Rare Earth Magnet Crisis: इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर (e2W) बनाने वाली भारतीय कंपनियों ने चीन से हैवी रेयर अर्थ मैग्नेट की सप्लाई में आई कमी से निपटने के लिए कमर कस ली है। सितंबर के अंत से शुरू होने वाले फेस्टिवल सीजन को ध्यान में रखते हुए ये कंपनियां नए रास्ते तलाश रही हैं, ताकि प्रोडक्शन में कोई रुकावट न आए। पहले आशंका थी कि अगस्त में प्रोडक्शन ठप हो सकता है, लेकिन अब कंपनियों ने वैकल्पिक उपायों के साथ इस डर को काफी हद तक दूर कर लिया है।
भारत की प्रमुख टू-व्हीलर बनाने वाली कंपनी बजाज ऑटो ने चीन से लाइट रेयर अर्थ मैग्नेट (जिन्हें हैवी रेयर अर्थ-फ्री मैग्नेट भी कहा जाता है) आयात किए हैं। कंपनी के वरिष्ठ सूत्रों के मुताबिक, इन मैग्नेट का टेस्टिंग ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ARAI) में चल रहा है। टेस्टिंग पूरी होने के बाद बजाज इन मैग्नेट को बड़ी मात्रा में आयात करने की योजना बना रही है, ताकि इन्हें भारत में बने मोटर सब-असेंबली में इस्तेमाल किया जा सके। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये मैग्नेट पहले भी अन्य जगहों पर टेस्ट हो चुके हैं और ये हैवी रेयर अर्थ मैग्नेट की तरह ही इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर में अच्छा प्रदर्शन करते हैं। खास बात यह है कि बजाज को इन मोटर्स के लिए घरेलू मूल्यवर्धन (DVA) की गणना में कोई छूट लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी, जैसा कि कुछ अन्य कंपनियों ने मांग की थी।
एथर एनर्जी भी इस दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही है। सूत्रों के अनुसार, कंपनी अपने स्तर पर लाइट रेयर अर्थ मैग्नेट का टेस्टिंग कर रही है और इस साल की आखिरी तिमाही में इन्हें ARAI से मंजूरी दिलाने की योजना है। उधर, TVS मोटर कंपनी के CEO के.एन. राधाकृष्णन ने बताया कि उनकी कंपनी कई विकल्पों पर काम कर रही है। इनमें हैवी रेयर अर्थ-फ्री मैग्नेट, फेराइट-आधारित मैग्नेट और बिना मैग्नेट वाली मोटर शामिल हैं। इसके अलावा, TVS कई देशों से मैग्नेट की सप्लाई सुनिश्चित करने की कोशिश में है।
Also Read: त्योहारी सीजन से ठीक पहले जुलाई में यात्री वाहनों की थोक बिक्री घटी
OLA इलेक्ट्रिक ने फेराइट-आधारित मोटर पर काम तेज कर दिया है। ये मोटर टेस्टिंग के दौर से गुजर रहे हैं और कंपनी 2025 की तीसरी तिमाही तक इनसे चलने वाले प्रोडक्ट लॉन्च करने की योजना बना रही है। फेराइट मैग्नेट की खासियत यह है कि ये आसानी से उपलब्ध हैं और इन पर भू-राजनीतिक जोखिम का असर कम होता है। हालांकि, इनका टॉर्क और पावर रेयर अर्थ मैग्नेट की तुलना में कम होता है। OLA के अधिकारियों का कहना है कि कंपनी ने पूरे साल के लिए पर्याप्त हैवी रेयर अर्थ मैग्नेट जुटा लिए हैं, जो 1,30,000 से ज्यादा वाहनों के लिए काफी हैं। ये मैग्नेट भारत में बनी मोटरों में लगाए जाएंगे।
चीन ने 4 अप्रैल को हैवी रेयर अर्थ मैग्नेट के सात प्रकारों पर भारत को निर्यात रोक दिया था, लेकिन लाइट रेयर अर्थ की 10 श्रेणियां इस प्रतिबंध से बाहर हैं। भारतीय कंपनियां अब इन्हीं लाइट रेयर अर्थ मैग्नेट को आयात करने की तैयारी में हैं, जिन्हें भारत में बने मोटर सब-असेंबली में इस्तेमाल किया जाएगा। इस बीच, एथर जैसी कंपनियां अपने भारत में बने मोटर सब-असेंबली को चीन भेज रही हैं, जहां हैवी रेयर अर्थ मैग्नेट लगाए जा रहे हैं। इसके बाद इन्हें वापस भारत लाया जा रहा है, ताकि तत्काल मांग पूरी की जा सके और चीन के निर्यात नियमों का पालन हो।
TVS के राधाकृष्णन ने बताया कि उनकी कंपनी मौजूदा स्टॉक के साथ काम चला रही है और कुछ बड़े मैग्नेट को स्थानीय स्तर पर रिसाइज कर रही है। उन्होंने कहा कि कंपनी अल्पकालिक विकल्पों पर भी विचार कर रही है।
रजिस्ट्रेशन के आंकड़े बताते हैं कि अगस्त के पहले दो हफ्तों (14 अगस्त तक) में 38,688 इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर रजिस्टर हुए, जो जुलाई के इसी दौरान के 37,711 की तुलना में थोड़ा ज्यादा है। TVS ने 3.5%, हीरो मोटोकॉर्प ने 3.2%, और एथर ने 1.2% की बढ़ोतरी दर्ज की। ग्रीव्स इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, काइनेटिक ग्रीन और PUR एनर्जी (जो अपने ब्रांड PURE के नाम से जानी जाती है) ने भी रजिस्ट्रेशन में बढ़ोतरी देखी। हालांकि, बजाज में 5.2% और OLA इलेक्ट्रिक में 4.1% की गिरावट आई।
बजाज के एक अधिकारी ने बताया कि वैकल्पिक सोर्सिंग की वजह से कंपनी अगस्त में कुछ इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण कर पाई है। एथर के सूत्रों का कहना है कि उनके पास फेस्टिवल सीजन के लिए पर्याप्त मोटर उपलब्ध हैं, जिससे प्रोडक्शन में कोई दिक्कत नहीं आएगी।