देश के बिजली क्षेत्र में इस दशक में करीब 22 लाख करोड़ रुपये निवेश की जरूरत का हवाला देते हुए केंद्रीय बिजली मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने राज्यों से अपनी लाभ वाली इकाइयों को शेयर बाजार में सूचीबद्ध कराने का अनुरोध किया है।
खट्टर ने कहा, ‘जिन राज्यों की उत्पादन या वितरण कंपनियां बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं उन्हें एक्सचेंजों में सूचीबद्ध कराने पर विचार करना चाहिए। यहां तक कि बिजली वितरण कंपनियों की सूचीबद्धता पर भी विचार करना चाहिए।’ वह दिल्ली में आयोजित राज्य के बिजली मंत्रियों के सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि गुजरात और हरियाणा की बिजली इकाइयां इस पर विचार कर रही हैं। खट्टर ने कहा, ‘सबसे पहले पारेषण कंपनियों (ट्रांसको), उसके बाद उत्पादन कंपनियों (जेनको) को सूचीबद्ध कराने पर विचार किया जा सकता है। वितरण कंपनियों की वित्तीय सेहत सामान्यतया अच्छी नहीं है, ऐसे में राज्यों को पहले उनकी स्थिति सुधारने और उनकी रैंकिंग पर काम करना चाहिए और उसके बाद उनको शेयर बाजार में सूचीबद्ध कराना चाहिए।’
मंत्री ने कहा कि बिजली पारेषण और वितरण परियोजना में भारी निवेश की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इसके लिए बैंक व वित्तीय संस्थानों जैसे परंपरागत स्रोत हैं, वहीं राज्यों को अपने वित्तीय स्रोत को विस्तार देने की जरूरत है। मंत्री ने कहा कि उन्होंने डिस्कॉम की वित्तीय व्यावहारिकता के मसले पर विभिन्न राज्यों के साथ चर्चा की है।
खट्टर ने कहा, ‘वितरण कंपनियों का इस समय कुल कर्ज 6.84 लाख करोड़ रुपये है और समग्र घाटा इस समय 6.46 करोड़ रुपये है। इस पर चर्चा हुई है कि इसे किस तरह कम किया जा सकता है। प्राथमिक लक्ष्य एसीएस-एआरएस के बीच अंतर कम करना हो सकता है। इसमें पिछले कुछ वर्षों में सुधार हुआ है।’