विशेषज्ञों का मानना है कि भारत से ऑटो पार्ट्स यानी वाहन कलपुर्जों के निर्यात में थोड़ी मंदी आ सकती है। इसकी वजह अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप का 25 फीसदी शुल्क लगाना है जिससे खरीदारों के लिए कारों की कीमतें 8 से 25 फीसदी तक बढ़ सकती हैं। नतीजतन मांग पर असर पड़ेगा।
26 मार्च के अपने आदेश में ट्रंप प्रशासन ने ऑटोमोबाइल, ऑटो पुर्जों और स्टील व एल्युमीनियम उत्पादों पर धारा 232 के तहत 25 फीसदी टैरिफ लगाया था। हालांकि 25 फीसदी आयात शुल्क से प्रभावित वाहन कलपुर्जों की विस्तृत सूची का इंतजार है। लेकिन उद्योग के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि द्विपक्षीय वार्ता से संतुलित समाधान निकल सकता है।
दूसरी ओर, वैश्विक वाहन प्रमुखों का मानना है कि ट्रंप टैरिफ के कारण संभावित मुक्त व्यापार समझौता भारतीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों दोनों के लिए बेहतर स्थिति पैदा कर सकता है। अमेरिका ने 2024 में लगभग 80 लाख कारों का आयात किया जिनका कारोबारी मूल्य लगभग 240 अरब डॉलर था। वित्तीय सेवा फर्म वेडबश सिक्योरिटीज के अनुसार अमेरिका में बनी कारों में लगभग 40 फीसदी आयातित पुर्जे होते हैं।
प्रमुख वाहन निर्माताओं के लिए काम करने वाली कंसल्टेंसी एंडरसन इकनॉमिक ग्रुप के हालिया अनुमान के अनुसार इस कदम से वाहन के आधार पर टैरिफ के कारण प्रति कार कीमतों में 4,000 डॉलर से 12,500 डॉलर का इजाफा हो सकता है।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव के अनुसार 2024 में अमेरिका को भारत का यात्री कार निर्यात 89 लाख डॉलर का था जो कि 6.98 अरब डॉलर के कुल कार निर्यात का महज 0.13 फीसदी है। वाणिज्यिक वाहनों के लिए यह करीब 3 फीसदी था।
बीएमडब्ल्यू इंडिया के अध्यक्ष विक्रम पावा ने कहा, हमने हमेशा कहा है कि मुक्त व्यापार ऐसी चीज है, जिसका हम समर्थन करते हैं। मुझे लगता है कि किसी भी तरह के मुक्त व्यापार समझौते हमेशा सभी के लिए बेहतर स्थिति बनाने में मदद करते हैं। इससे नई प्रौद्योगिकियों को आने में मदद मिलती है और अन्य देशों के बाजार तक पहुंच मिलती है। जर्मन दिग्गज वर्तमान में भारत में अपनी कार बिक्री का 5 फीसदी आयात करती है।
आशिका ग्रुप में इंस्टिट्यूशनल इक्विटी के विश्लेषक संकेत केलस्कर ने कहा कि टाटा मोटर्स पर इसका परोक्ष असर पड़ने की संभावना है क्योंकि समूह की कंपनी जगुआर लैंड रोवर (जेएलआर) की अमेरिका में बिक्री की मात्रा 32 फीसदी (वित्त वर्ष 2025 के 9 महीने में) थी। उन्होंने कहा कि लग्जरी कार निर्माता को मार्जिन रखने के लिए कीमतों में बढ़ोतरी या लागत में कटौती के उपायों का सहारा लेना पड़ सकता है।
अमेरिकी बाजार में काफी कारोबार करने वाली एक अन्य भारतीय ओईएम रॉयल एनफील्ड है, जिसकी अमेरिका के मझोले मोटरसाइकिल बाजार में 8 फीसदी हिस्सेदारी है। फर्म की सुपर मीटियोर 650 (7,999 डॉलर) अभी भी हार्ली-डेविडसन आयरन 883 (9,999 डॉलर) से सस्ती है जो कीमत में राहत देती है। लेकिन टैरिफ से अमेरिका को निर्यात वृद्धि धीमा हो सकती है। दूसरी ओर, अमेरिका को भारत का वाहन कलपुर्जा निर्यात कुल उद्योग निर्यात का एक तिहाई है जो 21.2 अरब डॉलर है। लेकिन वाहन कलपुर्जों के कुल अमेरिकी आयात में भारत की हिस्सेदारी मेक्सिको (39 फीसदी), कनाडा (13 फीसदी) और चीन (12 फीसदी ) की तुलना में सिर्फ 2 फीसदी है।
ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एक्मा) ने उम्मीद जताई है कि भारत और अमेरिका के बीच चल रही द्विपक्षीय वार्ता से संतुलित समाधान निकलेगा जिससे दोनों अर्थव्यवस्थाओं को लाभ होगा। एक्मा की अध्यक्ष और सुब्रोस लिमिटेड की अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक श्रद्धा सूरी मारवाह ने कहा, हमारा मानना है कि भारत और अमेरिका के बीच मजबूत व्यापार संबंध, खासकर वाहन कलपुर्जा क्षेत्र में, इन उपायों का असर कम करने के लिए निरंतर बातचीत को प्रोत्साहित करेंगे। भारतीय वाहन कलपुर्जा उद्योग के दीर्घकालिक हितों को सुनिश्चित करने के लिए एक्मा सभी हितधारकों के साथ बातचीत को तैयार है।
केलस्कर ने कहा, वाहन कलपुर्जों पर 3 मई से टैरिफ लग सकता है। लेकिन इसकी पुष्टि अभी नहीं हुई है। अगर टैरिफ लगा तो इससे संवर्धन मदरसन, सोना बीएलडब्ल्यू और भारत फोर्ज जैसे प्रमुख भारतीय आपूर्तिकर्ता प्रभावित हो सकते हैं। अमेरिका में विनिर्माण क्षेत्र में मजदूरी भारत की तुलना में लगभग 10 गुना ज्यादा है जिससे उत्पादन को पूरी तरह से स्थानांतरित करना मुश्किल हो जाता है। इसलिए टैरिफ में संशोधन की संभावना बनी हुई है।
डीआर चोकसी रिसर्च के प्रबंध निदेशक देवेन चोकसी ने कहा कि जेएलआर का असर सीधे तौर पर टाटा मोटर्स पर नहीं पड़ेगा क्योंकि उसने जेएलआर में 80 फीसदी हिस्सेदारी टाटा संस की सहायक कंपनी टाटा ऑटोकॉम्प सिस्टम्स लिमिटेड (टीएसीओ) को हस्तांतरित कर दी है। हालांकि जेएलआर अभी भी टाटा समूह के इकोसिस्टम में बनी हुई है। लेकिन वह अब टाटा मोटर्स की सहायक कंपनी नहीं है।
उन्होंने कहा, यह हस्तांतरण टाटा मोटर्स की अपने परिचालन को सुव्यवस्थित करने, अपनी सहायक संरचना को अनुकूल बनाने और मुख्य ऑटोमोटिव विनिर्माण व नवाचार पर ध्यान केंद्रित करने की व्यापक रणनीति का हिस्सा लग रहा है, खासकर तब जब जेएलआर विद्युतीकरण और लक्जरी बाजार में नेतृत्व की दिशा में अपनी ‘रीइमेजिन’ रणनीति पर काम कर रहा है।” टाटा मोटर्स के लिए, यह कदम जेएलआर के परिचालन में सीधे जोखिम कम करता है, जिसने पिछले वित्तीय वर्ष में उसके राजस्व में लगभग 3,182 करोड़ रुपये का योगदान दिया था, जो टाटा मोटर्स के संयुक्त राजस्व का लगभग 0.98 फीसदी है।