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भारतीय कंपनियों की आय में सुस्ती, असाधारण लाभ से तिमाही मुनाफा बढ़ा लेकिन मूल आय गिरी

भारतीय कंपनियों की तिमाही आय नरम रही, असाधारण सौदों ने मुनाफा बढ़ाया लेकिन मूल आय गिरी, जिससे निवेशकों और उद्योग जगत में चिंता बढ़ी।

Last Updated- August 17, 2025 | 10:38 PM IST
Industry
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

वैश्विक अर्थव्यवस्था और भूराजनीति तेजी से बदल रही हैं मगर भारतीय कंपनियां महामारी के बाद की अंतहीन सुस्ती में फंसी दिख रही हैं। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में सूचीबद्ध कंपनियों की राजस्व वृद्धि लगातार 9वीं तिमाही में एक अंक में रही मगर अन्य आय और एकमुश्त लाभ को निकाल देने के बाद बची उनकी मुख्य आय पिछली चार तिमाहियों में दूसरी बार घटी है। यह ऐसे समय में हुआ है जब कंपनियां को भारत से होने वाले निर्यात पर अमेरिका द्वारा घोषित 50 फीसदी शुल्क के असर का सामना करना है।

वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में इस्पात, सीमेंट और तेल मार्केटिंग कंपनियों को छोड़कर ज्यादातर कंपनियों का प्रदर्शन कमजोर रहा। इस्पात, सीमेंट और तेल मार्केटिंग कंपनियों को कम ईंधन लागत का फायदा मिला और कमजोर आय वृद्धि के बावजूद उनका मुनाफा दो अंक में बढ़ा। इसके उलट उद्योग जगत के आय के प्रमुख इंजन माने जाने वाले बैंकिंग, आईटी, एफएमसीजी, वाहन, फार्मा और बिजली क्षेत्र की कंपनियों की आय और मुनाफा दोनों में धीमी वृद्धि देखी गई।

अभी तक 3,031 सूचीबद्ध फर्मों ने अपने तिमाही नतीजे जारी किए हैं और उनका कुल शुद्ध लाभ चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 9.4 फीसदी बढ़ा जो पांच तिमाहियों में सबसे तेज वृद्धि है। इनका कुल लाभ बढ़कर करीब 3.85 लाख करोड़ रुपये रहा जो पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 3.52 लाख करोड़ रुपये था। लेकिन पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही के 4 लाख करोड़ रुपये के मुनाफे से चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कुल मुनाफा 3.8 फीसदी कम रहा। मुनाफे में वृद्धि मुख्य रूप से असाधारण लाभ के कारण हुई। रिलायंस इंडस्ट्रीज को एशियन पेंट्स में 4.9 फीसदी हिस्सेदारी की बिक्री से 8,924 करोड़ रुपये का लाभ हुआ और एचडीएफसी बैंक को एचडीबी फाइनैंशियल सर्विसेज में अपनी हिस्सेदारी की बिक्री से 9,128 करोड़ रुपये का लाभ हुआ।

बैंकों ने अपने निवेश पोर्टफोलियो पर भी अच्छा मुनाफा कमाया। भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नैशनल बैंक, ऐक्सिस बैंक, केनरा बैंक और बैंक ऑफ इंडिया ऐसे ऋणदाताओं में शामिल थे जिन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा पिछली तिमाही में दरें घटाए जाने के बाद ट्रेजरी आय में तेज वृद्धि दर्ज की।

हालांकि एकबारगी और असाधारण आय को छोड़ दें तो सूचीबद्ध कंपनियों का कर पूर्व लाभ 0.2 फीसदी घटकर 3.42 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 3.43 लाख करोड़ रुपये था। सूचीबद्ध कंपनियों की अन्य आय पिछले साल की समान तिमाही के 1.64 लाख करोड़ रुपये की तुलना में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 24.3 फीसदी बढ़कर 2.04 लाख करोड़ रुपये रही। लंबे समय से आय में नरमी कारोबारियों और निवेशकों के लिए चिंता का विषय है। कुल शुद्ध बिक्री और बैंकों की सकल ब्याज आय वित्त वर्ष2026 की पहली तिमाही में 6 फीसदी बढ़ी जो सितंबर 2023 तिमाही के बाद सबसे धीमी है।

वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में कंपनियों की कुल शुद्ध बिक्री बढ़कर 37.95 लाख करोड़ रुपये हो गई जो पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 35.82 लाख करोड़ रुपये थी। यह वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही के 39.32 लाख करोड़ रुपये से 3.5 फीसदी कम है। वित्तीय क्षेत्र से इतर कंपनियों का प्रदर्शन खराब रहा।

बैंकों, वित्तीय सेवा और और बीमा कंपनियों (बीएफएसआई) को छोड़ दें तो बाकी कंपनियों की कुल बिक्री या आय चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में महज 5.3 फीसदी बढ़ी जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 6.5 फीसदी की वृद्धि हुई थी।

हमारे नमूने में शामिल 2,474 गैर-बीएफएसआई कंपनियों की कुल शुद्ध बिक्री 29.72 लाख करोड़ रुपये रही जो एक साल पहले की समान तिमाही में 28.02 लाख करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में 30.91 लाख करोड़ रुपये थी। इन कंपनियों का कुल शुद्ध लाभ चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 10.2 फीसदी बढ़कर 2.51 लाख करोड़ रुपये रहा जो पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही के 2.69 लाख करोड़ रुपये से 6.6 फीसदी कम रहा।

बीएफएसआई और तेल एवं गैस (रिलायंस इंडस्ट्रीज सहित) को छोड़ दें तो आय-मुनाफे की तस्वीर और भी फीकी रही। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में इस श्रेणी की कंपनियों की कुल शुद्ध आय 7.3 फीसदी बढ़कर 21.8 लाख करोड़ रुपये रही जो तीन तिमाही में सबसे धीमी वृद्धि है। इन कंपनियों का कुल लाभ 7 फीसदी बढ़कर 2.02 लाख करोड़ रुपये रहा जो 9 तिमाही में सबसे धीमी वृद्धि है।

विश्लेषकों ने आगे और मुश्किलों की चेतावनी दी है। सिस्टमैटिक्स इंस्टीट्यूशनल इक्विटी के रिसर्च और इक्विटी रणनीति के सह-प्रमुख धनंजय सिन्हा ने कहा, ‘अप्रैल-जून तिमाही अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा घोषित शुल्क के शुरुआती दौर के प्रभाव को दर्शाने वाली पहली तिमाही थी। आने वाली तिमाहियों में दबाव बढ़ने की आशंका है।’

First Published - August 17, 2025 | 10:38 PM IST

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