निजी इक्विटी क्षेत्र द्वारा समर्थित देश की एकमात्र हाइड्रोकार्बन अन्वेषण और उत्पादन करने वाली कंपनी – चेन्नई की इनवेनियर एनर्जी अगले चार साल में करीब 55 करोड़ डॉलर (4,500 करोड़ रुपये से अधिक) का निवेश करने की तैयारी में ताकि अपना उत्पादन करीब 4,900 बैरल तेल समतुल्य प्रतिदिन (बीओईपीडी) से बढ़ाकर 35,000 बीओईपीडी किया जा सके।
कंपनी 20 साल के दौरान करीब 500 कुओं की खुदाई के लिए मध्य प्रदेश में अपने कोल-बेड मीथेन ब्लॉक के वास्ते भी लगभग 50 करोड़ डॉलर का निवेश करने की भी तैयारी कर रही है।
अपनी 10 उत्पादक या खोजी गई परिसंपत्तियों के जरिये कंपनी के पास लगभग 20 लाख बैरल तेल समतुल्य (एमबीओई) का 2पी (प्रमाणित और संभावित) भंडार है और 70 लाख एमबीओई का अपसाइड 2सी भंडार (सर्वश्रेष्ठ अनुमान) है।
कंपनी के पास जो 10 उत्पादक क्षेत्र हैं, उनमें से सात उत्पादन कर रहे हैं। मियामी के इस भारत केंद्रित फंड – अत्यंत कैपिटल के पास इनवेनियर में बहुलांश हिस्सेदारी (67 प्रतिशत) है, जिसे 2016 में शुरू किया गया था। अत्यंत कैपिटल में सीमित भागीदारों या निवेशकों में अमेरिका आधारित पेंशन फंड, बीमा कंपनियां, एंडोउमेंट और फाउंडेशन शामिल हैं।
इनवेनियर एनर्जी के चेयरमैन मनीष माहेश्वरी ने कहा कि हमारा कुल इक्विटी उत्पादन करीब 4,900 बीओईपीडी है और वर्ष 2026-27 तक इसे बढ़ाकर 35,000 बीओईपीडी तक करने पर विचार कर रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि राजस्व हिस्सेदारी करार के मुताबिक हमें चार साल के दौरान कुछ परिसंपत्तियों का उत्पादन शुरू करना है।
माहेश्वरी ने कहा कि इन चार साल में कुल पूंजीगत व्यय लगभग 55 करोड़ डॉलर होगा, जिसमें से 12 से 12.5 करोड़ डॉलर की राशि इसके शीर्ष वित्त पोषण के लिए आवश्यक होगी और लगभग 42.5 करोड़ डॉलर आंतरिक संसाधनों के जरिये जुटाए जाएंगे। कंपनी को इस बात की भी उम्मीद है कि वह अपने पीवाई-3 ब्लॉक से अगस्त 2023 तक उत्पादन शुरू कर देगी, जिसमें ओएनजीसी की 50 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी है।
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कंपनी ने कहा कि वह मध्य प्रदेश के अपने ब्लॉक में कोयला सीम से गैस का उत्पादन करने के लिए अगले 20 वर्षों में करीब 50 करोड़ डॉलर का निवेश करेगी। इसकी सहायक कंपनी इनवेनियर पेट्रोडाइन लिमिटेड (आईपीएल) ने पिछले साल मध्य प्रदेश का ब्लॉक (एसपी-ओएनएचपी (सीबीएम)-2021/1) हासिल किया था। ब्लॉक मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा और बैतूल जिलों के बीच स्थित है तथा इसमें एक लाख करोड़ घन फीट से अधिक उत्पादन करने की क्षमता है।