कर्नाटक के सूचना प्रौद्योगिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी तथा ग्रामीण विकास और पंचायत राज मंत्री प्रियांक खरगे का कहना है कि देश के अन्य राज्यों में सेमीकंडक्टर विकास के अवसरों के वितरण में बराबरी के मौकों का अभाव है।
बेंगलूरु टेक समिट में पीरजादा अबरार के साथ बातचीत में खरगे ने कहा कि उन्होंने केंद्र सरकार के समक्ष इन चिंताओं को उठाया है ताकि देश की आकांक्षाओं को पूरा किया जा सके क्योंकि कर्नाटक आईटी सेवाओं के निर्यात, प्रौद्योगिकी कंपनियों और स्टार्टअप कंपनियों का केंद्र है। प्रमुख अंश …
बड़ी प्रौद्योगिकी और सेमीकंडक्टर कंपनियों समेत विभिन्न उद्योगों को आकर्षित करने के लिए आप क्या प्रयास कर रहे हैं और निकट भविष्य में कर्नाटक कुल कितना निवेश आकर्षित करने की उम्मीद कर रहा?
हमने वैश्विक क्षमता केंद्र (जीसीसी) नीति पेश की है। इसका उद्देश्य कर्नाटक में लगभग 500 जीसीसी लाना है। हमारा इरादा करीब 3,50,000 नौकरियां पैदा करने का है। इसका उद्देश्य अकेले कर्नाटक से ही 50 अरब डॉलर का आर्थिक उत्पादन करना है। यह पांच साल की नीति है। मुझे यकीन है कि हम इसे कम से कम डेढ़ साल पहले ही हासिल कर लेंगे।
इसका कारण यह है कि हमने जीसीसी समुदाय के साथ इतनी निकटता से काम किया है कि हम कौशल के जरिये उनके निवेश को भविष्य के लिए सुरक्षित कर रहे हैं। हमने निपुण कर्नाटक लागू किया है। इससे राज्य ही नहीं देश में बदलाव आएगा। हमने स्पेस टेक नीति भी लागू की है। इस नीति का हम उन्नत तकनीक के साथ साथ जनता के लिए इस्तेमाल की संभावनाएं देख रहे हैं। हम विनिर्माण क्षेत्र में स्टार्ट अप से छोटी शुरुआत करते हुए बड़े स्तर तक जाएंगे। राज्य में स्टार्ट अप जीनोम भी है।
आपने राज्यों को समान अवसरों की कमी को लेकर चिंता जताई है। आप इन मसलों से कैसे निपट रहे हैं?
जब केंद्र सरकार समान अवसर नहीं देती है तो मैं इससे कैसे निपट सकता हूं। मुझे इसे केंद्र सरकार के सामने उठाना होगा। मैंने ऐसा किया है। आपके सामने भी इसे उठाया है। इस (स्टोरी) को आप दिल्ली में भी प्रकाशित कीजिए । इसे राष्ट्रीय स्तर का बनाइए। हम अहसान नहीं मांग रहे । हमें समान अवसर चाहिए ताकि हम देश की आकांक्षाओं को पूरा कर सकें।
मैं कह रहा हूं कि आईटी सेवाओं के निर्यात के रूप में 4.5 लाख करोड़ रुपये दिए गए थे। राज्य सरकार के पास एक रुपया भी नहीं आ रहा है। यह केंद्र सरकार को जा रहा है। हम राष्ट्र को आगे बढ़ा रहे हैं। हम भारत के लिए स्टार्टअप का पारिस्थितिकी तंत्र हैं, जिसमें करीब 20,000 स्टार्टअप हैं। साथ ही 113 यूनिकॉर्न (जिनका मूल्यांकन 320 अरब डॉलर से ज्यादा है) में से 45 (जिनका कुल मूल्य 161 अरब डॉलर से ज्यादा है) कर्नाटक में हैं। हम आरऐंडडी और टैलेंट पूल में निवेश कर रहे हैं।
ऐसे समय में जब आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) प्रौद्योगिकी उद्योग में देखे गए अब तक के सबसे ज्यादा उलटफेर वाले बदलाव ला रही है, ऐसे में आपकी एआई रणनीति क्या है। खास तौर पर नौकरियों पर पड़ने वाले इसके असर के बारे में?
हम समझते हैं कि यह उभरती हुई प्रौद्योगिकी है। हमने इसके संबंध में ठोस योजना बनाई है। उदाहरण के लिए मैंने ‘निपुण’ योजना का जिक्र किया है। हमारा इनक्यूबेटर के साथ कौशल का ठोस आधार है। हमारे पास पहले से ही एआई और रोबोटिक्स में उत्कृष्टता केंद्र है। लेकिन हम अन्य क्षेत्रों में भी एआई ऐप्लिकेशन चाहते थे और इसके लिए हमने उत्कृष्टता केंद्र पेश किया है। हम एआई और ई-गवर्नेंस पहलों में भी अन्य निवेश कर रहे हैं।