खासकर विदेशों में स्थित फैमिली कार्यालय गिफ्ट सिटी में फैमिली इन्वेस्टमेंट फंड्स (एफआईएफ) स्थापित करने के बजाय कैटिगरी-3 वैकल्पिक निवेश फंड के विकल्प पर ज्यादा जोर दे रहे हैं। पिछले साल करीब सात भारतीय फैमिली कार्यालयों ने गिफ्ट सिटी में एफआईएफ स्थापित करने के लिए आवेदन किए। दो प्रमुख फैमिली कार्यालयों ने गिफ्ट सिटी नियामक से सैद्धांतिक मंजूरी भी हासिल कर ली है।
हालांकि वैश्विक निवेश के लिए घरेलू फैमिली कार्यालयों के लिए एफआईएफ विकल्प को नियामकों द्वारा अभी भी मान्यता नहीं दी गई है। विश्लेषकों का मानना है कि भले ही ऑफशोर कंपनियों को एफआईएफ स्थापित करने के लिए मंजूरी मिली है, लेकिन इस विकल्प को अभी बहुत ज्यादा लोकप्रियता नहीं मिली है। विश्लेषकों का कहना है कि इस विकल्प को बढ़ावा देने के लिए इससे संबंधित और ज्यादा रियायतों की जरूरत हो सकती है।
उद्योग के कारोबारियों का मानना है कि इंटरनैशनल फाइनैंशियल सर्विसेज सेंटर्स अथॉरिटी द्वारा फंड प्रबंधन नियमों के लिए ताजा संशोधनों ने एआईएफ विकल्प फैमिली कार्यालयों के लिए ज्यादा आकर्षक बना दिया है। विश्लेषकों का कहना है कि पिछले नियमों में एफआईएफ के संबंध में लागू कर व्यवस्था पर स्थिति स्पष्ट नहीं था क्योंकि तब सार्वजनिक बाजारों में निवेश करने वाले इनबाउंड एफआईएफ को विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक कर व्यवस्था के अधीन कर दिया गया।
कर संधि लाभ तक पहुंच के बिना, इन एफआईएफ को डेट और डेरिवेटिव्स पर पूंजीगत लाभ कर का सामना करना पड़ेगा, साथ ही लाभांश और ब्याज आय पर 20 प्रतिशत कर दर के अलावा अतिरिक्त अधिभार और उपकर से भी जूझना होगा।
संशोधित नियमों के तहत, एफआईएफ को निवेश रणनीति के आधार पर कैटिगरी-3 एआईएफ के तहत वर्गीकृत किया जा सकता है। प्राइस वाटरहाउस ऐंड कंपनी एलएलपी में पार्टनर सुरेश स्वामी का कहना है कि इस स्पष्टीकरण के कारण, भारत में मुख्य रूप से सूचीबद्ध प्रतिभूतियों में निवेश करने वाले इनबाउंड एफआईएफ को कैटिगरी-3 एआईएफ के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है और इस प्रकार वह ‘स्पेशीफाइड फंड’ व्यवस्था के लिए पात्र हो सकता है।
इस व्यवस्था के कई फायदे हैं, जिनमें डेट और डेरिवेटिव प्रतिभूतियों पर पूंजीगत लाभ कर से छूट, लाभांश और ऐसी प्रतिभूतियों पर सपाट 10 फीसदी की कर दर शामिल हैं। स्वामी के अनुसार इन बदलावों से भारतीय बाजारों में निवेश की संभावना तलाश रहे अनिवासी (एनआरआई) फैमिली कार्यालयों में दिलचस्पी पैदा हुई है।
स्वामी ने कहा कि इस व्यवस्था का लाभ उठाने के लिए, एफआईएफ को कैटिगरी-3 एआईएफ के तौर पर सर्टिफिकेट लेने की जरूरत होगी। इस बीच, गिफ्ट सिटी में कैटिगरी-3 एआईएफ योजनाओं की संख्या दिसंबर 2023 के 50 से बढ़कर दिसंबर 2024 तक 116 हो गई और कई अन्य प्रमुख कंपनियां इस फाइनैंशियल हब में नई पेशकश की योजना बना रही हैं।
6 महीने पहले गिफ्ट सिटी में एक लॉन्ग-शॉर्ट फंड शुरू करने वाली नुवामा ऐसेट मैनेजमेंट के इक्विटी प्रमुख अजय वोरा ने कहा, ‘अमेरिकी बाजार में ध्रुवीकरण और महंगे मूल्यांकन के कारण, पश्चिम एशिया में स्थित कई फैमिली कार्यालय और अल्ट्रा-हाई-नेट-वर्थ इंडीविजुअल (यूएचएनआई) भारत और अन्य उभरते बाजारों में विविधता की तलाश कर रहे हैं। गिफ्ट सिटी की शुरुआत ने इस प्रक्रिया को ज्यादा आसान बना दिया है। गिफ्ट सिटी के जरिये डेरिवेटिव्स स्ट्रैटजीज से प्राप्त आय पूरी तरह कर-मुक्त है।’विश्लेषकों का यह भी कहना है कि चूंकि निवेश अमेरिकी डॉलर में किया जाता है, इसलिए मौद्रिक जोखिम कम होता है।
ध्रुव एडवाइजर्स में पार्टनर पुनीत शाह का मानना है कि वैश्विक पोर्टफोलियो निवेश के लिए गिफ्ट सिटी में एआईएफ फर्मों का इस्तेमाल करने के लिए घरेलू फैमिली कार्यालयों की ओर से दिलचस्पी और पूछताछ में इजाफा हुआ है।