाद की फर्टी9 ने पुरुष प्रजनन क्षमता के अग्रणी परीक्षण के रूप में एआई-संचालित वीर्य विश्लेषण का उपयोग किया है। यह हर नमूने में 3,000 से अधिक शुक्राणु कोशिकाओं की जांच करके उनकी संख्या और गतिशीलता का आकलन करता है। यह प्रणाली डीएनए टूटने का पता लगाती है और परीक्षण का समय 80 प्रतिशत घटा देती है, जिससे जांच प्रक्रिया तेज और अधिक सटीक हो जाती है।
बिड़ला फर्टिलिटी ऐंड आईवीएफ एक एआई-संचालित भ्रूण-ग्रेडिंग टूल विकसित कर रही है, जिसमें निजी डेटा को क्लीनिकल विशेषज्ञता के साथ जोड़ा जाएगा। कंपनी के सीईओ अभिषेक अग्रवाल ने कहा, ‘हालांकि एआई पूरी तरह से इंसान की जगह नहीं लेगी लेकिन इससे निश्चित ही प्रक्रिया और ज्यादा उपयोगी बनेगी।’
एवेंडस की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत का फर्टिलिटी बाजार वर्ष 2028 तक लगभग 5,50,000 आईवीएफ चक्रों के साथ 12,000-14,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है। लैंसेट के आंकड़े बताते हैं कि 2021 में भारत की बांझपन दर 1.9 रही जो प्रतिस्थापन स्तर 2.1 से कम है।ग्रैंड व्यू रिसर्च के अनुसार एग-फ्रीजिंग और एम्ब्रियो-बैंकिंग बाजार (जिसका मूल्य 2023 में 20.6 करोड़ डॉलर था) के 17.4 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़कर वर्ष 2030 तक 63.25 करोड़ डॉलर हो जाने का अनुमान है।